image_editor_output_image773089748-1755075111923 जायरीन को उर्स तक पहुंचाने के लिए रेलवे चलाएगा दो जोड़ी ट्रेनें
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0_b6PUB_P9FdBtoqZv जायरीन को उर्स तक पहुंचाने के लिए रेलवे चलाएगा दो जोड़ी ट्रेनें
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Highlight

Aala Hajrat Muslim

बरेली। जायरीन को आला हजरत के उर्स तक पहुंचाने के लिए इज्जतनगर रेल मंडल 18 से 20 अगस्त तक दो जोड़ी विशेष गाड़ियों का संचालन करेगा। मंगलवार को रेलवे ने बरेली सिटी-लालकुआं और बरेली सिटी पीलीभीत विशेष गाड़ियों की समय सारिणी जारी कर दी।

सीनियर डीसीएम संजीव शर्मा ने बताया कि 05311 बरेली सिटी लालकुआं विशेष ट्रेन दोपहर बाद 3:50 बजे बरेली सिटी से चलने के बाद 4:03 बजे इज्जतनगर और 4:23 बजे भोजीपुरा पहुंचेगी। यहां से चलने के बाद यह गाड़ी शाम छह बजे लालकुआं पहुंचेगी।

वापसी में 05312 लालकुआं-बरेली सिटी विशेष ट्रेन रात 8:15 बजे लालकुआं से चलने के बाद रात 9:38 बजे भोजीपुरा, 9:55 बजे इज्जतनगर और रात 10:30 बजे बरेली सिटी पहुंचेगी। 06501 बरेली सिटी पीलीभीत विशेष मेमू ट्रेन बरेली सिटी से 4:35 बजे चलने के बाद 4:50

बरेली सिटी-लालकुआं और बरेली सिटी-पीलीभीत विशेष गाड़ियों की समय सारिणी जारी

प्लेटफार्म नंबर एक पर फुट ओवरब्रिज की मरम्मत शुरू

बरेली। जंक्शन के प्लेटफार्म नंबर एक पर जीआरपी

आरपीएफ थाने के पास स्थित फुट ओवरब्रिज की मरम्मत का काम शुरू हो गया है। यह कुछ स्थानों पर जर्जर हो गया था। सौ साल पहले इस फुट ओवरब्रिज का निर्माण कराया गया था। यहां पर अब स्वचालित सीढ़ियां भी हैं। यह फुट ओवरब्रिज प्लेटफार्म नंबर एक से पांच तक को जोड़ता है। मरम्मत के चलते ब्रिज को आवागमन के लिए बंद कर दिया गया है। संवाद

बजे इज्जतनगर आएगी और शाम 6:30 बजे पीलीभीत पहुंचेगी। वापसी में 06502 पीलीभीत-बरेली सिटी विशेष मेमू ट्रेन शाम 6:45 बजे पीलीभीत से चलने के बाद 7:55 बजे इज्जतनगर और 8:25 बजे बरेली सिटी स्टेशन पहुंचेगी।

Tech

टेक दुनिया में हलचल मचाते हुए, iPhone 17 Series से जुड़ी एक नई लीक सामने आई है, जिसने फैंस में उत्सुकता बढ़ा दी है। इस लीक में फोन की स्क्रीन साइज को लेकर अहम जानकारी मिली है।

रिपोर्ट्स के मुताबिक, Apple इस साल एक नया मॉडल iPhone 17 Air लॉन्च करने की तैयारी में है। बताया जा रहा है कि इस मॉडल की स्क्रीन साइज, स्टैंडर्ड iPhone 17 से बड़ी होगी, जिससे यूजर्स को और बेहतर विजुअल और मल्टीमीडिया अनुभव मिलेगा।

टेक एक्सपर्ट्स का मानना है कि बड़ी स्क्रीन के साथ iPhone 17 Air में बैटरी और डिस्प्ले क्वालिटी में भी बड़े अपग्रेड देखने को मिल सकते हैं। हालांकि, अभी तक Apple की तरफ से इस बारे में कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है।

अगर यह लीक सही साबित होती है, तो iPhone 17 Series न सिर्फ डिजाइन बल्कि यूज़र एक्सपीरियंस के मामले में भी एक बड़ा बदलाव ला सकती है।

Muslim

इस्लामिक सहयोग संगठन (ओआईसी) के महासचिव ने 8 अगस्त 2025 को अज़रबैजान गणराज्य और आर्मेनिया गणराज्य के बीच अमेरिका की मध्यस्थता से संपन्न शांति समझौते पर हस्ताक्षर की सराहना की।

महासचिव ने इस समझौते को ऐतिहासिक बताते हुए कहा कि यह दोनों देशों के संबंधों में एक नया अध्याय खोलेगा, जो आपसी समझ, दोस्ती और सहयोग पर आधारित होगा। उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि यह कदम कॉकस क्षेत्र में सुरक्षा, स्थिरता और विकास की नींव को और मजबूत करेगा।

News

इजाज़त मिल गई है, लेकिन अभी आख़िरी मंज़ूरी बाकी है

Telecom मंत्री ज्योतिरादित्य शिंदे ने बताया कि Starlink को भारत में Unified License मिल गया है और स्पेक्ट्रम आवंटन के लिए फ्रेमवर्क भी तैयार है।

साथ ही, IN-SPACe (Bharat का private space regulator) ने Starlink को ऑपरेशनल मंज़ूरी भी दे दी है।

2. लॉन्च का समय

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, Starlink की सेवा “लेट 2025 या शुरुआती 2026” में शुरू हो सकती है।

कुछ रिपोर्ट्स में कहा गया है कि अगले “तीन महीनों में” (लगभग अंत 2025 तक) प्री-ऑर्डर शुरू हो सकते हैं।

3. अनुमानित कीमत

हार्डवेयर किट (डिश, राउटर और आवश्यक सामान): लगभग ₹33,000।

मासिक सब्सक्रिप्शन: लगभग ₹3,000–₹4,200, अक्सर ₹3,000 के आसपास माना जा रहा है।

कुछ जगहों पर प्रचारात्मक या प्री-ऑफर प्लान्स ₹840/माह तक भी हो सकते हैं।

4. इंटरनेट स्पीड और उपयोग सीमाएं

स्पीड: 25 Mbps से 220 Mbps तक, उपयोगकर्ता की लोकेशन और सिग्नल क्लीयरिटी पर निर्भर करेगा।

शुरुआती दौर में सर्विस 20 लाख (2 million) उपयोगकर्ताओं तक सीमित हो सकती है।

लाइसेंस Unified License और IN-SPACe की मंज़ूरी मिल चुकी है।
लॉन्च समय संभवतः देर 2025 या शुरुआत 2026 में शुरुआत।
हार्डवेयर अनुमानित कीमत: ~₹33,000।
मासिक शुल्क अनुमानित: ~₹3,000–₹4,200; संभावित प्रचार प्लान: ₹840/माह।
स्पीड अनुमानित: 25–220 Mbps। सर्विस प्रारंभ में भारत में 20 लाख उपयोगकर्ताओं तक सीमित।

Starlink ने भारत में अपना रास्ता चुन लिया है—लाइसेंस मिल चुका है, स्पेक्ट्रम और सुरक्षा मंज़ूरी बाकी है। असल में सेवा “देर 2025 या शुरुआत 2026” से शुरू होने की उम्मीद है, हार्डवेयर ~₹33,000 और मासिक शुल्क ~₹3,000 के आसपास रहेगा, स्पीड 25–220 Mbps के बीच होगी।

News Tech

👉 क्या है मामला?

भारत में इंटरनेट सेवाओं को जोड़े रखने वाली सबमरीन केबल्स का मुख्य रास्ता लाल सागर (Red Sea) से होकर गुजरता है। लेकिन यमन के हूती विद्रोहियों द्वारा की जा रही हिंसक गतिविधियों और हमलों के कारण अब इस रास्ते पर खतरा मंडरा रहा है।

👉 क्यों बढ़ी टेंशन?

हूती विद्रोहियों ने पहले भी कई समुद्री जहाज़ों को निशाना बनाया है, और अब आशंका है कि वो इंटरनेट केबल्स को भी नुकसान पहुंचा सकते हैं। इससे भारत की बड़ी इंटरनेट कंपनियों जैसे Google, Jio और Airtel की सेवाएं ठप पड़ सकती हैं। यही कारण है कि कंपनियों में घबराहट का माहौल है।

👉 क्या हो सकता है असर?

इंटरनेट की स्पीड स्लो हो सकती है

कुछ वेबसाइट्स या ऑनलाइन सेवाएं रुक सकती हैं

डेटा ट्रांसफर में दिक्कतें आ सकती हैं

ऑनलाइन बिजनेस और स्ट्रीमिंग प्लेटफॉर्म्स प्रभावित हो सकते हैं

👉 सरकार और कंपनियों की तैयारी

सूत्रों के मुताबिक, अब एक वैकल्पिक रूट तैयार करने की योजना पर विचार किया जा रहा है ताकि भारत की इंटरनेट कनेक्टिविटी बनी रहे। जल्द ही इस पर तकनीकी और रणनीतिक कदम उठाए जा सकते हैं।

📌 निष्कर्ष:
अगर हूती विद्रोहियों का खतरा बढ़ता रहा और इंटरनेट केबल्स कट गईं, तो भारत में डिजिटल सेवाएं गंभीर रूप से प्रभावित हो सकती हैं। सरकार और इंटरनेट कंपनियों को अब तत्काल एक प्लान B की जरूरत है।

THE MUSLIM

🗳️ बरेली बार एसोसिएशन चुनाव 2025

कनिष्ठ कार्यकारिणी सदस्य पद हेतु
आपका उम्मीदवार – मो. आशिक़ हसीरी (एडवोकेट)

मो. आशिक़ हसीरी, चैंबर नंबर 3, निकट कलेक्ट्रेट गेट, मस्जिद रोड, कचहरी, बरेली, आगामी बरेली बार एसोसिएशन चुनाव 2025 में कनिष्ठ कार्यकारिणी सदस्य पद हेतु अपना नाम प्रस्तुत कर रहा हूँ।

मैं आप सभी सम्मानित अधिवक्ता साथियों के स्नेह, समर्थन और आशीर्वाद का आकांक्षी हूँ। मेरा उद्देश्य अधिवक्ताओं के हितों की रक्षा करना, उनकी समस्याओं का समाधान करना, और बार एसोसिएशन को एक सशक्त एवं सक्रिय मंच बनाना है।

🙏 कृपया मुझे अपना अमूल्य वोट और आशीर्वाद देकर सेवा का अवसर प्रदान करें।

कनिष्ठ कार्यकारिणी सदस्य पद हेतु
आपका उम्मीदवार – मो. आशिक़ हसीरी (एडवोकेट)
चैंबर नंबर 3, निकट कलेक्ट्रेट गेट, मस्जिद रोड, कचहरी, बरेली

📌 हमारे बारे में

मो. आशिक़ हसीरी (एडवोकेट) बरेली कचहरी में सक्रिय अधिवक्ता के रूप में कार्यरत हूँ। अपने व्यावसायिक अनुभव और सामाजिक समझदारी के साथ अब मैं बरेली बार एसोसिएशन की कनिष्ठ कार्यकारिणी सदस्य पद हेतु चुनाव लड़ रहा हूँ, ताकि अधिवक्ताओं की आवाज़ को और मज़बूती मिल सके।

🎯 विजन और मिशन हमारा उद्देश्य है:

अधिवक्ता समुदाय की समस्याओं का त्वरित समाधान पारदर्शी और जवाबदेह कार्यप्रणाली
नई पीढ़ी के अधिवक्ताओं को उचित मार्गदर्शन व समर्थन कचहरी परिसर में सुविधाओं और कार्य संस्कृति को बेहतर बनाना

🤝 आपका समर्थन क्यों ज़रूरी है

आपका एक वोट सिर्फ मुझे नहीं, बल्कि एक मजबूत नेतृत्व को चुनने का अवसर देगा जो न केवल आपकी समस्याओं को सुनेगा, बल्कि उन्हें प्राथमिकता से सुलझाएगा। आइए हम सब मिलकर एक सशक्त, संगठित और प्रगतिशील बार एसोसिएशन की नींव रखें।

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📍 चैंबर नंबर 3, निकट कलेक्ट्रेट गेट, मस्जिद रोड, कचहरी, बरेली

THE MUSLIM

Apple ने अपने यूज़र्स को बड़ी राहत देते हुए नया AppleCare One प्रोग्राम लॉन्च किया है। इस प्लान के तहत अब आपका iPhone, iPad, Mac या कोई और Apple डिवाइस टूट जाए या गिर जाए, तो आप

उसे बिना किसी टेंशन के फ्री में ठीक करवा सकते हैं – वो भी सिर्फ ₹1,700 प्रति महीने में!

💡 क्या है AppleCare One?

AppleCare One एक नया सब्सक्रिप्शन प्लान है जो यूज़र्स को एक ही प्लान में तीन डिवाइस तक की सुरक्षा देता है। अगर आप चाहें तो कुछ रुपये और जोड़कर ज्यादा डिवाइस भी कवर कर सकते हैं।

🔐 इसमें क्या-क्या मिलेगा?

एक्सीडेंटल डैमेज प्रोटेक्शन: यानी अगर फोन गिर जाए, स्क्रीन टूट जाए या पानी में गिर जाए – सब कुछ कवर होगा!

बैटरी रिप्लेसमेंट: बैटरी 80% से नीचे जाए तो फ्री में नई मिलेगी।

चोरी और गुम होने पर कवरेज: अब iPad और Apple Watch भी theft & loss कवरेज में शामिल हैं।

पुराने डिवाइस भी जुड़ेंगे: 4 साल पुराने डिवाइस (और 1 साल पुराने AirPods) भी इसमें शामिल किए जा सकते हैं।

💸 कितनी कीमत?

₹1,700 प्रति महीना (लगभग $19.99) – तीन डिवाइस के लिए

हर अतिरिक्त डिवाइस के लिए ₹500 (लगभग $5.99) प्रति महीना अतिरिक्त

📍 कहां मिलेगा?

फिलहाल यह सेवा केवल अमेरिका में शुरू हुई है। भारत में इसे लाने की तैयारी चल रही है, लेकिन Apple ने अभी तक कोई ऑफिशियल डेट घोषित नहीं की है।

⚠️ किन बातों का रखें ध्यान?

सभी डिवाइस एक ही Apple ID से जुड़े होने चाहिए।

फैमिली शेयरिंग सपोर्ट नहीं करता।

यह प्लान केवल डिजिटल खरीदारी (online Apple ID के ज़रिए) से उपलब्ध है।

🗣️ Apple यूज़र्स के लिए ये किसी तोहफे से कम नहीं!

अगर आपके पास एक से ज़्यादा Apple डिवाइस हैं और आप उनकी सुरक्षा को लेकर चिंता करते हैं, तो AppleCare One आपके लिए गेमचेंजर साबित हो सकता है। ना सिर्फ पैसे की बचत होगी, बल्कि बार-बार रिपेयरिंग की झंझट से भी छुटकारा मिलेगा।

आपका iPhone अब पहले से ज़्यादा सुरक्षित! AppleCare One के साथ – टूटे, गिरे या खो जाए – अब टेंशन फ्री रहें।

News

📍 अमरोहा, मुरादाबाद, सम्भल, बिजनौर, रामपुर समेत कई जिलों में आधी रात को उड़ते ड्रोन को लेकर लोगों में फैली चिंता के बीच प्रशासन ने दी स्पष्ट जानकारी।

हाल ही में इन जिलों के ग्रामीण और शहरी इलाकों में रात के समय आसमान में उड़ते ड्रोन देखे गए, जिसके चलते कई लोगों में डर और भ्रम की स्थिति बन गई। सोशल मीडिया पर अफवाहें भी फैलने लगीं कि ये ड्रोन किसी खुफिया मकसद से उड़ाए जा रहे हैं।

लेकिन अब प्रशासन ने स्थिति को स्पष्ट कर दिया है।

🗣️ एसडीएम (उप जिलाधिकारी) ने बताया:

इन ड्रोन को सुरक्षा और एरिया डॉमिनेशन के उद्देश्य से उड़ाया जा रहा है। जनता को डरने की कोई जरूरत नहीं है। यह पूरी प्रक्रिया कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए की जा रही है”

📌 क्या है एरिया डॉमिनेशन

यह एक रणनीति है जिसके तहत पुलिस या सुरक्षा एजेंसियां किसी क्षेत्र में अपनी सक्रिय उपस्थिति दर्ज कराती हैं ताकि अपराधों को रोका जा सके।

ड्रोन की मदद से ऊँचाई से निगरानी की जाती है, जिससे भीड़, संदिग्ध गतिविधियों और कानून तोड़ने वालों पर नजर रखी जा सके।

📣 जनता से अपील: प्रशासन ने नागरिकों से अपील की

है कि किसी भी प्रकार की अफवाहों पर ध्यान न दें। ड्रोन उड़ाना एक नियंत्रित और अधिकृत सुरक्षा उपाय है, जिसे राज्य सरकार और स्थानीय प्रशासन की देखरेख में किया जा रहा है।

📢 यह ड्रोन किसी भी प्रकार की जासूसी या नुकसान पहुँचाने के लिए नहीं उड़ाए जा रहे हैं, बल्कि आपकी सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए हैं। अगर आपके इलाके में भी इस तरह की गतिविधि दिखे, तो घबराएं नहीं, यह प्रशासन का हिस्सा है।

FINANCE

नई दिल्ली – भारत की प्रमुख क्रिप्टोकरेंसी एक्सचेंज CoinDCX पर 19 जुलाई 2025 की सुबह एक बड़ा साइबर हमला हुआ, जिसमें कंपनी के आंतरिक खातों से लगभग 378 करोड़ रुपये (लगभग 4.42 मिलियन डॉलर) की चोरी हो गई। यह घटना भारतीय समयानुसार सुबह 4 बजे के आसपास घटी, जब सुरक्षा टीमों ने एक संदिग्ध गतिविधि को ट्रैक किया।

CoinDCX ने अपने आधिकारिक बयान में साफ किया है कि इस हमले में किसी भी यूज़र के वॉलेट या फंड्स को नुकसान नहीं पहुंचा है। चोरी केवल कंपनी के इंटरनल ऑपरेशनल अकाउंट से हुई है।

कंपनी ने तेजी से एक्शन लेते हुए सभी सुरक्षा सिस्टम को अपडेट किया है और इस घटना की जांच के लिए CERT-In (Indian Computer Emergency Response Team) और अन्य साइबर सुरक्षा विशेषज्ञों के साथ मिलकर काम शुरू कर दिया है।

CoinDCX ने हैकरों से फंड रिकवर करने के लिए भारत का सबसे बड़ा Crypto Recovery Bounty Program शुरू किया है। इसके तहत कोई भी व्यक्ति जो चुराए गए फंड की जानकारी या रिकवरी में मदद करेगा, उसे 25% तक इनाम दिया जाएगा, जिसकी राशि करीब 94 करोड़ रुपये तक हो सकती है।

🔐 कंपनी का वादा:

> “हम पूरी पारदर्शिता के साथ काम कर रहे हैं औr हमारे सभी यूज़र्स के फंड्स पूरी तरह सुरक्षित हैं,” – CoinDCX प्रवक्ता।

मुख्य बिंदु:

❌ चोरी गए फंड: ₹378 करोड़ (कंपनी खाते से)

✅ यूज़र के फंड सुरक्षित

🛡️ जांच जारी – CERT-In के साथ मिलकर

🎯 Bug Bounty Program शुरू – 94 करोड़ का इनाम

Tech

जब हम “remote control” कहते हैं, तो आमतौर पर जॉयस्टिक या गियर की कल्पना होती है। लेकिन जापानी स्टार्टअप H2L ने इस परंपरा को पूरी तरह बदल दिया है। इनका नया Capsule Interface डिवाइस आपकी मांसपेशियों (muscles) के छोटे-से संकेतों को पकड़कर एक humanoid रोबोट तक पहुंचाता है—और वो सिर्फ आपकी हरकतें ही नहीं, बल्कि आपका exertion (कोशिश की ताकत) भी महसूस करता है। वितरित माहौल में एक अधिक immersive और शारीरिक अनुभव देता है ।

🔍 खासियतें और तकनीकी जादू

**मसल टेंशन सेंसर:**
यह प्रणाली खास सेंसर्स से लैस है जो आपकी मसल्स की सूक्ष्म गतिविधियों को भी पकड़कर real-time में ट्रांसलेट करते हैं ।

**भावनात्मक और फिजिकल एंगेजमेंट:**
सिर्फ मूवमेंट ट्रांसमिट नहीं, बल्कि उस मूवमेंट के पीछे की मेहनत और भावना भी ट्रांसफर होती है—जिससे हॉप्टिक अनुभव और immersion बढ़ती है ।

**आरामदेह उपयोग:**

इसे कुर्सी या बिस्तर पर इस्तेमाल किया जा सकता है। भारी उपकरण या जटिल ट्रेनिंग की जरूरत नहीं—बस बैठिए और हल्की हरकत से रोबोट को नियंत्रित कीजिए

🤝 वास्तविक दुनिया में उपयोग

**दैनिक जीवन:**
बूढ़ों या शारीरिक रूप से कमजोर लोगों के लिये रोबोट के जरिए घर में खाना बनाना, साफ‑सफाई करना संभव हो पाएगा ।

**डिलीवरी और लॉजिस्टिक:**
भरपूर शक्ति के साथ पैक उठाना या पदार्थों को हिलाना—सब कुछ दूर बैठे-बैठे उपलब्ध है, जिससे शरीर पर कम दबाव पड़ेगा ।

**खतरनाक क्षेत्र:**
आप ज्वालामुखी, रेडिएशन, भूकंप के खतरनाक इलाकों में रोबोट के ज़रिए सुरक्षा में रहकर काम कर सकते हैं ।

**खेती और दूरस्थ काम:**
किसान खेत में रोबोट का इस्तेमाल कर दूर बैठे-बैठे फसलों की देखभाल कर सकते हैं, जिससे लेबर की कमी भी पूरी हो सकती है ।

🛠️ आगे का ज़माना – Proprioceptive Feedback

H2L अगला बड़ा कदम उठा रहा है: भविष्य में यह तकनीक उपयोगकर्ता को proprioceptive feedback उपलब्ध कराएगी। इसका मतलब है, जब रोबोट कुछ उठाएगा, आपको उसकी “भार” या “सहनशीलता” महसूस होगी—जैसे वास्तविक रूप में हो रहा हो ।

📝 निष्कर्ष

H2L का Capsule Interface ना सिर्फ remote-control में क्रांति है बल्कि human-machine synergy का नया मुकाम भी है। धीरे-धीरे यह तकनीक business, healthcare, agriculture, disaster management और मनोरंजन जैसे क्षेत्रों में अपनाई जाएगी।

News

नई दिल्ली, 19 जुलाई, 2025 – एयर इंडिया की हालिया AI171 उड़ान दुर्घटना की जांच से संबंधित रिपोर्टों की कवरेज को लेकर दो प्रमुख अंतरराष्ट्रीय मीडिया घरानों – रॉयटर्स और वॉल स्ट्रीट जर्नल – को भारतीय पायलट संघों से कानूनी नोटिस मिले हैं। ये नोटिस इन मीडिया घरानों पर “चयनात्मक और असत्यापित रिपोर्टिंग” का आरोप लगाते हैं, जिससे पायलटों की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुँचा है और मृतकों के परिवारों को अनावश्यक परेशानी हुई है।

12 जून, 2025 को अहमदाबाद में एयर इंडिया की उड़ान AI171 के दुर्घटनाग्रस्त होने के बाद, जिसमें 260 लोग मारे गए थे, विमान दुर्घटना जांच ब्यूरो (AAIB) ने एक प्रारंभिक रिपोर्ट जारी की। इस रिपोर्ट में कहा गया था कि विमान के इंजन के ईंधन नियंत्रण स्विच (fuel control switches) उड़ान भरने के तुरंत बाद ‘रन’ से ‘कटऑफ’ स्थिति में चले गए थे, जिससे दोनों इंजनों को ईंधन की आपूर्ति बंद हो गई थी। हालांकि, रिपोर्ट में यह स्पष्ट नहीं किया गया था कि स्विच कैसे बंद हुए।

मीडिया कवरेज और पायलट संघों की प्रतिक्रिया:
वॉल स्ट्रीट जर्नल और रॉयटर्स सहित कुछ अंतरराष्ट्रीय मीडिया आउटलेट्स ने रिपोर्टें प्रकाशित कीं, जिसमें कथित तौर पर कॉकपिट रिकॉर्डिंग का हवाला देते हुए सुझाव दिया गया कि दुर्घटना का कारण पायलट की गलती या कॉकपिट में भ्रम था, विशेष रूप से यह दावा किया गया कि कप्तान ने जानबूझकर ईंधन स्विच बंद कर दिए थे।
इन रिपोर्टों के जवाब में, फेडरेशन ऑफ इंडियन

पायलट्स (FIP) और अन्य पायलट संघों ने इन मीडिया घरानों को कानूनी नोटिस भेजे हैं। FIP के अध्यक्ष कैप्टन सी.एस. रंधावा ने पुष्टि की है कि नोटिस भेज दिए गए हैं और “चयनात्मक और असत्यापित रिपोर्टिंग” के लिए सार्वजनिक माफी की मांग की गई है। पायलट संघों का तर्क है कि ये रिपोर्टें निराधार हैं

और बिना पुख्ता सबूतों के पायलटों पर दोष मढ़ रही हैं। उन्होंने कहा कि ऐसी रिपोर्टिंग “गैर-जिम्मेदाराना” है, खासकर जब जांच अभी जारी है।
AAIB और NTSB की टिप्पणी:

AAIB ने स्वयं अंतरराष्ट्रीय मीडिया से “चयनात्मक और असत्यापित रिपोर्टिंग” के प्रति संवेदनशीलता दिखाने और पीड़ितों के परिवारों का सम्मान करने का आग्रह किया है। उन्होंने जोर दिया है कि जांच अभी भी जारी है और किसी निश्चित निष्कर्ष पर पहुंचना जल्दबाजी होगी। संयुक्त राज्य अमेरिका के राष्ट्रीय परिवहन सुरक्षा बोर्ड (NTSB) की अध्यक्ष जेनिफर होमंडी ने भी मीडिया रिपोर्टों को “समय से पहले और अटकलबाजी” बताया है।

एयर इंडिया के बयान और संचालन में बदलाव:
एयर इंडिया ने कहा है कि वह AAIB की प्रारंभिक रिपोर्ट प्राप्त कर चुका है और जांच में पूरी तरह सहयोग कर रहा है। एयरलाइन ने AI171 त्रासदी से प्रभावित परिवारों के साथ एकजुटता व्यक्त की है और समर्थन प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध है।

दुर्घटना के बाद, एयर इंडिया ने “सुरक्षा विराम” के रूप में अपनी अंतरराष्ट्रीय उड़ानों में आंशिक कटौती की थी। एयर इंडिया ने 15 जुलाई, 2025 को घोषणा की कि 1 अगस्त से कुछ आवृत्तियों की बहाली के साथ, जुलाई के सापेक्ष अनुसूचियों की आंशिक बहाली होगी, और पूर्ण बहाली 1 अक्टूबर, 2025 से करने की योजना है। इसमें अहमदाबाद-लंदन (हीथ्रो) के लिए नई सीधी उड़ानें और दिल्ली-लंदन (हीथ्रो), दिल्ली-ज्यूरिख, दिल्ली-टोक्यो (हानेडा), और दिल्ली-सियोल (इंचियोन) जैसे मार्गों पर उड़ानों की संख्या में वृद्धि शामिल है।
आगामी घटनाक्रम:

जांच अभी भी जारी है, और पायलट संघों ने मीडिया से अंतिम रिपोर्ट जारी होने तक किसी भी अटकलबाजी या दोषारोपण से बचने का आग्रह किया है। कानूनी नोटिस पर मीडिया घरानों की प्रतिक्रिया और AAIB की अंतिम रिपोर्ट का इंतजार है।

E-commerce

हालिया रिपोर्टों के अनुसार,

लोकप्रिय सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म टिकटॉक ने अपने अमेरिकी ई-कॉमर्स व्यवसाय को गति देने के लिए अमेज़ॅन के कई कर्मचारियों को अपनी ओर आकर्षित किया है। यह कदम टिकटॉक की वैश्विक विस्ताr रणनीति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा था, विशेषकर अमेरिका जैसे बड़े और प्रतिस्पर्धी बाजार में। हालांकि, ताजा घटनाक्रम बताते हैं कि कंपनी अब अपनी चीनी जड़ों की ओर वापस लौट रही है, जिससे उसके अमेरिकी परिचालन की दिशा पर सवाल खड़े हो गए हैं।
अमेज़ॅन से प्रतिभा का अधिग्रहण
टिकटॉक ने अपने अमेरिकी ई-कॉमर्स उद्यम,

‘शॉप’ (Shop) को लॉन्च करने के लिए अमेज़ॅन से भारी संख्या में भर्तियां कीं। अमेज़ॅन, ई-कॉमर्स की दुनिया में एक दिग्गज है, और उसके कर्मचारियों के पास इस क्षेत्र में गहन अनुभव और विशेषज्ञता है। टिकटॉक का मानना था कि इन अनुभवी पेशेवरों को नियुक्त करके, वे अमेरिकी बाजार में तेजी से अपनी पकड़ बना पाएंगे और अमेज़ॅन के स्थापित मॉडल से सीखकर अपनी रणनीति को आकार दे पाएंगे।

रिपोर्ट्स के अनुसार, टिकटॉक ने अमेज़ॅन के “प्लेबुक” की नकल की। इसका मतलब है कि उन्होंने अमेज़ॅन की सफल ई-कॉमर्स रणनीतियों, प्रक्रियाओं और ढांचों का अध्ययन किया और उन्हें अपने सिस्टम में लागू करने का प्रयास किया। अमेज़ॅन के पूर्व कर्मचारियों की भर्ती ने इस प्रक्रिया को और भी सुगम बनाया, क्योंकि वे अमेज़ॅन की आंतरिक कार्यप्रणाली और व्यापारिक रहस्यों से परिचित थे। इन पूर्व कर्मचारियों को विशेष रूप से विक्रेताओं को आकर्षित करने और टिकटॉक की अमेरिकी रणनीति को तैयार करने में मदद करने के लिए नियुक्त किया गया था। इस प्रकार, टिकटॉक ने एक प्रकार से शॉर्टकट लेकर अमेरिकी ई-कॉमर्स बाजार में अपनी पैठ बनाने की कोशिश की।

अमेरिकी परिचालन से चीनी नेतृत्व की ओर बदलाव
यह रणनीति कुछ समय तक चली, लेकिन हाल ही में टिकटॉक के आंतरिक ढांचे में बड़े बदलाव देखे गए हैं। छंटनी, पुनर्गठन और महत्वपूर्ण पदों से कई अधिकारियों के बाहर निकलने के बाद, कंपनी अब अमेरिकी नेतृत्व से शक्ति को चीनी नेताओं की ओर स्थानांतरित कर रही है। यह बदलाव कई कारणों से हो सकता है, जिनमें चीन में कंपनी के मूल संगठन बाइटडांस (ByteDance) का बढ़ता नियंत्रण, वैश्विक रणनीतियों का केंद्रीकरण, या अमेरिकी बाजार में अपेक्षित सफलता न मिलना शामिल है।

इस बदलाव का अमेरिकी परिचालन पर गहरा प्रभाव पड़ सकता है। अमेरिकी ई-कॉमर्स बाजार की अपनी विशिष्टताएं हैं, और स्थानीय नेतृत्व अक्सर इसे बेहतर तरीके से समझता है। चीनी नेतृत्व के हाथों में अधिक शक्ति का मतलब अमेरिकी बाजार की बारीकियों को समझने में चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है, या फिर कंपनी की रणनीति चीन के दृष्टिकोण से अधिक प्रभावित हो सकती है। यह भी संभव है कि भू-राजनीतिक तनाव और डेटा सुरक्षा को लेकर बढ़ती चिंताओं ने टिकटॉक को अपनी मूल कंपनी के साथ संबंधों को मजबूत करने के लिए प्रेरित किया हो।
संभावित निहितार्थ
इस रणनीतिक बदलाव के कई संभावित निहितार्थ हैं:

अमेरिकी बाजार में चुनौतियां: अमेरिकी ई-कॉमर्स बाजार अत्यंत प्रतिस्पर्धी है, जिसमें अमेज़ॅन, वॉलमार्ट और ईबे जैसे बड़े खिलाड़ी पहले से ही स्थापित हैं। यदि टिकटॉक का अमेरिकी परिचालन अब चीनी नेतृत्व के अधीन अधिक होगा, तो यह स्थानीय बाजार की आवश्यकताओं और उपभोक्ता व्यवहार को समझने में बाधाएं उत्पन्न कर सकता है।

प्रतिभा पलायन: यदि अमेरिकी कर्मचारियों को यह महसूस होता है कि उनके पास निर्णय लेने की शक्ति कम हो रही है, तो प्रतिभाशाली कर्मचारी कंपनी छोड़कर जा सकते हैं, जिससे टिकटॉक की अमेरिकी टीम की क्षमता पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।

सरकारी जांच: टिकटॉक पहले से ही अमेरिका में अपनी चीनी जड़ों और डेटा सुरक्षा प्रथाओं को लेकर जांच के दायरे में है। शक्ति का चीनी नेतृत्व की ओर स्थानांतरण इन चिंताओं को और बढ़ा सकता है, जिससे नियामक बाधाएं उत्पन्न हो सकती हैं।

वैश्विक रणनीति का संरेखण: यह कदम टिकटॉक की वैश्विक रणनीतियों को बाइटडांस के व्यापक उद्देश्यों के साथ संरेखित करने का एक प्रयास भी हो सकता है, जिससे वैश्विक स्तर पर एक अधिक सुसंगत परिचालन मॉडल बन सके।
निष्कर्ष

टिकटॉक का अमेज़ॅन से प्रतिभा का अधिग्रहण और उसके बाद अमेरिकी परिचालन से चीनी नेतृत्व की ओर शक्ति का स्थानांतरण, कंपनी की वैश्विक महत्वाकांक्षाओं और चुनौतियों का एक दिलचस्प मामला प्रस्तुत करता है। यह देखना बाकी है कि यह रणनीतिक बदलाव टिकटॉक के अमेरिकी ई-कॉमर्स व्यवसाय के भविष्य को कैसे आकार देगा और क्या कंपनी अमेरिका में अपनी जगह बना पाएगी या अपनी चीनी जड़ों पर अधिक ध्यान केंद्रित करेगी। यह निश्चित रूप से वैश्विक प्रौद्योगिकी और ई-कॉमर्स परिदृश्य में एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम है, जिसका प्रभाव आने वाले समय में स्पष्ट होगा।

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यमन में भारतीय नर्स निमिशा प्रिया को 16 जुलाई को होने वाली फांसी टल गई है, जिससे उनके परिवार, भारत सरकार और मुस्लिम धर्मगुरुओं ने राहत की सांस ली है। इस मामले में दुनियाभर की निगाहें टिकी हुई थीं। माना जा रहा है कि इस फैसले में भारत के ग्रैंड मुफ्ती शेख अबू बकर अहमद की महत्वपूर्ण भूमिका रही है, जिन्होंने यमन से फांसी रोकने का अनुरोध किया था।

ग्रैंड मुफ्ती अबू बकर अहमद: एक संक्षिप्त परिचय
शेख अबू बकर अहमद, जिन्हें कंठपुरम एपी अबू बकर मुसलियार के नाम से भी जाना जाता है, भारत के 10वें ग्रैंड मुफ्ती हैं। वह भारत में सुन्नी मुस्लिम समुदाय के प्रमुख शख्सियतों में से एक हैं। उनका जन्म 22 मार्च 1931 को केरल के कोझिकोड में हुआ था।

24 फरवरी 2019 को नई दिल्ली के रामलीला मैदान में आयोजित गरीब नवाज शांति सम्मेलन में उन्हें अखिल भारतीय तंजीम उलेमा-ए-इस्लाम द्वारा ग्रैंड मुफ्ती चुना गया था। यह पद उन्होंने जुलाई 2018 में नौवें ग्रैंड मुफ्ती मोहम्मद अख्तर रजा खान कादरी के निधन के बाद संभाला। अबू बकर इस पद पर आसीन होने वाले दक्षिण भारत के पहले मौलवी हैं।

ग्रैंड मुफ्ती की भूमिका और सामाजिक योगदान
भारतीय ग्रैंड मुफ्ती की भूमिका देश और दुनिया में महत्वपूर्ण मानी जाती है। वे फतवे जारी करने और धार्मिक व सामाजिक मामलों पर मार्गदर्शन प्रदान करने का कार्य करते हैं।

शेख अबू बकर शांति के प्रबल समर्थक रहे हैं। उन्होंने 2014 में ISIS के खिलाफ शुरुआती फतवे जारी किए थे और भारत के विविध समाज में धर्मनिरपेक्षता की भावना को बढ़ावा दिया है। उन्होंने अरबी, उर्दू और मलयालम में 60 से अधिक किताबें लिखी हैं। इसके अतिरिक्त, वे 12,000 से अधिक प्राथमिक विद्यालयों, 11,000 माध्यमिक विद्यालयों और 638 कॉलेजों सहित कई शैक्षणिक व सांस्कृतिक संस्थानों का संचालन करते हैं।

उनके सामाजिक कार्यों के लिए उन्हें कई पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है, जिनमें 2021 में यूएई का गोल्डन वीजा, 2023 में मलेशिया का तोहक मॉल हिजरा पुरस्कार, और 2008 में सऊदी अरब का इस्लामिक हेरिटेज पुरस्कार शामिल हैं। अबू बकर ‘दुनिया के 500 प्रभावशाली मुस्लिमों’ की सूची में भी रह चुके हैं और उन्होंने कई वैश्विक सम्मेलनों में भारतीय मुसलमानों का प्रतिनिधित्व किया है, जिसमें पोप फ्रांसिस जैसी हस्तियों के साथ बैठकें और शेख जायद अंतर्राष्ट्रीय शांति सम्मेलन जैसे कार्यक्रम शामिल हैं।
निमिषा प्रिया मामले में आगे की राह

हालांकि निमिषा प्रिया की फांसी टल गई है, लेकिन अभी भी यह मामला पूरी तरह सुलझा नहीं है। खबर है कि पीड़ित के परिवार वाले ब्लड मनी के लिए तैयार नहीं हैं, और उन्हें मनाने की कोशिशें लगातार जारी हैं। अब देखना होगा कि इस मामले में आगे क्या होता है।

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मुंबई, भारत:

आज, 15 जुलाई, 2025 को इलेक्ट्रिक वाहन निर्माता Tesla भारत में अपना पहला शोरूम खोलने के लिए तैयार है, जो देश के ऑटोमोबाइल बाजार में एक नए अध्याय की शुरुआत करेगा। हालांकि, दुनिया की सबसे मूल्यवान इलेक्ट्रिक वाहन कंपनी बनने का Tesla का सफर चुनौतियों और कड़े संघर्षों से भरा रहा है, जिसमें संस्थापक एलोन मस्क को भी व्यक्तिगत रूप से भारी मुश्किलों का सामना करना पड़ा।

शुरुआत के दिन:

दो इंजीनियरों का एक सपना

Tesla की नींव 1 जुलाई, 2003 को मार्टिन एबरहार्ड और मार्क टारपेनिंग ने रखी थी। इलेक्ट्रॉनिक्स और सॉफ्टवेयर पृष्ठभूमि से आने वाले इन दोनों इंजीनियरों का सपना एक ऐसी स्पोर्ट्स कार बनाना था जो तेज़, खूबसूरत और पर्यावरण के अनुकूल हो, लेकिन पेट्रोल-डीजल से नहीं चले। लिथियम-आयन बैटरी की संभावनाओं से प्रेरित होकर, उन्होंने AC Propulsion के साथ मिलकर अपना पहला इलेक्ट्रिक प्रोटोटाइप बनाया, जिसने आगे चलकर आइकॉनिक ‘रोडस्टर’ का आधार तैयार किया।

एलोन मस्क की एंट्री और रोडस्टर का जन्म
2004 में, एलोन मस्क ने Tesla में $6.5 मिलियन (लगभग ₹56 करोड़) का निवेश किया और कंपनी के चेयरमैन बने। उस समय मस्क अपनी स्पेसएक्स (SpaceX) कंपनी पर भी काम कर रहे थे। इंजीनियर जेबी स्ट्रॉबेल ने मस्क को इलेक्ट्रिक कारों की क्षमता से परिचित कराया,

जिससे प्रभावित होकर मस्क ने AC Propulsion की T0 कार को व्यावसायिक रूप देने की कोशिश की। जब इसमें सफलता नहीं मिली, तो वह मार्टिन एबरहार्ड से जुड़े और Tesla में शामिल हो गए।

मस्क के नेतृत्व में, Tesla की पहली कार, ‘रोडस्टर’, को लोटस एलिस चेसिस पर आधारित कर पांच प्रमुख बदलावों के साथ विकसित किया गया। इनमें दरवाजों का डिज़ाइन, चौड़ी सीटें, आधुनिक हेडलाइट्स, हल्की और मजबूत कार्बन फाइबर बॉडी और इलेक्ट्रिक डोर हैंडल शामिल थे, जो बाद में Tesla की पहचान बन गए। इन बदलावों से उत्पादन में देरी हुई और लागत बढ़ी, लेकिन रोडस्टर ने इलेक्ट्रिक क्रांति की शुरुआत के रूप में अपनी जगह बनाई।

2008 की मंदी और अस्तित्व का संकट
2008 में, जब वैश्विक अर्थव्यवस्था भीषण मंदी की चपेट में थी, Tesla भी गहरे संकट में घिर गई। निवेश बंद हो गए थे और कंपनी अपने ग्राहकों से मिली अग्रिम राशि पर निर्भर थी। हालात इतने बिगड़ गए थे कि कर्मचारियों को वेतन देने तक के पैसे नहीं थे। मस्क के दोस्त और बोर्ड सदस्यों ने उन्हें Tesla या SpaceX में से किसी एक को चुनने की सलाह दी, लेकिन मस्क ने दृढ़ता से कहा कि अगर वह Tesla छोड़ देते हैं, तो दुनिया कभी भी इलेक्ट्रिक वाहनों को गंभीरता से नहीं लेगी।

मस्क ने व्यक्तिगत रूप से कर्ज लिया और कंपनी को बचाने के लिए ग्राहकों की जमा राशि का इस्तेमाल किया। हालांकि, कुछ अधिकारियों ने इस पर आपत्ति जताई, लेकिन मस्क ने स्पष्ट कर दिया कि यह “या तो ऐसा करो, वरना हम खत्म हो जाएंगे” जैसी स्थिति थी। सितंबर 2008 तक तनाव इतना बढ़ गया कि मस्क रात भर बेचैन रहते, हाथ-पैर हिलाते और चिल्लाते थे। उनकी तत्कालीन प्रेमिका तालुला रिले ने बताया कि उन्हें डर था कि मस्क को दिल का दौरा पड़ सकता है। आखिरकार, $20 मिलियन की फंडिंग के ज़रिए मस्क कंपनी को डूबने से बचाने में कामयाब रहे।
ईवी क्रांति के अग्रदूत

2008 में रोडस्टर के लॉन्च के साथ, Tesla ने इलेक्ट्रिक स्पोर्ट्स कारों में एक नया मानक स्थापित किया, जो 4 सेकंड में 0 से 60 मील प्रति घंटा की रफ्तार पकड़ सकती थी। हॉलीवुड के दिग्गज जैसे अर्नोल्ड श्वार्ज़नेगर और जॉर्ज क्लूनी इसके पहले ग्राहक बने। Tesla ने न केवल उच्च प्रदर्शन वाली इलेक्ट्रिक कारें बनाईं, बल्कि ऑटोपायलट तकनीक, सुपरचार्जर नेटवर्क और बैटरी इनोवेशन के साथ पूरे उद्योग की दिशा बदल दी।
Tesla के असली संस्थापक: एक अनसुलझा विवाद
Tesla के असली संस्थापक को लेकर हमेशा से एक बहस रही है। मार्टिन एबरहार्ड और मार्क टारपेनिंग ने कंपनी की स्थापना की थी। इयान राइट शुरुआती टीम का हिस्सा थे लेकिन 2005 में अलग हो गए। एलोन

मस्क 2004 में एक निवेशक के रूप में आए और धीरे-धीरे सीईओ बन गए, जबकि जेबी स्ट्रॉबेल तकनीकी संस्थापक और लंबे समय तक सीटीओ (CTO) रहे।
2009 में, एबरहार्ड ने मस्क पर मुकदमा दायर किया, लेकिन बाद में एक समझौता हुआ। समझौते के तहत, यह तय किया गया कि एलोन मस्क, मार्टिन एबरहार्ड, मार्क टारपेनिंग, इयान राइट और जेबी स्ट्रॉबेल – इन पांचों को Tesla के सह-संस्थापक कहा जा सकता है।

Tesla का भारत में आगमन, एक ऐसी कंपनी के सफर का प्रमाण है जिसने न केवल तकनीकी सीमाओं को चुनौती दी, बल्कि अनगिनत मुश्किलों और व्यक्तिगत संघर्षों के बावजूद अपने लक्ष्य को प्राप्त किया। यह कहानी सिर्फ एक इलेक्ट्रिक वाहन कंपनी की नहीं, बल्कि दूरदृष्टि, दृढ़ता और नवाचार की शक्ति की भी है

Science

भारत अब इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों के आयात पर अपनी निर्भरता को कम करते हुए, देश के भीतर ही उच्च-तकनीकी वस्तुओं का निर्माण कर रहा है। यह

बदलाव न केवल iPhones, स्मार्ट टीवी और माइक्रोवेव ओवन तक सीमित है, बल्कि इसमें रोबोटिक वैक्यूम क्लीनर, कॉफी बनाने वाली मशीनें, बिल्ट-इन रेफ्रिजरेटर और एयर फ्रायर जैसे पहले आयात किए जाने वाले कई अन्य उत्पाद भी शामिल हैं।

सरकार के सक्रिय समर्थन और इलेक्ट्रॉनिक विनिर्माण के लिए प्रोत्साहन के कारण यह परिवर्तन संभव हुआ है। अब, इन उत्पादों का निर्माण करने वाली कंपनियों को भारतीय मानक ब्यूरो (BIS) से अनिवार्य प्रमाणन प्राप्त करना होगा, जो गुणवत्ता और सुरक्षा मानकों को सुनिश्चित करेगा।

यह पहल ‘आत्मनिर्भर भारत’ की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, जो भारत को वैश्विक विनिर्माण केंद्र के रूप में स्थापित करने और चीन जैसे देशों पर निर्भरता कम करने में मदद करेगा। इस बदलाव से भारतीय अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी और रोजगार के नए अवसर भी सृजित होंगे।

भारत अब केवल उपभोग करने वाला नहीं, बल्कि अत्याधुनिक इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों का निर्माता भी बन रहा है, जिससे ‘ड्रैगन’ की दादागिरी को सीधी चुनौती मिल रही है।

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गुरुग्राम के वजीराबाद इलाके से आई एक खबर ने पूरे देश को सोचने पर मजबूर कर दिया है। 10 जुलाई 2025 की सुबह, 25 वर्षीय टेनिस खिलाड़ी राधिका यादव की हत्या उसके अपने ही घर में हो गई। और इस वारदात में मुख्य आरोपी कोई और नहीं, बल्कि राधिका का अपना पिता दीपक यादव है।

पुलिस के मुताबिक, सुबह करीब 10:30 बजे घर के किचन में राधिका को तीन गोलियां मारी गईं। पड़ोसियों ने पहले तो सोचा कि शायद गैस या कुकर फटा है, लेकिन सच्चाई सामने आने पर सभी सन्न रह गए। राधिका के चाचा कुलदीप यादव उसे अस्पताल ले गए, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी।

पुलिस पूछताछ में दीपक यादव ने कबूल कर लिया कि उसने ही अपनी बेटी की हत्या की। मगर सवाल यह है कि आखिर ऐसा क्यों हुआ?

राधिका कोई आम लड़की नहीं थी। एक सफल टेनिस खिलाड़ी, जिसकी राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान थी। उसने खुद की एकेडमी भी शुरू की थी। बताया जा रहा है कि सोशल मीडिया पर उसकी सक्रियता, दोस्तों के साथ तस्वीरें और वीडियो, म्यूजिक वीडियो में उसका काम करना—ये सब बातें उसके परिवार को खटक रही थीं।

पुलिस जांच में यह भी सामने आया है कि राधिका के पिता को यह बात परेशान करती थी कि समाज उसे ‘बेटी की कमाई पर जीने वाला’ कह रहा था। इसी तनाव ने आखिरकार एक भयावह मोड़ ले लिया।

इस पूरे मामले में कई अनसुलझे पहलू भी हैं। जैसे घटना के वक्त राधिका की मां कहां थी? चाचा और मां दोनों के बयानों में अंतर आ रहा है। राधिका का भाई धीरज भी उस समय घर पर नहीं था। उसकी लोकेशन को लेकर अभी स्थिति स्पष्ट नहीं है।

पुलिस फिलहाल हर पहलू से जांच कर रही है।

लेकिन इस घटना ने एक गहरा सवाल खड़ा कर दिया है:
क्या समाज में बेटियों की सफलता आज भी परिवारों में तनाव का कारण बनती है?
क्या सोशल मीडिया की दुनिया हमारे रिश्तों को इतना कमजोर बना रही है कि घर की चारदीवारी के भीतर ही खून बहने लगे?

राधिका की कहानी एक चेतावनी है कि अगर हम अपनी सोच नहीं बदलेंगे, तो ऐसी घटनाएं बार-बार दोहराई जाएंगी।

बेटियां सिर्फ जिम्मेदारी नहीं, परिवार की शान होती हैं। यह बात समझने का वक्त आ गया है।

pilistine

लाल सागर में लगातार हो रहे हौथी विद्रोहियों के हमलों से बचने के लिए अब अंतरराष्ट्रीय व्यापारिक जहाज एक अनोखी रणनीति अपना रहे हैं। जहाजों ने अपने ऑटोमैटिक आइडेंटिफिकेशन सिस्टम (AIS) प्रोफाइल में यह बताना शुरू कर दिया है कि उनके चालक दल (क्रू) मुस्लिम हैं, और उनका इज़रायल से कोई संबंध नहीं है।

समुद्री ट्रैफिक निगरानी एजेंसियों और LSAGY के अनुसार, बीते सप्ताह सैकड़ों जहाजों ने AIS ट्रैकिंग में अपने प्रोफाइल के साथ संदेश जोड़ना शुरू कर दिया है। इनमें शामिल हैं:

“All Muslim Crew on Board”

“No Ties to Israel”

“Chinese Crew and Management”

“Armed Guards Onboard


इन घोषणाओं का उद्देश्य खुद को हौथी विद्रोहियों की संभावित सूची से बाहर रखना है, ताकि वे लाल सागर में सुरक्षित रह सकें।

हमले क्यों हो रहे हैं?

ईरान समर्थित हौथी संगठन ने स्पष्ट किया है कि यह हमले गाज़ा में फ़िलिस्तीनियों के समर्थन में किए जा रहे हैं। संगठन के प्रमुख अब्दुल मालिक अल-हौथी ने घोषणा की कि “जो भी कंपनी इज़रायल से जुड़ी होगी, उसे निशाना बनाया जाएगा और नष्ट कर दिया जाएगा।”

इसी डर के चलते कई जहाज कंपनियां खुलकर अपना मुस्लिम स्टाफ होने का दावा कर रही हैं और यह भी बता रही हैं कि उनका इज़रायल या अमेरिका से कोई संबंध नहीं है।

सुरक्षा बढ़ाई जा रही है

कई जहाजों ने अपने बोर्ड पर हथियारबंद गार्ड्स की तैनाती भी शुरू कर दी है। कंपनियों को चिंता है कि यदि हौथी विद्रोहियों को उन पर शक हुआ, तो उनका माल और स्टाफ दोनों खतरे में पड़ सकते हैं।


निष्कर्ष:

लाल सागर के हालात दिन-ब-दिन गंभीर होते जा रहे हैं। इस पूरे घटनाक्रम से स्पष्ट है कि वर्तमान वैश्विक राजनीति का असर समुद्री व्यापार और सुरक्षा पर भी गहराई से पड़ रहा है। आने वाले समय में यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या यह “AIS डिक्लेरेशन” रणनीति जहाजों को सच में हौथी खतरे से बचा पाएगी या नहीं।

Sources:

MarineTraffic Reports

LSAGY Maritime Surveillance

लाइव हिंदुस्तान, 12 जुलाई 2025

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11 जुलाई 2025:
दुनिया की सबसे बड़ी टेक्नोलॉजी कंपनियों में शुमार Apple Inc. में भारतीय मूल के एक और टैलेंट का नाम तेजी से चर्चाओं में है। सबिह खान, जो उत्तर प्रदेश से ताल्लुक रखते हैं, इस समय Apple कंपनी में Senior Vice President of Operations के रूप में कार्यरत हैं।

हाल ही में सोशल मीडिया पर उनके बारे में कई भ्रामक दावे वायरल हुए कि उन्हें Apple का नया CEO या COO बना दिया गया है, लेकिन कंपनी की आधिकारिक वेबसाइट और वैश्विक मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार ऐसा कोई ऐलान नहीं हुआ है। फिर भी यह बात पूरी तरह सच है कि सबिह खान Apple में एक बेहद अहम पद पर हैं और उनका योगदान उल्लेखनीय है।


कौन हैं सबिह खान?

सबिह खान का जन्म भारत के उत्तर प्रदेश में हुआ, लेकिन उनका बचपन सिंगापुर में बीता। बाद में उनका परिवार अमेरिका चला गया, जहां उन्होंने अपनी पढ़ाई और करियर की नींव रखी। उन्होंने Tufts University से Economics और Mechanical Engineering में स्नातक की डिग्री प्राप्त की। इसके बाद उन्होंने Rensselaer Polytechnic Institute (RPI) से Mechanical Engineering में मास्टर्स किया।


Apple में 30 वर्षों का योगदान

सबिह खान साल 1995 से Apple के साथ जुड़े हुए हैं। शुरुआत में वह एक इंजीनियर के रूप में GE Plastics में कार्यरत थे, लेकिन Apple में आने के बाद उन्होंने कंपनी की सप्लाई चेन और ऑपरेशनल स्ट्रैटेजी को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया।

वर्तमान में वह Apple के Senior Vice President of Operations हैं और कंपनी की ग्लोबल सप्लाई चेन, मैन्युफैक्चरिंग, लॉजिस्टिक्स, और सस्टेनेबिलिटी इनिशिएटिव्स को संभालते हैं। वह सीधे Apple के Chief Operating Officer Jeff Williams को रिपोर्ट करते हैं।



वायरल खबरों की सच्चाई क्या है?

हाल के दिनों में सोशल मीडिया पर यह गलत दावा किया गया कि सबिह खान को Apple का नया CEO या COO नियुक्त किया गया है। हालांकि, Apple की ऑफिशियल लीडरशिप लिस्ट के मुताबिक:

CEO अभी भी टिम कुक (Tim Cook) हैं।

COO की जिम्मेदारी अब भी जेफ विलियम्स (Jeff Williams) के पास है।

सबिह खान COO नहीं, बल्कि SVP of Operations हैं।


इसलिए इन खबरों को शेयर करने से पहले जांच करना जरूरी है।



भारत के लिए गर्व की बात हैं

सबिह खान की उपलब्धि, भले ही COO या CEO न हो, फिर भी एक बहुत बड़ी प्रेरणा है। एक भारतीय मूल का व्यक्ति जो एक छोटे शहर से निकलकर दुनिया की सबसे बड़ी टेक कंपनी के ऑपरेशन्स को लीड कर रहा है, यह भारत के युवाओं के लिए एक मिसाल है।

वह सत्य नडेला (Microsoft), सुंदर पिचाई (Google) और अर्जुन जैन (Adobe) जैसे भारतीय मूल के लीडर्स की लिस्ट में शामिल नहीं हुए हैं, लेकिन उनकी भूमिका भी कम नहीं है।


निष्कर्ष

✅ सबिह खान Apple में उच्च पद पर हैं।

❌ उन्हें अभी तक CEO या COO नहीं बनाया गया है।

🔍 सोशल मीडिया पर फैली खबरें भ्रामक हैं।

🌍 वह 30 वर्षों से Apple के लिए महत्वपूर्ण कार्य कर रहे हैं।



📌 अगर आपको इस खबर में कोई अपडेट या फैक्ट चेक जोड़ना हो, तो हमारी टीम से संपर्क करें। सच को फैलाना ज़रूरी है।

✍️ रिपोर्ट: TheMuslim786.com न्यूज डेस्क
📅 तारीख: 11 जुलाई 2025

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लाहौर, पाकिस्तान | 9 जुलाई 2025
पाकिस्तानी फिल्म और टीवी इंडस्ट्री की जानी-मानी अभिनेत्री हुमैरा असघर अली की मौत की खबर ने पूरी एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री को झकझोर दिया है। 32 वर्षीय अभिनेत्री का शव उनके अपार्टमेंट से सड़ी-गली हालत में बरामद हुआ। पुलिस ने बताया कि शव ‘अत्यधिक सड़न की स्थिति’ में था और आशंका है कि उनकी मौत को कई दिन, यहां तक कि हफ्ते बीत चुके थे।

मकान मालिक ने शिकायत की थी

यह दिल दहला देने वाला मामला तब सामने आया जब मकान मालिक ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई कि हुमैरा ने 2024 से कोई किराया नहीं दिया है और कई बार संपर्क करने के बावजूद जवाब नहीं मिला। जब मकान मालिक को उनके फ्लैट से बदबू आने लगी, तो उन्होंने आखिरकार अधिकारियों को बुलाया।

पुलिस और लोकल अथॉरिटी ने जब लॉक तोड़कर अंदर प्रवेश किया, तो देखा कि हुमैरा असघर अली का शरीर बुरी तरह डिकम्पोज हो चुका था।

अकेली रह रही थीं, कोई मिलने नहीं आता था

पुलिस अधिकारियों ने बताया कि हुमैरा पिछले कुछ समय से तनहाई में रह रही थीं और न तो किसी रिश्तेदार ने उनसे संपर्क किया था, न ही कोई दोस्त मिलने आया। आसपास के लोग भी बस उन्हें एकांतप्रिय मानते थे और लंबे समय से उन्हें आते-जाते नहीं देखा गया था।

मौत का कारण जांच के अधीन

हुमैरा के शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया है और पुलिस ने जांच शुरू कर दी है। अभी तक मौत का सटीक कारण पता नहीं चला है, लेकिन प्राथमिक रूप से किसी आपराधिक गतिविधि के सबूत नहीं मिले हैं।

एक उभरती हुई अदाकारा

हुमैरा असघर अली को पाकिस्तानी टेलीविजन सीरियल्स और वेब शोज़ में उनकी भूमिकाओं के लिए जाना जाता था। उन्होंने मॉडलिंग से अपने करियर की शुरुआत की थी और धीरे-धीरे अभिनय में कदम रखा। हालांकि पिछले कुछ वर्षों से वह मुख्यधारा से दूरी बनाए हुए थीं।

सोशल मीडिया पर शोक की लहर

जैसे ही यह खबर सामने आई, सोशल मीडिया पर हुमैरा के फैन्स और इंडस्ट्री से जुड़े लोगों ने दुख व्यक्त करना शुरू कर दिया। कई सितारों ने उनकी अकेली और दर्दनाक मौत पर अफसोस जताया और सरकार से कलाकारों के मानसिक स्वास्थ्य और वित्तीय हालात को लेकर नीति बनाने की अपील की।

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🗓 प्रकाशित: 09 जुलाई 2025 |

प्रस्तावना

मध्य पूर्व में बढ़ते तनाव और रणनीतिक चुनौतियों के बीच, इजरायल ने अपनी सेना के लिए एक अहम और चौंकाने वाला आदेश जारी किया है। इजरायली खुफिया एजेंसियों ने अब सभी सैनिकों और अधिकारियों के लिए अरबी भाषा और इस्लाम धर्म का अध्ययन अनिवार्य कर दिया है।

यह आदेश न केवल इजरायल की रणनीतिक सोच में बदलाव को दर्शाता है, बल्कि यह भी दिखाता है कि अब युद्ध सिर्फ हथियारों से नहीं, बल्कि संस्कृति, भाषा और समझदारी से भी लड़ा जाएगा।



क्या कहा इजरायली खुफिया निदेशालय ने?

इजरायल के खुफिया निदेशालय ने स्पष्ट रूप से कहा है कि:

> “अब सेना के हर स्तर के जवान और अधिकारी, चाहे वह किसी भी विभाग या पद पर हों, उन्हें अरबी भाषा और इस्लाम धर्म की बुनियादी समझ होना ज़रूरी है। यह अध्ययन अब एक “रणनीतिक आवश्यकता” बन गया है।”



यह आदेश केवल सैन्य प्रशिक्षण का हिस्सा नहीं बल्कि इजरायल की राष्ट्रीय सुरक्षा नीति का एक नया स्तंभ बनता जा रहा है।



इस रणनीति के पीछे नेतन्याहू का मकसद क्या है?

प्रधानमंत्री बिन्यामिन नेतन्याहू ने इस कदम को एक दीर्घकालिक रणनीति का हिस्सा बताया है। सूत्रों के अनुसार, यह आदेश निम्नलिखित कारणों से प्रेरित है:

अरब देशों से बढ़ते टकराव और गाज़ा वेस्ट बैंक जैसे इलाकों में खुफिया विफलताओं से सीख लेना।

स्थानीय जनसंख्या और दुश्मन संगठनों की “सोच, विश्वास और भाषा” को गहराई से समझना।

इजरायली सैनिकों द्वारा मुस्लिम समाज में गुप्त रूप से काम करने की क्षमता बढ़ाना।


नेतन्याहू मानते हैं कि दुश्मन को हराने के लिए उसकी संस्कृति को समझना अनिवार्य है।

सेना में बदलाव: सॉफ्ट पावर और इंटेलिजेंस की ओर रुख

इस नीति के लागू होने के बाद इजरायली सेना अब एक नई दिशा की ओर बढ़ रही है:

सभी जवानों को अरबी भाषा की शिक्षा दी जाएगी

सेना के प्रशिक्षण पाठ्यक्रम में इस्लाम धर्म के इतिहास, आस्था, त्योहारों और धार्मिक सिद्धांतों को जोड़ा गया है।

कुछ विशेष यूनिट्स को ‘इंटरफेथ इंटेलिजेंस ट्रेनिंग’ दी जाएगी ताकि वे मुस्लिम समुदाय में बिना पहचाने काम कर सकें।



विशेषज्ञों की राय: यह एक चतुर रणनीति

मध्य-पूर्व मामलों के जानकारों का मानना है कि यह कदम बेहद चतुराई भरा है। इससे इजरायल की इंटेलिजेंस क्षमता बढ़ेगी, और वह “मनोवैज्ञानिक युद्ध” में भी आगे रहेगा।

हालांकि, आलोचकों का मानना है कि यह फैसला मुस्लिमों की जासूसी या निगरानी बढ़ाने का इशारा भी हो सकता है, जिससे भविष्य में भरोसे की खाई और गहरी हो सकती है।



निष्कर्ष

इजरायल का यह कदम केवल एक सैन्य आदेश नहीं बल्कि भविष्य की युद्धनीति का एक संकेत है — जहां भाषा, धर्म और सामाजिक समझ भी हथियार होंगे। नेतन्याहू का यह फैसला पूरी दुनिया के लिए एक नया उदाहरण बन सकता है, विशेषकर उन देशों के लिए जो धार्मिक और भाषाई बहुलता वाले क्षेत्रों में काम कर रहे हैं।

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गुजरात के आनंद और वडोदरा को जोड़ने वाले एक पुल के ढहने से एक बड़ा हादसा सामने आया है। यह ब्रिज अचानक टूट गया, जिससे कई वाहन सीधे नदी में जा गिरे। हादसे के वक्त एक भारी टैंकर पुल के ऊपर से गुजर रहा था, जो अब भी आधा टूटा पुल पर खतरनाक स्थिति में लटका हुआ दिखाई दे रहा है।

इस हादसे ने न सिर्फ कई जिंदगियों को खतरे में डाला है, बल्कि पुल की गुणवत्ता, निर्माण प्रक्रिया और सरकारी निगरानी व्यवस्था पर भी गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। फिलहाल राहत और बचाव कार्य जारी है, लेकिन हादसे के कारणों की पड़ताल शुरू हो चुकी है।

सवालों के घेरे में निर्माण एजेंसियां और सरकारी तंत्र

ऐसे हादसों के बाद आमतौर पर मीडिया की भूमिका काफी महत्वपूर्ण होती है, लेकिन इस बार भी स्थिति वही पुरानी लग रही है। जहां जनता सरकार से जवाब चाहती है, वहीं कुछ मीडिया चैनल ध्यान भटकाने का काम कर सकते हैं। संभावना है कि ठेकेदार, इंजीनियर और मजदूरों को दोषी ठहराकर सरकार को बचाने की कोशिशें की जाएंगी।

टीवी डिबेट्स में शायद इस हादसे की तुलना किसी और पुराने मामले से कर दी जाएगी और दोषियों को मासूम दिखाने की कोशिश होगी।

पुल गिरने की संभावित वजहें:

घटिया निर्माण सामग्री का इस्तेमाल

गुणवत्ता नियंत्रण की कमी

समय पर निरीक्षण न होना

सरकारी तंत्र की लापरवाही


जनता का सवाल:

इस पुल की उम्र कितनी थी?

इसकी मरम्मत या निरीक्षण कब हुआ था?

जिम्मेदार कौन है – ठेकेदार, इंजीनियर, या सरकार?


निष्कर्ष:

यह हादसा एक बार फिर से भारत की बुनियादी ढांचे की जर्जर स्थिति और प्रशासनिक लापरवाही की पोल खोलता है। जब तक पारदर्शी जांच और सख्त कार्रवाई नहीं होगी, तब तक ऐसी घटनाएं दोहराई जाती रहेंगी। जनता को केवल बहलाने और ध्यान भटकाने से अब काम नहीं चलेगा।

News

9 जुलाई 2025 —
एलन मस्क की कंपनी X (पूर्व में ट्विटर) ने भारत सरकार के एक हालिया कदम को लेकर गंभीर आपत्ति जताई है। कंपनी का कहना है कि सरकार ने बिना कोई सार्वजनिक कारण बताए, 3 जुलाई को 2000 से अधिक सोशल मीडिया अकाउंट्स को भारत में ब्लॉक करने का आदेश दिया, जो प्रेस की स्वतंत्रता और अभिव्यक्ति के अधिकार पर सवाल खड़े करता है।

एक्स का बयान

X की ओर से एक आधिकारिक बयान में कहा गया:

> “हमें 3 जुलाई को भारत सरकार की ओर से 2000+ अकाउंट्स को ब्लॉक करने का निर्देश मिला। आदेश कानूनी रूप से बाध्यकारी था, इसलिए हमने इसका पालन किया। हालांकि, हम इस आदेश से असहमत हैं और प्रेस की स्वतंत्रता के समर्थन में खड़े हैं।”



X ने यह भी स्पष्ट किया कि उसने सरकार के निर्देशों का पालन तो किया, लेकिन उसे यह कदम मीडिया की आजादी और पारदर्शिता के खिलाफ प्रतीत होता है।

रॉयटर्स से जुड़ी अकाउंट्स की चर्चा

कुछ रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस ब्लॉकेज की लिस्ट में ब्रिटेन की प्रसिद्ध न्यूज़ एजेंसी रॉयटर्स से जुड़े कुछ पत्रकारों या सहयोगियों के सोशल मीडिया हैंडल भी शामिल हो सकते हैं, हालांकि रॉयटर्स की ओर से अभी तक इस पर कोई आधिकारिक टिप्पणी नहीं की गई है।

सरकार की ओर से कोई सार्वजनिक स्पष्टीकरण नहीं

भारत सरकार ने इन अकाउंट्स को ब्लॉक करने के पीछे की वजह सार्वजनिक रूप से साझा नहीं की है। आमतौर पर ऐसे मामलों में राष्ट्रीय सुरक्षा, अफवाह फैलाने या देश विरोधी गतिविधियों को कारण बताया जाता है, लेकिन इस बार भी आदेश की वजह को गोपनीय रखा गया है।



क्या कहती है मीडिया की आजादी?

इस घटना ने एक बार फिर सवाल उठाया है कि क्या भारत में डिजिटल स्पेस में अभिव्यक्ति की आजादी सुरक्षित है? X जैसी ग्लोबल कंपनी का विरोध जताना यह दिखाता है कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी इस निर्णय पर चिंता व्यक्त की जा रही है।

News

सना (यमन), 9 जुलाई 2025 –
यमन की अदालत ने भारतीय नर्स निमिषा प्रिया को फांसी देने की तारीख तय कर दी है। 16 जुलाई 2025 को उन्हें सज़ा-ए-मौत दी जाएगी। यह खबर सुनते ही भारत में चिंता की लहर दौड़ गई है, खासतौर पर केरल राज्य में, जहां से निमिषा प्रिया ताल्लुक रखती हैं।

कौन हैं निमिषा प्रिया?

निमिषा प्रिया एक अनुभवी नर्स हैं जो इलाज के क्षेत्र में काम करने के लिए साल 2008 में यमन गई थीं। वहां उन्होंने मेडिकल क्लिनिक खोला और यमन के एक नागरिक खालिद अल-असादी के साथ मिलकर व्यवसाय शुरू किया। लेकिन बाद में दोनों के बीच मतभेद हुए और विवाद इतना बढ़ा कि निमिषा ने कथित रूप से खालिद को जान से मारने के इरादे से दवा का इंजेक्शन दे दिया।



अब क्यों आई फांसी की तारीख?

7 सालों तक चले ट्रायल के बाद यमन की अदालत ने निमिषा को दोषी पाया और अब उनकी फांसी की तारीख 16 जुलाई 2025 को तय कर दी है।
यमन के कानूनों के अनुसार, अगर मृतक के परिजन दोषी को “दिया” (blood money) के बदले माफ कर दें, तो फांसी रोकी जा सकती है। फिलहाल यही आखिरी उम्मीद बची है।



भारत में हलचल, भावनात्मक अपीलें जारी

भारत में इस खबर के सामने आते ही सोशल मीडिया पर #SaveNimisha और #JusticeForNimisha जैसे हैशटैग ट्रेंड करने लगे हैं। कई सामाजिक कार्यकर्ताओं और एनजीओ ने यमन सरकार और मृतक के परिवार से माफ़ी की गुहार लगाई है। केरल की सरकार भी इस विषय में हस्तक्षेप कर रही है।

भारत सरकार की ओर से विदेश मंत्रालय ने कहा है कि वे यमन में भारतीय दूतावास के माध्यम से अंतिम प्रयास कर रहे हैं ताकि मृतक के परिवार से बातचीत कर समझौते का रास्ता निकाला जा सके।

अब उम्मीदें सिर्फ माफ़ी पर टिकी हैं

अगर 16 जुलाई से पहले कोई समझौता नहीं होता, तो यमन के कानून अनुसार निमिषा को फांसी दी जाएगी। इस पूरे घटनाक्रम को लेकर भारत और यमन के रिश्तों पर भी असर पड़ सकता है।

News

Uae

दुबई: संयुक्त अरब अमीरात (UAE) ने भारतीय नागरिकों के लिए अपने गोल्डन वीजा प्रोग्राम को और अधिक सुलभ बना दिया है। अब भारतीय नागरिक केवल ₹23.30 लाख की फीस देकर यूएई का लाइफटाइम गोल्डन वीजा प्राप्त कर सकते हैं। पहले जहां इसके लिए करोड़ों की प्रॉपर्टी खरीदनी या बड़ी पूंजी निवेश करनी पड़ती थी, अब यह वीजा ज्यादा आसान और सस्ता कर दिया गया है।

क्या है नया बदलाव?

पहले गोल्डन वीजा पाने के लिए आवेदक को करीब ₹4.66 करोड़ की संपत्ति खरीदनी होती थी या फिर भारी भरकम निवेश करना होता था। लेकिन अब यूएई सरकार ने इस नियम में बड़ा बदलाव किया है। नई व्यवस्था के तहत:

फीस: ₹23,30,000 (लगभग 1 लाख दिरहम)

वीजा वैधता: लाइफटाइम

स्पॉन्सर की आवश्यकता: नहीं

ऑनलाइन आवेदन शुरू: 4 जुलाई से


किन्हें मिल सकता है ये वीजा?

यूएई सरकार ने अब गोल्डन वीजा की पात्रता कई ऐसे प्रोफेशन तक बढ़ा दी है जो पहले इसके अंतर्गत नहीं आते थे। अब निम्नलिखित श्रेणियों के लोग भी आवेदन कर सकते हैं:

1. नर्सें – यदि किसी नर्स को 15 साल या उससे अधिक का कार्य अनुभव है, तो उन्हें गोल्डन वीजा मिलने की पूरी संभावना है।


2. शिक्षक एवं प्रोफेसर – दुबई और रास अल खैमा के प्राइवेट स्कूलों के टीचर्स, प्रिंसिपल्स और कॉलेज प्रोफेसर अब इस स्कीम का हिस्सा बन सकते हैं।


3. सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर, यूट्यूबर व फिल्ममेकर – डिजिटल क्रिएटर्स अब किसी कंपनी से जुड़े बिना ही इस वीजा के लिए पात्र होंगे।


4. गेमिंग और ई-स्पोर्ट्स प्रोफेशनल्स – 25 वर्ष से ऊपर के अनुभवी गेमिंग एक्सपर्ट्स भी इस गोल्डन वीजा को हासिल कर सकते हैं।


5. लक्जरी यॉट ओनर – जिनके पास 40 मीटर या उससे बड़ी निजी नौकाएं (यॉट्स) हैं या जो इस क्षेत्र में कार्यरत हैं, वे भी आवेदन कर सकते हैं।



आवेदन प्रक्रिया कैसी होगी?

वीजा आवेदन प्रक्रिया पूरी तरह ऑनलाइन होगी। इसके लिए आवेदकों को निम्नलिखित दस्तावेज़ और प्रमाण देने होंगे:

पेशेवर अनुभव और योग्यता

कोई आपराधिक रिकॉर्ड नहीं होना चाहिए

पासपोर्ट और अन्य पर्सनल डॉक्यूमेंट्स


आवेदन की समीक्षा यूएई की सरकार खुद करेगी और प्रोफाइल के आधार पर नॉमिनेशन के जरिए वीजा जारी किया जाएगा। प्रक्रिया को पूरा होने में करीब 30 दिन लग सकते हैं।

इस वीजा से मिलने वाले फायदे:

पूरे परिवार को यूएई बुलाने की अनुमति

स्पॉन्सरशिप के ज़रिए घरेलू स्टाफ को भी ला सकते हैं

बिजनेस या फ्रीलांस काम करने की पूरी आजादी

10 साल तक विदेश में रहने की छूट

टैक्स फ्री आय का फायदा


5000 से ज्यादा भारतीयों के आवेदन की उम्मीद

नई पॉलिसी के पहले 3 महीनों में ही 5000 से अधिक भारतीयों के आवेदन आने की संभावना जताई जा रही है। यह यूएई सरकार द्वारा भारत जैसे विशाल टैलेंट बेस को आकर्षित करने का एक बड़ा कदम है।

Tech

📅 8 जुलाई 2025



TikTok की मालिक कंपनी ByteDance ने अमेरिका के लिए CapCut का नया वर्जन लॉन्च करने की योजना बनाई है। ByteDance, जो पहले से ही TikTok के ज़रिए अमेरिका और दुनियाभर में लोकप्रिय है, अब अपने एडिटिंग ऐप CapCut का नया “यूएस-स्पेसिफिक वर्जन” लाने की तैयारी में है।

CapCut, जो वीडियो एडिटिंग के लिए दुनियाभर में उपयोग किया जाता है, अब अमेरिकी उपयोगकर्ताओं के लिए एक अलग, नया संस्करण लाने वाला है — जो न सिर्फ तकनीकी रूप से अपग्रेड होगा, बल्कि अमेरिका के डेटा कानूनों और स्थानीय ज़रूरतों को ध्यान में रखते हुए बनाया जाएगा।



🔍 इस निर्णय के पीछे की बड़ी वजहें:

1. डेटा सिक्योरिटी और यूजर प्राइवेसी:
अमेरिका में चीनी ऐप्स को लेकर डेटा सुरक्षा को लेकर चिंता रही है। ByteDance इस नए CapCut वर्जन के जरिए यह दिखाना चाहता है कि वह अमेरिकी कानूनों और यूजर्स की सुरक्षा को गंभीरता से ले रहा है।


2. लोकप्रियता का फायदा उठाना:
TikTok के बाद CapCut तेजी से युवाओं और कंटेंट क्रिएटर्स के बीच पॉपुलर हो रहा है। अमेरिका में इसका नया संस्करण कंपनी को और भी गहराई से बाज़ार में स्थापित करेगा।


3. स्थानीय ऑपरेशन को मज़बूत करना:
रिपोर्ट के अनुसार, ByteDance अमेरिका में CapCut के ऑपरेशन को और अधिक स्वतंत्र और पारदर्शी बनाने की दिशा में भी काम कर रहा है, जिससे उस पर जासूसी या डेटा चोरी जैसे आरोपों से बचा जा सके।




📱 CapCut क्या है?

CapCut एक मुफ्त वीडियो एडिटिंग ऐप है, जो TikTok के लिए वीडियो तैयार करने वालों के बीच काफी प्रसिद्ध है। इसमें एडवांस्ड फिल्टर्स, ट्रांज़िशन, AI फीचर्स और म्यूजिक इंटीग्रेशन जैसे कई टूल्स उपलब्ध हैं।



🌐 भविष्य की दिशा:

ByteDance की यह रणनीति सिर्फ CapCut तक सीमित नहीं है, बल्कि इससे यह भी स्पष्ट होता है कि कंपनी भविष्य में अन्य डिजिटल प्रोडक्ट्स को भी स्थानीयकरण (localization) के ज़रिए अमेरिका और दूसरे देशों में स्थापित करने की योजना बना रही है।

Tech

लोकप्रिय शॉर्ट वीडियो ऐप टिकटॉक अब एक नए दौर की तैयारी में है। कंपनी की टीम एक नए वर्जन पर काम कर रही है, जिसे फिलहाल ‘M2’ नाम दिया गया है। यह नया वर्जन मौजूदा ऐप की जगह लेगा और इसके सितंबर 2025 तक लॉन्च होने की पूरी संभावना है।

📲 क्या है टिकटॉक M2 ऐप?

टिकटॉक का M2 वर्जन एक नया और उन्नत रूप होगा। इसे पूरी तरह से री-बिल्ड किया जा रहा है ताकि यूज़र्स को बेहतर सिक्योरिटी, फास्ट एक्सपीरियंस और नई तकनीक के साथ जोड़ा जा सके। रिपोर्ट्स के अनुसार, यह वर्जन टिकटॉक के पिछले ऐप से काफी अलग और मॉडर्न होगा।

🔧 क्यों बना रहे हैं नया वर्जन?

डेटा सिक्योरिटी को लेकर कई देशों में टिकटॉक पर सवाल उठे थे।

ऐप को और हल्का, तेज और यूजर फ्रेंडली बनाने की ज़रूरत महसूस की गई।

कंपनी अपने ग्लोबल यूज़र्स बेस को ध्यान में रखकर एक ऐसा वर्जन तैयार करना चाहती है, जो सभी मार्केट्स में काम कर सके।


📅 कब होगा लॉन्च?

रिपोर्ट के अनुसार, सितंबर 2025 तक इसे दुनिया भर में लॉन्च किया जा सकता है।

यह ऐप मौजूदा टिकटॉक को पूरी तरह रिप्लेस करेगा।


🤔 यूज़र्स को क्या करना होगा?

M2 ऐप लॉन्च होते ही पुराने यूज़र्स को नया अपडेट डाउनलोड करना होगा।

संभावना है कि पुराने ऐप को धीरे-धीरे बंद कर दिया जाएगा।



नोट:

टिकटॉक की तरफ से अभी तक आधिकारिक तौर पर M2 ऐप का कोई डेमो या इंटरफ़ेस सार्वजनिक नहीं किया गया है। लेकिन उम्मीद है कि आने वाले हफ्तों में और जानकारियाँ सामने आएंगी।

Tech

1. ✅ AI से बनाए गए वीडियो के लिए नया नियम

अगर आप वीडियो में AI (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) का इस्तेमाल करते हैं (जैसे आवाज़, चेहरा, फोटो या वीडियो), तो अब YouTube को बताना ज़रूरी है।

आपको “Synthetic or AI-altered content” का टैग लगाना होगा।

नहीं बताया तो YouTube वीडियो को हटा सकता है या उम्र की सीमा (age restriction) लगा सकता है।




2. 💰 कमाई (Monetization) के नए नियम

अब YouTube Partner Program में शामिल होने के लिए:

कम से कम 500 सब्सक्राइबर

3,000 घंटे की पब्लिक वॉच टाइम (पिछले 12 महीनों में) या 90 दिनों में 30 लाख शॉर्ट्स व्यूज़ चाहिए।

कमाई के तरीके: Ads, Super Chat, Memberships, Shopping



3. ⚠️ कॉपीराइट स्ट्राइक का नया सिस्टम

अब भी 3 कॉपीराइट स्ट्राइक आने पर चैनल बंद हो सकता है।

लेकिन अब डिस्प्यूट (विवाद) को 7 दिन के अंदर सुलझाया जाएगा।

YouTube ने AI Copyright Checker को और भी तेज और सटीक बनाया है।



4. 🚫 पुनः उपयोग (Reused Content) पर सख्ती

अगर आप दूसरे लोगों के वीडियो को एडिट कर के डालते हैं (जैसे रिएक्शन या कॉम्पिलेशन), तो बिना original commentary या बदलाव के अब उन्हें मोनेटाइज करना मुश्किल होगा।



5. 🖼️ गुमराह करने वाला थंबनेल = स्ट्राइक

अगर वीडियो का थंबनेल भ्रामक (misleading) हुआ — जैसे थंबनेल कुछ और दिखा रहा है, लेकिन वीडियो कुछ और है — तो स्ट्राइक मिलेगा।

3 चेतावनी = 1 हफ्ते का अपलोड बैन



6. 👶 बच्चों के कंटेंट पर सख्त निगरानी

बच्चों के लिए बनाए गए वीडियो में अब कम एड्स (विज्ञापन) दिखाए जाएंगे।

YouTube ने ऑटोमेटिक डिटेक्शन टूल लॉन्च किया है जो बच्चों से जुड़े कंटेंट को पहचानता है।



7. 📚 कम्युनिटी गाइडलाइंस स्ट्राइक में बदलाव

अब हर स्ट्राइक के बाद YouTube की training module पूरी करना जरूरी होगा।

नहीं किया तो अगली गलती पर ज्यादा सज़ा (जैसे ज्यादा समय का बैन) मिलेगा।



8. 🎬 YouTube Shorts के लिए नया बोनस

Shorts क्रिएटर्स को अब YouTube की ओर से हर महीने बोनस मिलेगा (views और engagement पर आधारित)।

इसके लिए नया Shorts Creator Rewards Program शुरू किया गया है।


9. 📝 नोट

YouTube पर काम करने वाले हर क्रिएटर को इन नियमों को ध्यान से समझना और फॉलो करना चाहिए वरना आपकी कमाई, वीडियो की पहुंच और चैनल सब पर असर पड़ सकता है।

THE MUSLIM

करोल बाग, दिल्ली | 4 जुलाई 2025 – रात 10:51 बजे

दिल्ली के करोल बाग इलाके में स्थित विशाल मेगा मार्ट में शुक्रवार रात भीषण आग लग गई। मौके पर 13 दमकल की गाड़ियाँ तुरंत पहुंची और राहत-बचाव कार्य में जुट गईं।

अधिकारियों के अनुसार, इस हादसे में अब तक किसी के घायल होने की सूचना नहीं है, लेकिन एक व्यक्ति के लापता होने की आशंका जताई जा रही है। पुलिस और राहत दल उस व्यक्ति की तलाश में जुटे हैं।

📍 क्या हुआ था घटनास्थल पर?

प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि आग अचानक फैली और पूरे मार्ट को अपनी चपेट में ले लिया।
कुछ ही मिनटों में धुएं और आग की लपटों ने आसपास दहशत फैला दी।

दमकल विभाग ने आग पर काबू पाने की कोशिशें तेज़ कर दी हैं, हालांकि मार्ट में रखा भारी सामान और संरचना के कारण राहत कार्य में परेशानी आ रही है।

🚨 पुलिस की जांच शुरू

पुलिस और अग्निशमन विभाग इस बात की जांच कर रहे हैं कि आग शॉर्ट सर्किट के कारण लगी या इसके पीछे कोई और वजह है।
CCTV फुटेज भी खंगाले जा रहे हैं।

🙏 जन-सुरक्षा की अपील

प्रशासन ने लोगों से अपील की है कि वे घटनास्थल से दूर रहें और अफवाहों पर विश्वास न करें।
लापता व्यक्ति की पहचान सार्वजनिक नहीं की गई है।




📌 यह खबर अपडेट की जा रही है। जैसे ही नई जानकारी आती है, हम इसे जोड़ेंगे।

THE MUSLIM

वैज्ञानिक रिपोर्ट: पुरुषों के स्वास्थ्य पर खतरा


मुख्य बिंदु:

पुरुषों में Y क्रोमोज़ोम समय के साथ कमजोर और छोटा होता जा रहा है।

Testosterone हार्मोन का स्तर घट रहा है।

Shukraanu (Sperm Count) भी दुनियाभर में तेजी से गिर रहा है।


संभावित कारण:

प्लास्टिक से बनने वाले रसायन (जैसे BPA)

तनावपूर्ण जीवनशैली

मिलावटी खानपान

पर्यावरणीय प्रदूषण


इन सब कारणों से पुरुषों की प्रजनन क्षमता (fertility) प्रभावित हो रही है, जिससे लंबे समय में पुरुषों की संख्या में कमी आ सकती है।



🕌 इस्लामी दृष्टिकोण: एक हदीस का संदेश


> “क़यामत की निशानियों में से एक यह होगी कि मर्दों की संख्या कम हो जाएगी और औरतों की संख्या बढ़ जाएगी, यहां तक कि एक मर्द 50 औरतों की देखभाल करेगा।”



मतलब क्या है?

क़यामत से पहले समाज में पुरुषों की संख्या घटेगी।

औरतों की संख्या बहुत अधिक हो जाएगी।

यह एक सामाजिक असंतुलन और समय की बिगड़ती हालत का संकेत है।




📊 क्या इन दोनों में संबंध है?

वैज्ञानिक अध्ययन इस्लामी हदीस

Y क्रोमोज़ोम में गिरावट पुरुषों की संख्या में गिरावट की भविष्यवाणी
Testosterone और Sperm Count में गिरावट पुरुषों की कमजोरी और संख्या में कमी
जीवनशैली आधारित गिरावट समय की खराबी और क़यामत की निशानी


संभावित निष्कर्ष:

विज्ञान जो आज माप रहा है, इस्लाम उसी की भविष्यवाणी 1400 साल पहले कर चुका है। यह धार्मिक दृष्टि से ईमान वालों के लिए एक चेतावनी और विज्ञान के लिए एक शोध का विषय बन सकता है।



🤲 अंतिम विचार:

> “विज्ञान धीरे-धीरे वही साबित कर रहा है जो अल्लाह के नबी ﷺ ने पहले ही बता दिया था। ये सिर्फ एक इत्तेफ़ाक नहीं, बल्कि एक इशारा है—कि हम अपने समय, समाज और जीवनशैली पर गौर करें।”

World

📅 तारीख: 4 जुलाई 2025
📍 स्थान: नाइजर नदी, केब्बी राज्य, नाइजीरिया

घटना का विवरण

नाइजीरिया के केब्बी राज्य में स्कूल से लौटते समय बच्चों से भरी एक नाव पलट गई, जिसमें कम से कम 28 बच्चों की मौत हो गई और 100 से अधिक लोग अब भी लापता हैं। यह दुर्घटना नाइजर नदी पर हुई जब नाव क्षमता से अधिक भरी हुई थी और अचानक तेज बहाव में उलट गई।

स्थानीय अधिकारी बोले:

“यह हादसा बहुत भयावह है। बच्चे स्कूल से लौट रहे थे और बारिश के कारण ज़मीन रास्ता बंद हो गया था, इसलिए नदी के रास्ते भेजा गया। लेकिन नाव में 150 से ज्यादा लोग थे।”

घायलों की स्थिति

20 से अधिक बच्चों को बचा लिया गया है, लेकिन उनकी हालत नाज़ुक बताई जा रही है। लापता बच्चों की तलाश के लिए गोताखोरों और राहतकर्मियों की टीम जुटी हुई है।

News

🗓️ तारीख: 1 जुलाई 2025
📍 स्थान: कांगो नदी, डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कांगो
✍️ रिपोर्ट: TheMuslim786.com




🌊 क्या हुआ?

डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कांगो (DRC) के माई-नदोम्बे प्रांत में एक यात्री नाव के डूबने से कम से कम 86 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि कई अभी भी लापता हैं। हादसा सोमवार की रात को हुआ जब नाव में क्षमता से लगभग तीन गुना अधिक लोग सवार थे।



🚨 नाव में कितने लोग सवार थे?

सरकारी प्रवक्ता के मुताबिक, नाव में लगभग 271 लोग सवार थे जबकि नाव की अधिकतम क्षमता केवल 80–100 लोगों की थी। यह नाव इलाका मुशिएला से कोलेले की तरफ जा रही थी।



💬 सरकारी पुष्टि:

डीआरसी के संचार मंत्री पैट्रिक मुएया ने ट्वीट कर कहा:

> “हम इस दुखद हादसे से बहुत आहत हैं। अब तक 86 शव बरामद किए जा चुके हैं, जबकि सैकड़ों लोग लापता हैं। ज़्यादातर यात्री जीवन जैकेट नहीं पहने हुए थे।”

😢 लोगों की हालत?

अधिकांश यात्री गरीब ग्रामीण किसान थे जो राहत सामग्री और भोजन के लिए यात्रा कर रहे थे।

स्थानीय निवासी खुद अपने स्तर पर शव निकालने में लगे हुए हैं, क्योंकि सरकार की तरफ से पर्याप्त रेस्क्यू टीम नहीं पहुंच पाई।

कुछ लोगों ने बच्चों को बहते हुए देखा जिनका अब कोई सुराग नहीं है।



🧭 DRC में बार-बार होते हैं ऐसे हादसे

यह कोई पहला हादसा नहीं है।

2021 में भी इसी प्रांत में नाव डूबने से 60 से अधिक लोग मारे गए थे।

लापरवाह प्रशासन, ओवरलोडिंग, और जीवन जैकेट की कमी इन मौतों की बड़ी वजह है।

यह हादसा सिर्फ एक दुर्घटना नहीं, बल्कि अफ्रीका में गरीबों की अनदेखी का प्रतीक बन चुका है।

सरकार की लापरवाही, अव्यवस्थित परिवहन प्रणाली और सुरक्षा के अभाव में हर साल ऐसे हादसे होते हैं। इस पर पूरी दुनिया की नज़र जानी चाहिए।

Sports

क्या हमारी देशभक्ति अब सिर्फ एक इवेंट बनकर रह गई है?

कभी सोशल मीडिया पर देशभक्ति की लहर चलती है, कभी क्रिकेट मैदान पर चुप्पी छा जाती है। यह विरोधाभास आखिर हमें किस ओर ले जा रहा है? क्या हम सच में देश से प्रेम करते हैं या ये भावना भी अब सियासत और बिज़नेस की चालों में उलझ कर रह गई है?

डिजिटल स्ट्राइक से डिजिटल शांति तक — दो महीने में क्या बदला?

अप्रैल 2025, जम्मू-कश्मीर का पहलगाम। एक आतंकी हमले ने 28 निर्दोष लोगों की जान ले ली। देशभर में ग़म और गुस्से का माहौल था। भारत सरकार ने तुरंत एक्शन लेते हुए पाकिस्तान के खिलाफ डिजिटल स्ट्राइक किया — टीवी चैनल्स, इंस्टाग्राम अकाउंट्स और तमाम कलाकारों पर प्रतिबंध लगा दिए गए। उस वक्त यही बताया गया कि ये चैनल और अकाउंट देश की सुरक्षा के लिए खतरा हैं।

टीवी डिबेट्स में एंकर गरजने लगे। सोशल मीडिया पर “जय हिंद” और “पाकिस्तान मुर्दाबाद” ट्रेंड करने लगे। हर कोई कह रहा था – “ये है नया भारत!”

लेकिन अब, कुछ ही महीनों में, वो सारे बैन चुपचाप हटा लिए गए। कोई सरकारी बयान नहीं आया, कोई प्रेस कॉन्फ्रेंस नहीं हुई, कोई पत्रकार ने सवाल नहीं पूछा। जैसे कुछ हुआ ही नहीं। क्या यह बदलाव जनता को बताना जरूरी नहीं था?

दिलजीत दोसांझ को गद्दार कहने वाले अब खामोश क्यों हैं?

जब एक कलाकार ने पाकिस्तानी एक्ट्रेस के साथ एक तस्वीर पोस्ट की, तो पूरा सोशल मीडिया टूट पड़ा — गद्दार, खालिस्तानी, देशद्रोही तक कह दिया गया। लेकिन जब सरकार ने उन्हीं चैनलों को बिना बताए अनबैन कर दिया, तो सब चुप हैं।

क्या यह दोहरा रवैया नहीं? क्या सरकार सवालों से ऊपर है और कलाकारों पर सारा गुस्सा निकालना ही “देशभक्ति” रह गया है?

क्रिकेट की पिच पर राष्ट्रवाद आउट?

अब एशिया कप में भारत-पाकिस्तान का मैच होने की संभावना है। BCCI, ICC और ब्रॉडकास्टिंग कंपनियों के लिए यह अरबों का खेल है। क्या यही वजह है कि पाकिस्तान से रिश्ते एकदम बदल गए?

2023 के वर्ल्ड कप में भारत-पाकिस्तान मैच ने 300 मिलियन से ज्यादा दर्शक जुटाए। स्टेडियम भरे, टीवी चैनल्स ने कमाई की बारिश कर दी। क्या अब वही पैटर्न दोहराया जा रहा है?

अगर यही सच है तो फिर सवाल उठता है — क्या देशभक्ति अब व्यापार का टूल बन गई है?

देश की जनता से क्या छिपाया जा रहा है?

सरकार ने अप्रैल में कहा था कि बैन जरूरी है क्योंकि वे चैनल भारत विरोधी हैं। अब वही चैनल्स फिर से ऑन एयर हैं। क्या दो महीने में वे “देशद्रोही” से “निर्दोष” बन गए? या फिर सच्चाई कभी बताई ही नहीं गई?

क्या यह सब सिर्फ क्रिकेट की खातिर हुआ? या अंतरराष्ट्रीय दबाव था? या फिर यह सब योजना के तहत था — पहले गुस्सा जगाओ, फिर चुपचाप रास्ता बदल दो?

देशभक्ति कोई ट्रेंड नहीं, एक ज़िम्मेदारी है

जब एक सैनिक सीमा पर जान देता है, जब एक बच्चा पहलगाम में पिता को खो देता है — तब राष्ट्रवाद सिर्फ नारों में नहीं, नीति में दिखना चाहिए। लेकिन अगर सरकारें चुप रहें और जनता सिर्फ सोशल मीडिया ट्रेंड्स में उलझ जाए — तो यह हमारे शहीदों का अपमान है।

हम दिलजीत को तो गाली देते हैं, करण जौहर की फिल्म का विरोध करते हैं, लेकिन जब सरकार पाकिस्तानी चैनल चालू करती है तो हमारी आवाज़ नहीं निकलती। क्या यह न्याय है?


निष्कर्ष: राष्ट्रवाद को ब्रांड मत बनाइए

देशभक्ति को टीआरपी, लाइक्स और बिज़नेस के लिए इस्तेमाल करना आम जनता के भरोसे के साथ धोखा है। अगर कोई नीति बदली जा रही है तो देश की जनता को जानकारी देना सरकार का कर्तव्य है।

सवाल उठाना देशद्रोह नहीं है, बल्कि सच्ची देशभक्ति है।
सैनिकों का बलिदान, आम नागरिकों का दर्द, और एक जिम्मेदार लोकतंत्र — यही मिलकर एक राष्ट्र बनाते हैं।

अब वक्त है पूछने का —
👉 क्या हम राष्ट्र के साथ हैं या सिर्फ नैरेटिव के साथ?

जय हिंद।

FINANCE

डेटलाइन: 1 जुलाई 2025


डेलावेयर (अमेरिका) — तकनीक के इस दौर में जहां AI को लेकर बहस जारी है, वहीं एक अमेरिकी महिला ने ChatGPT की मदद से अपना लाखों रुपये का कर्ज चुकाकर दुनिया को हैरान कर दिया है।

डेलावेयर की एक रियल एस्टेट एजेंट जेनिफर एलन ने ChatGPT का उपयोग कर अपने ऊपर चढ़े $23,000 (लगभग ₹19.2 लाख) के क्रेडिट कार्ड कर्ज से निपटने की अनोखी शुरुआत की। उन्होंने एक 30-दिवसीय चुनौती (30-day challenge) शुरू की जिसमें उन्होंने AI की मदद से अपने खर्चों की समीक्षा की, बचत के तरीके खोजे और सरकारी वेबसाइटों से unclaimed funds (अनक्लेम्ड राशि) खोज निकाली।

इस प्रक्रिया के जरिए जेनिफर ने महज एक महीने में $12,078.93 (करीब ₹10 लाख) का भुगतान कर दिया। यह उनकी कुल देनदारी का लगभग आधा हिस्सा है। अब वे शेष कर्ज को खत्म करने के लिए अपनी इस वित्तीय यात्रा को जारी रखने की योजना बना रही हैं।

📌 ChatGPT ने कैसे की मदद?

ChatGPT ने उन्हें मुफ्त सरकारी साइट्स सुझाईं जहाँ से वे पुराने बकाया या छूटे हुए फंड्स पा सकीं।

रोज़मर्रा की बचत योजनाएँ जैसे कि कम कीमतों वाली जरूरी चीजें खरीदना, बजट बनाना और अनावश्यक सदस्यताओं को बंद करना ChatGPT से सीखीं।

ChatGPT ने उन्हें मानसिक रूप से भी तैयार किया कि वे बिना घबराए इस वित्तीय चुनौती से निपट सकें।


🧠 क्या कहती हैं जेनिफर?

> “मैंने सोचा नहीं था कि एक AI टूल मेरे जैसे आम इंसान की इतनी मदद कर सकता है। ये एक life-changing अनुभव रहा।”


📎 निष्कर्ष:

इस खबर से यह साफ है कि सही दिशा और जानकारी मिलने पर तकनीक, विशेष रूप से AI जैसे ChatGPT, आम लोगों की जिंदगी बदल सकती है। यह कहानी लाखों लोगों के लिए प्रेरणा है कि अगर सही मार्गदर्शन और हिम्मत हो तो कोई भी कर्ज बोझ नहीं बन सकता।

pilistine

तारीख: 2 जुलाई 2025

ग़ज़ा: मध्य-पूर्व में लंबे समय से जारी इजराइल और फिलिस्तीन के बीच संघर्ष के बीच एक अहम बयान सामने आया है। अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा है कि इजराइल ने ग़ज़ा में 60 दिनों के अस्थायी संघर्षविराम (Ceasefire) के लिए जरूरी शर्तों पर सहमति जताई है।

ट्रंप ने यह घोषणा Truth Social पर की, जहां उन्होंने कहा –

> “हम सभी पक्षों के साथ मिलकर युद्ध को समाप्त करने के लिए काम करेंगे।”
हालांकि उन्होंने यह स्पष्ट नहीं किया कि ये “जरूरी शर्तें” क्या हैं।



इस प्रस्तावित समझौते में कतर और मिस्र जैसे देशों की भूमिका भी महत्वपूर्ण बताई जा रही है। ट्रंप ने उनकी कोशिशों की सराहना करते हुए कहा,

> “कतर और मिस्र के लोगों ने शांति लाने के लिए बहुत मेहनत की है, और वे इसे संभव बनाएंगे।”


📸 तस्वीर की सच्चाई:

बीबीसी रिपोर्ट के साथ प्रकाशित तस्वीर में एक फिलिस्तीनी लड़की मलबे में बैठी है — यह दृश्य ग़ज़ा में तबाही और मानवीय संकट की गंभीरता को दर्शाता है। इस तस्वीर ने दुनिया भर में लोगों को झकझोर कर रख दिया है।


📍 महत्वपूर्ण बिंदु:

इजराइल ने 60 दिनों की सीज़फायर के लिए जरूरी शर्तों को स्वीकार किया है

यह ऐलान अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने किया।

ट्रंप ने यह भी कहा कि सभी पक्षों के साथ मिलकर युद्ध को समाप्त किया जाएगा।

शर्तों का विवरण सार्वजनिक नहीं किया गया है।

कतर और मिस्र की मध्यस्थता भूमिका को महत्वपूर्ण बताया गया है।



🕯️ मानवता की पुकार:

ग़ज़ा की ज़मीन पर फैली राख और मलबे में बैठे मासूमों की तस्वीरें दुनिया को यह याद दिला रही हैं कि युद्ध का सबसे बड़ा शिकार हमेशा आम इंसान होता है। यह प्रस्ताव यदि सफल होता है, तो यह ग़ज़ा के लाखों लोगों के लिए राहत की एक किरण हो सकती है।



🔗 स्रोत: BBC News, Truth Social पोस्ट (Donald Trump)
🖋️ लेखन: [TheMuslim786 Team]

News

स्थान: उत्तरकाशी, उत्तराखंड
तारीख: 1 जुलाई 2025

उत्तराखंड के उत्तरकाशी ज़िले में सोमवार देर रात हुई भारी बारिश के बाद अचानक बादल फटने की दर्दनाक घटना घटी। इस हादसे में अब तक 9 लोगों की मौत की पुष्टि हो चुकी है, जबकि 15 से अधिक लोग अब भी लापता बताए जा रहे हैं।

घटना से इलाके में मातम पसरा हुआ है। सैकड़ों लोग बेघर हो गए हैं और कई परिवार अब भी अपनों की तलाश में मलबे में हाथ मार रहे हैं।

⚠️ कैसे हुआ हादसा?

यह हादसा उत्तरकाशी के गंगनानी गाँव के पास रात करीब 2 बजे हुआ, जब सभी लोग गहरी नींद में थे। अचानक बादल फटने से भारी मात्रा में पानी, मलबा और पत्थर पहाड़ी से नीचे बहे और कई घरों को बहा ले गए।

स्थानीय लोगों के मुताबिक़, पानी का बहाव इतना तेज़ था कि कुछ मिनटों में पूरा गाँव तबाह हो गया। कई ग्रामीणों ने अपनी आंखों के सामने अपने परिवार को खो दिया।

राहत-बचाव अभियान जारी

घटना की सूचना मिलते ही एसडीआरएफ (SDRF), एनडीआरएफ (NDRF) और स्थानीय प्रशासन मौके पर पहुंच गए हैं। हालांकि तेज बारिश और टूटे हुए रास्तों के कारण राहत कार्य में बाधाएं आ रही हैं।

अब तक 20 से ज्यादा लोगों को सुरक्षित बाहर निकाला गया है, लेकिन कई लोग अब भी मलबे में फंसे होने की आशंका है।

गाँव में मातम, रोते-बिलखते लोग

घटना के बाद पूरे क्षेत्र में शोक का माहौल है। जिनके घर उजड़ गए हैं, वे स्कूलों और पंचायत भवनों में शरण ले रहे हैं।
एक पीड़ित महिला ने कहा, “हमने सब कुछ खो दिया, अब बचा ही क्या है?”

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काठमांडू, 29 जून 2025:
नेपाल के पश्चिमी और मध्य भागों में पिछले कुछ दिनों से हो रही मूसलाधार बारिश ने भारी तबाही मचाई है। तेज़ बारिश के चलते कई ज़िलों में बाढ़ और भूस्खलन की घटनाएं सामने आई हैं। अब तक इस प्राकृतिक आपदा में कम से कम 18 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि दर्जनों लोग लापता हैं। राहत एवं बचाव कार्य जारी है।

🌧️ सबसे अधिक प्रभावित क्षेत्र

गोरखा, लमजुंग, पाल्पा और रोल्पा ज़िले इस आपदा से सबसे ज़्यादा प्रभावित हुए हैं। कई गाँव पूरी तरह से जलमग्न हो गए हैं। कुछ स्थानों पर भूस्खलन ने सड़कों को पूरी तरह जाम कर दिया है, जिससे राहत पहुंचाना मुश्किल हो रहा है।

🏚️ सैकड़ों परिवार बेघर

नेपाल की सरकार के अनुसार, अब तक 500 से अधिक परिवारों को सुरक्षित स्थानों पर शिफ्ट किया गया है। टेंट और खाने-पीने की व्यवस्था की जा रही है, लेकिन खराब मौसम के कारण राहत कार्यों में बाधाएं आ रही हैं।

🚁 राहत और बचाव कार्य तेज़

सेना, पुलिस और स्थानीय स्वयंसेवी संगठन बचाव कार्य में जुटे हुए हैं। हेलिकॉप्टर की मदद से कुछ दुर्गम इलाकों में फंसे लोगों को निकाला गया है। नेपाल सरकार ने आपात स्थिति की घोषणा कर दी है और अंतरराष्ट्रीय मदद की संभावना भी जताई है।

🌍 जलवायु परिवर्तन पर सवाल

विशेषज्ञों का मानना है कि लगातार बढ़ती बारिश और असमय भूस्खलन जलवायु परिवर्तन के गंभीर संकेत हैं। नेपाल एक पहाड़ी देश होने के कारण पहले से ही प्राकृतिक आपदाओं के प्रति संवेदनशील है।

📢 नेपाल सरकार की अपील

नेपाल सरकार ने नागरिकों से अपील की है कि वे सुरक्षित स्थानों पर रहें और अफवाहों पर ध्यान न दें। साथ ही ज़रूरतमंदों की मदद के लिए सरकारी हेल्पलाइन नंबर भी जारी किए गए हैं।

🕊️ हम इस प्राकृतिक आपदा में जान गंवाने वाले सभी लोगों के प्रति गहरी संवेदना व्यक्त करते हैं और घायलों के शीघ्र स्वस्थ होने की कामना करते हैं।

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न्यूयॉर्क, जून 2025:
भारतीय मूल के 33 वर्षीय गुजराती मुस्लिम नेता जोहरान ममदानी ने न्यूयॉर्क सिटी डेमोक्रेटिक पार्टी की मेयर प्राइमरी में ऐतिहासिक जीत दर्ज की है। डेमोक्रेटिक सोशलिस्ट विचारधारा से जुड़े ममदानी अगर आगामी आम चुनाव भी जीत जाते हैं, तो वे न्यूयॉर्क के पहले मुस्लिम और भारतीय-अमेरिकी मेयर बन जाएंगे।

कौन हैं जोहरान ममदानी?

जोहरान का जन्म युगांडा में हुआ था, लेकिन वे भारतीय मूल के हैं और वर्तमान में अमेरिका के नागरिक हैं। वे मशहूर फिल्ममेकर मीरा नायर के बेटे हैं और 2021 से न्यूयॉर्क स्टेट असेंबली में चुने गए सदस्य के रूप में सक्रिय रहे हैं।
वह लंबे समय से आव्रजन, आवास और पुलिस सुधार जैसे मुद्दों पर संघर्ष करते आ रहे हैं।


ऐतिहासिक महत्व:

न्यूयॉर्क शहर के इतिहास में यह पहली बार होगा कि एक मुस्लिम नेता डेमोक्रेटिक प्राइमरी जीतकर मेयर पद की रेस में सबसे आगे हो।

यह जीत न केवल मुस्लिम समुदाय के लिए बल्कि प्रवासी भारतीय समुदाय के लिए भी गर्व का विषय है।


विरोध और विवाद:

हालांकि उनकी जीत को लेकर अमेरिका में कुछ कट्टरपंथी हलकों में विरोध देखा गया है:

MAGA (Make America Great Again) समर्थकों और कुछ रिपब्लिकन नेताओं ने उन पर इस्लामोफोबिक टिप्पणियाँ की हैं।

नस्लीय और धार्मिक टिप्पणियों वाले मीम्स और बयान सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे हैं।

कुछ राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि यह अमेरिका की धार्मिक और नस्लीय राजनीति का पुराना चेहरा फिर से उजागर कर रहा है।


जोहरान की प्रतिक्रिया:

एक मीडिया बयान में जोहरान ममदानी ने कहा:

> “मैं यहाँ सबकी आवाज़ बनने आया हूँ — नस्ल, धर्म या पहचान की परवाह किए बिना। मेरा न्यूयॉर्क, सबका न्यूयॉर्क है।”


निष्कर्ष:

जोहरान ममदानी की यह जीत अमेरिकी राजनीति में समावेशिता और विविधता की दिशा में एक बड़ा कदम मानी जा रही है। वहीं दूसरी ओर, यह दर्शाता है कि धार्मिक असहिष्णुता अब भी अमेरिकी राजनीति में एक चुनौती बनी हुई है।

Science

हैदराबाद, भारत — भारत रक्षा क्षेत्र में एक और बड़ी छलांग लगाने की तैयारी कर रहा है। हैदराबाद स्थित DRDO (रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन) की एडवांस्ड नेवल सिस्टम्स लैबोरेटरी K-6 नामक एक नई हाइपरसोनिक मिसाइल का विकास कर रही है, जो ब्रह्मोस मिसाइल से भी अधिक शक्तिशाली और घातक मानी जा रही है।

इस मिसाइल को विशेष रूप से भारतीय नौसेना की परमाणु ऊर्जा चालित पनडुब्बियों से दागे जाने के लिए डिज़ाइन किया गया है। रिपोर्ट्स के अनुसार, K-6 मिसाइल की मारक क्षमता इतनी अधिक होगी कि यह कराची जैसे दूरस्थ लक्ष्य को भी सटीकता से भेद सकेगी।

K-6 मिसाइल की प्रमुख विशेषताएं:

यह उन्नत S-5 श्रेणी की परमाणु पनडुब्बियों के लिए डिज़ाइन की जा रही है।

लंबाई: लगभग 12 मीटर

चौड़ाई: लगभग 2 मीटर

भार: 3 टन से अधिक

क्षमता: भारी परमाणु वॉरहेड ले जाने में सक्षम


रक्षा सूत्रों के अनुसार, इस मिसाइल का परीक्षण जल्द ही किया जाएगा, और इसकी सफल तैनाती से भारत की सेकंड स्ट्राइक (दूसरी जवाबी मार) क्षमता और अधिक मज़बूत होगी।

यह प्रोजेक्ट भारतीय रक्षा शक्ति को आत्मनिर्भर बनाने और रणनीतिक रूप से दुश्मनों के खिलाफ निर्णायक बढ़त देने की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है।

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स्थान: नई दिल्ली | तारीख: 24 जून 2025

बीते रविवार को दिल्ली के जंतर मंतर पर फिलिस्तीन के समर्थन और इज़राइल की नीतियों के विरोध में शांतिपूर्ण प्रदर्शन किया गया। इस कार्यक्रम में बड़ी संख्या में नागरिक, छात्र और सामाजिक कार्यकर्ता शामिल हुए थे।

प्रदर्शन के दौरान उस समय विवाद की स्थिति बन गई जब कथित तौर पर दक्षिणपंथी विचारधारा से जुड़ी एक महिला रिपोर्टर ने प्रदर्शन स्थल पर पहुंचकर बार-बार सवाल पूछकर और तीखी टिप्पणी करके कार्यक्रम को बाधित करने की कोशिश की।

प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, महिला रिपोर्टर ने प्रदर्शन में शामिल महिलाओं से तीखे सवाल किए, जिससे माहौल गर्म हो गया। जब प्रदर्शनकारी उन्हें समझाने की कोशिश कर रहे थे, तो रिपोर्टर ने कथित तौर पर हाथापाई की कोशिश भी की।

प्रदर्शनकारी युवाओं ने इसे “कार्यक्रम को जानबूझकर भंग करने की साज़िश” बताया और कहा कि “जब इज़राइल के खिलाफ आवाज़ उठती है, तो कुछ मीडिया संस्थान इसे पचा नहीं पाते।”

सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे वीडियो में साफ देखा जा सकता है कि कई लोग शांतिपूर्ण प्रदर्शन के दौरान ‘फ्री फ़िलिस्तीन’ और ‘स्टॉप जेनोसाइड इन गाज़ा’ जैसे पोस्टर लेकर खड़े हैं, वहीं कुछ लोग टकराव की स्थिति पैदा करते नजर आ रहे हैं।


> “हमारा उद्देश्य शांतिपूर्ण तरीके से गाज़ा के लोगों के साथ एकजुटता जताना था। लेकिन कुछ लोग इसे भटकाने के लिए आए थे। महिला रिपोर्टर की हरकत निंदनीय है।”



प्रशासन की ओर से किसी भी पक्ष पर अब तक कोई कानूनी कार्रवाई की जानकारी सामने नहीं आई है, लेकिन वीडियो वायरल होने के बाद सोशल मीडिया पर इस घटना को लेकर तीखी प्रतिक्रियाएं देखने को मिल रही हैं।

VIDIO

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गाज़ा/24 जून 2025:
गाज़ा के रहने वाले एक मासूम बच्चे हसन बारबख की लंबी बीमारी से जूझते हुए मौत हो गई। हसन लिवर फेल्योर, किडनी लीक, तीव्र एसिडोसिस और कुपोषण जैसी गंभीर बीमारियों से पीड़ित था। परिवार ने उसे बचाने के लिए अंतरराष्ट्रीय समुदाय और मानवतावादी संगठनों से कई बार मदद की गुहार लगाई, लेकिन कहीं से कोई जवाब नहीं मिला।

हसन के परिवार ने इलाज के लिए दुनिया से लगातार अपील की थी — दवाइयों, बेहतर चिकित्सा और ट्रांसफर की मांग की गई थी। मगर, न तो कोई सहायता पहुँची और न ही चिकित्सा सुविधाएं मिल सकीं। ग़ज़ा में इज़रायली नाकेबंदी के चलते पहले से ही स्वास्थ्य सुविधाओं की भारी कमी है, जिससे न केवल हसन, बल्कि हजारों बच्चों की ज़िंदगी संकट में है।

हसन की मुस्कुराती तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल हो रही हैं और लोग पूछ रहे हैं — “क्यों एक मासूम को मरने दिया गया?”, “क्या उसकी जान इतनी सस्ती थी?”

यह घटना एक बार फिर ग़ज़ा के बच्चों की दुर्दशा को उजागर करती है, जहाँ हर दिन दवा, बिजली और इलाज के अभाव में मासूम जानें जा रही हैं।

हसन अब इस दुनिया में नहीं है, लेकिन उसकी कहानी मानवता से एक गहरा सवाल पूछ रही है: क्या हम समय रहते उसकी मदद कर सकते थे?

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लखीमपुर खीरी, उत्तर प्रदेश | 24 जून 2025:
उत्तर प्रदेश के लखीमपुर जिले के बबुरी गांव में एक मजदूर ने ऐसी बहादुरी दिखाई कि हर कोई हैरान रह गया। घटना तब हुई जब एक ईंट-भट्ठे पर काम कर रहे मजदूर पर अचानक एक तेंदुए ने हमला कर दिया। आमतौर पर ऐसे हमलों में लोग डर से भाग जाते हैं, लेकिन इस मजदूर ने न सिर्फ मुकाबला किया बल्कि खुद की जान बचाने में भी सफल रहा।

क्या हुआ था घटना के वक्त?

प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, मजदूर अपने काम में व्यस्त था तभी झाड़ियों से निकलकर तेंदुआ आ धमका और उस पर झपट पड़ा। मजदूर ने बिना घबराए खुद का बचाव किया और पास पड़ी ईंटों से तेंदुए पर हमला करते हुए उसे पीछे धकेल दिया।

घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है, जिसमें मजदूर को तेंदुए से संघर्ष करते देखा जा सकता है। यह वीडियो अब तक 1.6 मिलियन से अधिक बार देखा जा चुका है।

अभी तक मजदूर की पहचान नहीं हो पाई है, लेकिन उसकी दिलेरी को पूरे देश में सराहा जा रहा है। सोशल मीडिया पर लोग उसे “ज़िंदा शेर” कहकर सम्मान दे रहे हैं।

प्रशासन की प्रतिक्रिया:

वन विभाग और जिला प्रशासन ने घटनास्थल का दौरा किया है और तेंदुए को पकड़ने के लिए प्रयास तेज कर दिए गए हैं। मजदूर को मामूली चोटें आई हैं और उसका प्राथमिक उपचार करवा दिया गया है।


यह सिर्फ जान बचाने की नहीं, इंसानी जज़्बे की भी कहानी है

इस घटना ने दिखा दिया कि बहादुरी केवल बंदूक या वर्दी में नहीं होती — कभी-कभी वह मिट्टी में सने हाथों और साहस भरे दिल में होती है।

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गाजा पट्टी,

जो लंबे समय से संघर्ष और हिंसा का गवाह रही है, आज भी मानवीय संकट का सामना कर रही है। इस क्षेत्र में रहने वाले लोगों, विशेष रूप से बुजुर्गों और बच्चों, के लिए जीवन बेहद कठिन हो गया है। हाल ही में एक वीडियो सामने आया है,

जिसमें एक बुजुर्ग महिला अपने दर्द और उत्पीड़न की फरियाद कर रही है। इस वीडियो को सोशल मीडिया पर व्यापक रूप से साझा किया गया है, और यह गाजा में हो रहे मानवीय संकट की गंभीरता को उजागर करता है।
वीडियो का विवरण

वीडियो की अवधि 110.20 सेकंड है, और इसमें विभिन्न फ्रेम्स को कैप्चर किया गया है, जो बुजुर्ग महिला के भावनात्मक और शारीरिक संघर्ष को दर्शाते हैं। वीडियो में एक पत्रकार, जो प्रेस जैकेट पहने हुए है, महिला के साथ बातचीत करता हुआ दिखाई देता है। महिला गहरे दुख और निराशा में डूबी हुई है, और वह repeatedly मदद की गुहार लगा रही है।
महिला की फरियाद

वीडियो में, महिला बार-बार कहती है, “ऐ अरबों, तुम कहाँ हो?

ऐ मुसलमानों, हमारे बच्चे मर रहे हैं, हम भूखे हैं, प्यासे हैं, हम पर हर तरफ से बमबारी हो रही है।” उसकी आवाज में दर्द और हताशा साफ सुनाई देती है। वह अपने बच्चों और परिवार की स्थिति के बारे में बताती है, जो बमबारी और हिंसा के कारण बुरी

तरह प्रभावित हुए हैं।
संदर्भ और पृष्ठभूमि

गाजा पट्टी में चल रहे संघर्ष का इतिहास लंबा है, और यह क्षेत्र बार-बार हिंसा और विनाश का सामना कर चुका है। संयुक्त राष्ट्र और अन्य मानवीय संगठनों की रिपोर्ट्स के अनुसार, गाजा में खाद्य असुरक्षा और स्वास्थ्य संकट गंभीर स्तर पर पहुंच गया है। विशेष रूप से बुजुर्गों और बच्चों के लिए स्थिति और भी खराब है, क्योंकि उन्हें आवश्यक चिकित्सा सुविधाओं और संसाधनों की कमी का सामना करना पड़ता है।
अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रियाएं

गाजा में हो रहे संकट पर अंतरराष्ट्रीय समुदाय की प्रतिक्रियाएं मिश्रित रही हैं। कई अरब देशों और मुस्लिम बहुल राष्ट्रों ने फिलीस्तीनियों के समर्थन में बयान दिए हैं, जबकि कुछ पश्चिमी देशों ने इज़राइल के आत्मरक्षा के अधिकार का समर्थन किया है। हालाँकि, मानवीय सहायता और शांति स्थापित करने के प्रयास जारी हैं, लेकिन स्थिति में सुधार होना अभी भी एक चुनौतीपूर्ण कार्य है।
निष्कर्ष

यह वीडियो न केवल एक व्यक्तिगत कहानी है, बल्कि गाजा में हो रहे व्यापक मानवीय संकट का प्रतीक है। बुजुर्ग महिला की फरियाद हमें याद दिलाती है कि संघर्ष और हिंसा का सबसे बड़ा बोझ आम नागरिकों, विशेष रूप से सबसे कमजोर समुदायों पर पड़ता है। यह समय है कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय, विशेष रूप से अरब और मुस्लिम देश, एकजुट होकर गाजा के लोगों की मदद करें और उन्हें इस संकट से बाहर निकालने के लिए ठोस कदम उठाएं।

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नई दिल्ली, 24 जून 2025:
दिल्ली के जंतर मंतर पर फिलिस्तीन के समर्थन में हुए एक शांतिपूर्ण प्रदर्शन में उस वक्त विवाद खड़ा हो गया जब एक महिला अपने दो छोटे बच्चों के साथ प्रदर्शन में शामिल हुई। बच्चों ने “Free Palestine” लिखे पोस्टर थामे हुए थे और फिलिस्तीनी झंडे के रंगों वाले कपड़े पहने हुए थे।

इस दृश्य पर एक पत्रकार की आपत्ति सामने आई, जिसने सवाल उठाया कि आखिर बच्चों को ऐसे राजनीतिक प्रदर्शनों में क्यों लाया जा रहा है। यह प्रतिक्रिया सोशल मीडिया पर वायरल हो गई और व्यापक आलोचना का विषय बन गई।

अशरफ हुसैन (@AshrafFem) द्वारा 24 जून को X (पूर्व में ट्विटर) पर साझा किए गए एक वीडियो में महिला पत्रकार को यह कहते हुए सुना जा सकता है कि बच्चों को ऐसे प्रदर्शनों में लाना अनुचित है। इस पर महिला प्रदर्शनकारी ने जवाब देते हुए कहा कि “जब गाजा में बच्चों की जान जा रही है, तो मैं अपने बच्चों को उनके हक़ की आवाज़ देने क्यों न लाऊं?”

इस घटना ने देशभर में बहस छेड़ दी है — जहां एक तरफ कुछ लोग बच्चों को ऐसे प्रदर्शनों में लाने को अनुचित मान रहे हैं, वहीं दूसरी ओर कई लोग इसे एक साहसिक और जागरूकता बढ़ाने वाली पहल बता रहे हैं।

पृष्ठभूमि:

गाजा में लगातार हो रही हिंसा और मानवाधिकार उल्लंघनों के खिलाफ भारत सहित कई देशों में लोग विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। भारत में खासकर युवा, छात्र और सामाजिक कार्यकर्ता बढ़-चढ़कर ‘Free Palestine‘ आंदोलन का समर्थन कर रहे हैं।

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25 जून 2025: इज़राइल और ईरान के बीच बढ़ते सैन्य तनाव के बाद आज युद्धविराम की घोषणा की गई है। हाल के दिनों में दोनों देशों के बीच हवाई हमलों ने मध्य पूर्व में अस्थिरता बढ़ा दी थी।

इज़राइल की सेना ने तेहरान के कुछ हिस्सों में नागरिकों को निकालने की चेतावनी दी थी, जिसकी जानकारी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर साझा की गई। यह चेतावनी उत्तरी ईरान में इज़राइली हमले के बाद आई, जिसमें 16 लोगों की मौत की खबर है।ईरान ने सुरक्षा कारणों से अपनी हवाई सीमा को आज, 25 जून 2025, दोपहर 2 बजे तक बंद रखने का ऐलान किया है। दूसरी ओर, अमेरिकी दूतावास ने इज़राइल में अपनी सेवाएँ 25 जून से फिर से शुरू करने की घोषणा X पर की, जो क्षेत्र में तनाव कम होने का संकेत हो सकता है।हालांकि, स्थिति अभी भी संवेदनशील है। ईरान के परमाणु कार्यक्रम को लेकर सवाल उठ रहे हैं, और 400 किलोग्राम से अधिक समृद्ध यूरेनियम के गायब होने की रिपोर्ट्स ने चिंता बढ़ा दी है। वैश्विक समुदाय शांति बनाए रखने के लिए कूटनीतिक प्रयास कर रहा है

हम इस स्थिति पर नज़र रखे हुए हैं और नवीनतम अपडेट्स जल्द साझा करेंगे।

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इज़रायली सेना द्वारा ग़ाज़ा में हिंसा का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा। आज सुबह से अब तक कम से कम 37 फ़िलिस्तीनियों की जान ले ली गई है।

सीज़फायर की बातें केवल कागज़ों तक सीमित हैं, जबकि ज़मीन पर हालात पहले से भी ज़्यादा ख़तरनाक और त्रासद बने हुए हैं। निर्दोष नागरिकों, बच्चों और महिलाओं को लगातार निशाना बनाया जा रहा है।

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ओड़िशा

स्थान: गंजाम जिला, ओडिशा
पीड़ित: बुलू नायक और बाबुला नायक (दलित समुदाय से)

📌 घटना विवरण:

ओडिशा के गंजाम ज़िले में दो दलित व्यक्तियों को सिर्फ इस वजह से अमानवीय यातनाएं दी गईं क्योंकि वे शादी के दहेज के लिए गाय खरीदकर अपने घर लौट रहे थे। रास्ते में कुछ लोगों की भीड़ ने उन्हें रोक लिया और उन पर गौ-तस्करी का झूठा आरोप लगाया।

जब उन्होंने अपनी सफाई दी कि गाय उन्होंने खरीदी हैं और वे इन्हें शादी के लिए ले जा रहे हैं, तब भी भीड़ ने कोई दया नहीं दिखाई और उल्टे उनसे पैसे की मांग की गई। मना करने पर जो किया गया, वह रोंगटे खड़े कर देने वाला था:

दोनों का आधा सिर जबरन मुंडवाया गया।

करीब दो किलोमीटर तक घुटनों के बल चलाया गया – खरीगुम्मा से जाहड़ा गांव तक।

घास खाने और नाली का गंदा पानी पीने पर मजबूर किया गया।

भीड़ तमाशा देखती रही और वीडियो भी बनाए गए।


📽 वायरल वीडियो:

इस घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो चुका है, जिससे पूरे देश में आक्रोश फैल गया है।

राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग और दलित संगठनों ने इस पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है और कड़ी सज़ा की मांग की है

🔴 यह क्यों ज़रूरी है:

यह घटना साफ दिखाती है कि आज भी जातिगत भेदभाव और भीड़तंत्र की हिंसा हमारे समाज में मौजूद है।

बिना किसी जांच के भीड़ द्वारा सज़ा देना संविधान और क़ानून के खिलाहै

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📍 स्थान: इटावा, up
✍️ रिपोर्ट: स्वतंत्र संवाददाता 🔴 घटना का सारांश:

उत्तर प्रदेश के इटावा जिले में एक दिल दहला देने वाली जातिगत हिंसा की घटना सामने आई है, जिसमें संत राम यादव, एक सामाजिक कार्यकर्ता और साधु, को न सिर्फ मंदिर से बाहर निकाल दिया गया बल्कि उनके साथ शारीरिक और मानसिक उत्पीड़न भी किया गया।

सबसे अमानवीय पहलू यह था कि उन्हें “अपवित्र” कहकर उन पर मूत्र (पेशाब) फेंका गया। यह कृत्य कथित रूप से मुकुट मणि सिंह और उनके साथियों द्वारा अंजाम दिया गया, जो कथित रूप से ऊंची जाति से संबंधित हैं।

👁️‍🗨️ क्या हुआ था घटना में?

1. संत राम यादव एक स्थानीय मंदिर में पूजा करने पहुंचे थे।

2. वहां मौजूद कुछ लोगों ने उन्हें जाति के आधार पर रोका और “अपवित्र” कहा।

3. विवाद बढ़ा और मारपीट की स्थिति बन गई।

4. आरोप है कि एक महिला को मूत्र लाने के लिए कहा गया, जिसे पीड़ित पर छिड़क दिया गया।


5. उन्होंने कहा —

> “अब तू पवित्र हो गया, अब ब्रह्माण्ड का मूत्र पड़ गया है।”

यह अमानवीय व्यवहार पूरे समाज के लिए एक करारा तमाचा है।

⚖️ कानूनी कार्यवाही और पुलिस की भूमिका
FIR दर्ज हो चुकी है, लेकिन शुरुआती जांच के बाद भी अब तक कोई ठोस गिरफ्तारी नहीं हुई है।

प्रशासन पर आरोप है कि वह जातिगत दबाव में कार्यवाही में ढिलाई बरत रहा है।

📹 मीडिया की भूमिका

🗣️ जनता और सोशल मीडिया की प्रतिक्रिया:

ट्विटर पर #JusticeForSantRamYadav ट्रेंड करने लगा।

हजारों लोग और सामाजिक संगठनों ने न्याय की मांग की।

कई सामाजिक कार्यकर्ताओं ने इस मामले को मानवाधिकार हनन बताया।


📜 यह सिर्फ एक घटना नहीं है…

यह घटना दर्शाती है कि आज भी भारत के कई हिस्सों में जातिवाद की जड़ें कितनी गहरी हैं।
एक साधु पर इस प्रकार का अत्याचार यह दर्शाता है कि:

> जातिगत भेदभाव केवल सामाजिक समस्या नहीं, बल्कि एक अपराध है।

🔚 निष्कर्ष:

> “जब तक जात के नाम पर अपमान होता रहेगा, भारत का लोकतंत्र अधूरा रहेगा।”

इटावा की यह घटना न केवल कानून व्यवस्था की परीक्षा है, बल्कि हमारे समाज के जमीर की भी।

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ईरान अपने परमाणु कार्यक्रम के लिए लड़ रहा था, गाजा के लिए नहीं।

ईरान ने इजरायल के हमले का जवाब दिया, गाजा के लिए नहीं।

ईरान ने अमेरिका के हमले का जवाब दिया, गाजा के लिए नहीं।

जिस तरह हिज़बुल्लाह ने इजराइल के साथ सीज़फायर किया ठीक उसी तरह अगर ईरान इजराइल से सीज़फायर करता है तो यह साबित हो जाता है कि वह गाजा के लिए नहीं, बल्कि अपने लिए लड़ रहा था।

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हिमाचल प्रदेश के प्रसिद्ध पर्यटन स्थल मनाली से एक चौंकाने वाली घटना सामने आई है। एक टूरिस्ट फैमिली के साथ स्थानीय लोगों द्वारा मारपीट किए जाने का मामला सामने आया है।

प्राप्त जानकारी के अनुसार, स्कूटी हटाने को लेकर विवाद शुरू हुआ था, जो जल्द ही हिंसक झगड़े में बदल गया। इस घटना के बाद पीड़ित व्यक्ति का एक वीडियो सामने आया है जिसमें वह कहता दिख रहा है:

> “मत आना मनाली में घूमने, कोई प्रोटेक्शन नहीं है, ये पाकिस्तान से भी बुरा है।”



इस मामले में स्थानीय पुलिस ने अज्ञात लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर ली है और मामले की जांच की जा रही है।

यह घटना पर्यटन स्थलों पर सुरक्षा और कानून व्यवस्था को लेकर सवाल खड़े करती है।


🔴 नोट:

टूरिस्ट स्थलों की छवि और सुरक्षा व्यवस्था को लेकर प्रशासन को सजग रहने की आवश्यकता है ताकि ऐसे मामलों की पुनरावृत्ति न हो

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भोपाल, मध्यप्रदेश:
राजधानी भोपाल से एक विवादित मामला सामने आया है जिसमें कांग्रेस विधायक अश्विन श्रीवास्तव पर वक्फ बोर्ड के अंतर्गत पंजीकृत कब्रिस्तान की ज़मीन पर अवैध कब्जा कर गौशाला बनवाने का आरोप लगाया गया है।

इस संबंध में कब्रिस्तान के केयरटेकर शेख मतीन ने आधिकारिक रूप से शिकायत दर्ज कराई है। उनका आरोप है कि कब्रिस्तान की पवित्र ज़मीन पर नियमों को ताक पर रखकर निर्माण कार्य कराया जा रहा है, जिससे न सिर्फ धार्मिक भावनाएं आहत हुई हैं, बल्कि वक्फ संपत्ति कानून का भी उल्लंघन हुआ है।

शेख मतीन का कहना है कि उन्होंने कई बार स्थानीय प्रशासन और वक्फ बोर्ड को इस विषय में अवगत कराया, लेकिन कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई, जिसके बाद उन्होंने विधायक के खिलाफ औपचारिक शिकायत दर्ज करवाई।

वहीं इस मामले पर अब तक विधायक अश्विन श्रीवास्तव की ओर से कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है।

मामला बढ़ता हुआ विवाद

यह मुद्दा अब सियासी रंग पकड़ता नजर आ रहा है। स्थानीय लोगों में भी इस घटना को लेकर नाराजगी देखी जा रही है और सोशल मीडिया पर भी इसे लेकर बहस तेज हो गई है।

Source by twitter

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उत्तर प्रदेश के हापुड़ से एक दर्दनाक और झकझोर देने वाली घटना सामने आई है। मजदूरी कर अपने परिवार का पेट पालने वाले अनवर नामक व्यक्ति अपनी पांच वर्षीय बेटी को गंभीर हालत में लेकर हापुड़ के सरस्वती मेडिकल कॉलेज पहुंचे थे। मासूम बच्ची की हालत नाजुक थी और उसे तुरंत इलाज की ज़रूरत थी। लेकिन अस्पताल प्रशासन ने इलाज शुरू करने से पहले 20,000 रुपये एडवांस जमा करने की मांग की।

पिता अनवर ने बताया कि उसके पास उस समय केवल 500 रुपये थे। वह डॉक्टरों और स्टाफ से हाथ जोड़कर विनती करता रहा कि उसकी बेटी की हालत बेहद खराब है, कृपया इलाज शुरू करें, बाकी पैसों की व्यवस्था वह जल्द कर देगा। लेकिन अस्पताल के कर्मचारियों और डॉक्टरों का रवैया अमानवीय रहा। उन्होंने साफ शब्दों में कह दिया — “पहले पैसे जमा करो, तभी इलाज होगा।”

इसी खींचतान में वक़्त निकलता गया और मासूम बच्ची की सांसें थम गईं। पिता की आंखों के सामने उसकी बेटी ने दम तोड़ दिया।

यह घटना न सिर्फ स्वास्थ्य व्यवस्था पर सवाल उठाती है, बल्कि इंसानियत को भी शर्मसार करती है। क्या एक गरीब की जिंदगी की कीमत आज भी सिर्फ पैसा है?

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तेहरान/बगदाद/दोहा | 23 जून 2025
मध्य पूर्व में तनाव एक बार फिर चरम पर पहुंच गया है। ईरान ने अमेरिका पर बड़ा जवाबी हमला करते हुए कतर और इराक स्थित अमेरिकी सैन्य अड्डों पर मिसाइलें दागी हैं। यह कार्रवाई ईरान के उन परमाणु ठिकानों पर हुए कथित अमेरिकी हमलों के प्रतिशोध में की गई है, जिनमें फोर्डो, नतांज़ और इस्फ़हान शामिल थे।

हमले का दायरा और प्रभाव:

ईरानी रिवोल्यूशनरी गार्ड्स की ओर से दागीं गई मिसाइलों का निशाना इराक के अल-असद एयरबेस और कतर के अल-उदैद एयरबेस थे, जहाँ अमेरिकी और नाटो सेनाएं तैनात हैं।

ईरानी मीडिया दावा कर रही है कि हमलों में “कई अमेरिकी सैनिक घायल” हुए हैं, हालांकि पेंटागन ने अब तक नुकसान की पुष्टि नहीं की है।

अमेरिकी सेना को हाई अलर्ट पर रखा गया है और दोनों देशों में हवाई निगरानी बढ़ा दी गई है।


ईरान की चेतावनी:

ईरान के सर्वोच्च नेता आयतुल्ला अली खामेनेई ने एक बयान में कहा:

> “मध्य-पूर्व में अब कोई भी अमेरिकी ठिकाना हमारे निशाने से बाहर नहीं है। यदि ईरान पर हमला किया गया तो हम उसका जवाब कई गुना ताकत से देंगे।”



अमेरिका की प्रतिक्रिया:

अमेरिकी रक्षा मंत्रालय (पेंटागन) ने कहा कि वे स्थिति की निगरानी कर रहे हैं और यदि जरूरत पड़ी तो जवाबी कार्रवाई के लिए तैयार हैं।

वाइट हाउस ने नाटो और क्षेत्रीय सहयोगियों के साथ आपात बैठकें की हैं।


क्षेत्रीय हालात बिगड़ने की आशंका:

विशेषज्ञों का मानना है कि इस टकराव से पूरा मध्य-पूर्व अस्थिर हो सकता है। तेल के दामों में भी तेजी से उछाल देखने को मिल रहा है।
संयुक्त राष्ट्र और रूस जैसे देशों ने संयम बरतने की अपील की है, लेकिन जमीन पर हालात तेजी से युद्ध की ओर बढ़ते नजर आ रहे हैं।

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एक विदेशी महिला पर्यटक के साथ हाल ही में एक विचलित कर देने वाली घटना सामने आई है, जिसका वीडियो सोशल मीडिया पर तेज़ी से वायरल हो रहा है। यह स्पष्ट नहीं है कि यह घटना भारत के किस शहर की है, लेकिन दृश्य काफी चिंता बढ़ाने वाले हैं।

वीडियो में दिखाया गया है कि महिला एक कार की पिछली सीट पर बैठी है, संभवतः कहीं जाने के लिए तैयार है। तभी अचानक एक अजनबी व्यक्ति कार के दाहिने दरवाज़े को खोल देता है और बार-बार “मैम, मैम…” कहकर महिला से संवाद करने की कोशिश करता है।

इस अप्रत्याशित व्यवहार से महिला चौंक जाती है और उसे असहजता और असुरक्षा का अनुभव होता है। वह व्यक्ति से साफ कहती है, “I’m not supposed to pay you.” — यह संकेत देता है कि शायद व्यक्ति कुछ लेने की कोशिश कर रहा था। महिला तुरंत दरवाज़ा बंद कर देती है और कार ड्राइवर से सवाल करती है, “Do you know him? Can we go now?”

वीडियो देखकर ऐसा भी प्रतीत होता है कि ड्राइवर इस स्थिति में कुछ हद तक शामिल हो सकता है, क्योंकि वह भी निष्क्रिय नज़र आता है।

चाहे भारत का उत्तरी हिस्सा हो या दक्षिणी इलाका, पर्यटकों के साथ हो रही ऐसी घटनाएँ देश की छवि को नुकसान पहुँचा सकती हैं। यह वाकया एक बार फिर सवाल उठाता है कि क्या हमारे शहर विदेशी मेहमानों के लिए वाकई सुरक्षित हैं?

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North Korea यानी उत्तर कोरिया एक ऐसा देश है जहां आम जनता को आज़ाद इंटरनेट इस्तेमाल करने की इजाजत नहीं है। Google, YouTube, WhatsApp, Facebook जैसे किसी भी विदेशी वेबसाइट या ऐप को वहाँ के लोग नहीं चला सकते।

तो सवाल उठता है — फिर वहाँ के लोग क्या इस्तेमाल करते हैं?

🔐 1. Kwangmyong – North Korea का अपना इंटरनेट

North Korea में लोगों को एक खास लोकल इंट्रानेट मिलता है जिसे Kwangmyong कहते हैं।
यह पूरी तरह से सरकार के नियंत्रण में है और इसमें केवल:

सरकारी न्यूज़

एजुकेशनल कंटेंट

कुछ लोकल वेबसाइटें ही देखने को मिलती हैं।
कोई भी विदेशी वेबसाइट इस सिस्टम में उपलब्ध नहीं होती।

📱 2. लोकल मोबाइल और ऐप्स

North Korea में लोग “Arirang” जैसे लोकल मोबाइल यूज़ करते हैं।
इन मोबाइल में:

सिर्फ लोकल कॉल और मैसेजिंग होती है

कोई Play Store या इंटरनेट ब्राउज़िंग की सुविधा नहीं होती

सोशल मीडिया बिल्कुल नहीं

📺 3. सरकारी टीवी और रेडियो

वहाँ के सभी टीवी चैनल और रेडियो पूरी तरह सरकार द्वारा संचालित होते हैं।
हर शो, न्यूज़ या मूवी पहले सेंसर होती है।

💾 4. USB से चोरी-छिपे फ़िल्में और गाने

कुछ लोग चोरी-छिपे साउथ कोरियन ड्रामा, हॉलीवुड फिल्में और गाने USB/SD कार्ड से लाते हैं और एक-दूसरे को शेयर करते हैं।
इसे “Sneakernet” कहा जाता है, लेकिन ऐसा करना बहुत खतरनाक है।
पकड़े जाने पर कड़ी सज़ा, यहां तक कि जेल या श्रम शिविर की सज़ा भी दी जा सकती है।

North Korea में Google या कोई भी ओपन इंटरनेट नहीं चलता। वहाँ की सरकार ने एक ऐसा सिस्टम बना रखा है जिसमें लोग सिर्फ वही देख सकते हैं जो सरकार उन्हें दिखाना चाहती है

North Korea में Google क्यों नहीं चलता? जानिए वहाँ के लोग क्या इस्तेमाल करते हैं

North Korea में आम लोग Google, YouTube या WhatsApp का इस्तेमाल क्यों नहीं कर सकते? जानिए वहाँ के लोगों की इंटरनेट दुनिया कैसी है — Kwangmyong, लोकल मोबाइल, और छिपकर फिल्में देखने की सच्चाई।

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गोंडा, उत्तर प्रदेश | 22 जून 2025
उत्तर प्रदेश के गोंडा जिले से एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है। घाघरा नदी किनारे भैंसों को नहलाने गए 13 वर्षीय बालक राजा बाबू को एक मगरमच्छ खींचकर पानी में ले गया। यह घटना उस समय हुई जब राजा बाबू अन्य ग्रामीणों के साथ नदी किनारे मौजूद था।

प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक, अचानक पानी से मगरमच्छ निकलकर बच्चे को दबोच ले गया। एक वीडियो में मगरमच्छ और बच्चे का सिर कुछ ही क्षणों के लिए दिखाई देता है, इसके बाद दोनों पानी में गायब हो जाते हैं।

स्थानीय प्रशासन और गोताखोरों की टीम मौके पर मौजूद है और पिछले 24 घंटे से रेस्क्यू ऑपरेशन जारी है। अभी तक न तो बच्चे का कोई सुराग मिला है और न ही मगरमच्छ का।

ग्रामीणों में इस घटना के बाद डर का माहौल है। परिजन का रो-रो कर बुरा हाल है। प्रशासन ने आसपास के इलाकों में सावधानी बरतने और बच्चों को अकेले नदी किनारे न भेजने की अपील की है।

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उत्तर कोरिया के सर्वोच्च नेता किम जोंग उन को लेकर दुनिया भर में कई सवाल उठते हैं, जिनमें से एक आम सवाल है – क्या किम जोंग उन किसी धर्म को मानते हैं? इस सवाल का जवाब थोड़ा जटिल जरूर है, लेकिन सटीक और रोचक भी।

🔸 किम जोंग उन का धर्म क्या है?

किम जोंग उन किसी भी पारंपरिक धर्म को नहीं मानते। उत्तर कोरिया एक आधिकारिक रूप से नास्तिक देश है, जहां धार्मिक गतिविधियों पर सख्त नियंत्रण होता है। यहां तक कि सार्वजनिक रूप से धर्म का प्रचार करना भी कानूनन अपराध माना जाता है।

🔸 उत्तर कोरिया में Juche विचारधारा

उत्तर कोरिया की राजनीति और सामाजिक ढांचे का आधार है Juche विचारधारा, जिसे किम जोंग उन के दादा किम इल-सुंग ने विकसित किया था। यह विचारधारा आत्मनिर्भरता, राष्ट्रवाद और नेता की सर्वोच्चता पर आधारित है।

इसे एक प्रकार का राजनीतिक धर्म भी कहा जा सकता है।

यहाँ नेता की छवि को ईश्वरीय और पूजनीय बना दिया गया है।

Juche विचारधारा उत्तर कोरिया में हर क्षेत्र में लागू है – शिक्षा, संस्कृति, सैन्य नीति, और मीडिया तक।


🔸 क्या उत्तर कोरिया में धर्म की अनुमति है?

उत्तर कोरिया में कुछ धार्मिक संस्थाएं नाम मात्र के लिए मौजूद हैं, लेकिन ये सभी सरकार के नियंत्रण में हैं।

ईसाई धर्म, बौद्ध धर्म, और अन्य धार्मिक क्रियाएं बंद कमरे में या गुप्त रूप से ही की जाती हैं।

बाहरी दुनिया में ऐसी कई रिपोर्ट्स हैं जो बताती हैं कि धार्मिक स्वतंत्रता न के बराबर है।


🔸 निष्कर्ष:

> किम जोंग उन किसी पारंपरिक धर्म को नहीं मानते। उत्तर कोरिया में Juche विचारधारा ही राज्य का “धर्म” है, और किम वंश की पूजा को वहां ईश्वरीय महत्व प्राप्त है।

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ईरान पर हुए अमेरिकी हमलों के बाद अब यह साफ़ हो गया है कि मामला यहीं नहीं रुकेगा। ईरान की स्टेट मीडिया ने स्पष्ट शब्दों में कहा है:

> “मिडिल ईस्ट में अब कोई भी अमेरिकी नागरिक या अमेरिका का कोई सैन्य ठिकाना ईरान के निशाने से बाहर नहीं रहेगा।”

यह बयान सिर्फ एक चेतावनी नहीं, बल्कि आने वाले तूफान की आहट है।

ईरान अब पलटवार जरूर करेगा — यह तय है। लेकिन इस पूरे घटनाक्रम में सबसे चिंता की बात यह है कि अगर जल्द ही हालात पर नियंत्रण नहीं पाया गया, तो यह संघर्ष महज़ दो देशों की लड़ाई नहीं रहेगा।

यह आग पूरे क्षेत्र को अपनी चपेट में ले सकती है — और दुनिया को एक गंभीर संकट की ओर धकेल सकती है।

अब समय है कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय हस्तक्षेप करे, वरना यह टकराव वैश्विक शांति के लिए बहुत बड़ा खतरा बन सकता है।

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अमेरिकियों को पहले से कहीं अधिक क्षति और आघात की उम्मीद करनी चाहिए,”

ईरान के सर्वोच्च नेता आयतोल्ला अली खामेनई ने ईरानी परमाणु प्रतिष्ठानों पर अमेरिका के हमलों पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा ।

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🚨ब्रेकिंग न्यूज
ईरान के तीन महत्वपूर्ण परमाणु स्थल फोर्डो, नतांज़ और इस्फ़हान को अमेरिकी वायु सेना ने पूरी तरह से नष्ट कर दिया है।अमेरिकी वायु सेना ने ईरान में इन परमाणु स्थलों को नष्ट करने के लिए B2 बमवर्षकों का इस्तेमाल किया है।ट्रम्प ने इस बात की पुष्टि की है

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फ़लस्तीन के समर्थन में अपने विश्वविद्यालय कैंपस में शांतिपूर्ण आंदोलन करने वाले युवा मोहम्मद खलील को लेकर बड़ी खबर सामने आई है। अमेरिका की ट्रंप सरकार ने उन पर सख्त कार्रवाई करते हुए उन्हें देश से निकालने की प्रक्रिया शुरू की थी। खलील पर आरोप था कि उन्होंने अमेरिकी ज़मीन पर “राष्ट्र विरोधी” गतिविधियों को बढ़ावा दिया, जबकि उनका असल मकसद फ़लस्तीन में हो रहे अत्याचारों के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाना था।

मोहम्मद खलील को पहले हिरासत में लिया गया और उनके वीज़ा को रद्द कर अमेरिका से डिपोर्ट करने की कोशिश की गई। लेकिन अब कोर्ट ने उन्हें बड़ी राहत देते हुए सभी आरोपों से बरी कर दिया है। न्यायालय ने माना कि खलील का आंदोलन शांतिपूर्ण था और अमेरिकी संविधान के तहत अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अंतर्गत आता है।

यह फ़ैसला उन तमाम छात्रों और सामाजिक कार्यकर्ताओं के लिए उम्मीद की किरण है, जो वैश्विक अन्याय के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाते हैं। यह मामला इस बात की मिसाल भी बन गया है कि लोकतंत्र में हर व्यक्ति को अपने विचार रखने और मानवाधिकारों के पक्ष में खड़े होने का अधिकार है, चाहे वह किसी भी धर्म, जाति या राष्ट्रीयता से ताल्लुक रखता हो।

यह घटना अमेरिका में बढ़ते इस्लामोफोबिया और फ़लस्तीन के समर्थन को अपराध ठहराने की राजनीति पर भी गंभीर सवाल खड़े करती है। ट्रंप प्रशासन के दौर में जिस तरह से मुसलमानों और अल्पसंख्यकों को निशाना बनाया गया, वह अब धीरे-धीरे न्यायपालिका के हस्तक्षेप से उजागर हो रहा है।

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ईरानी विदेश मंत्री अब्बास अराघची ने कहा कि ईरान का परमाणु कार्यक्रम शांतिपूर्ण है और उनका देश कूटनीति के लिए खुला है, लेकिन सबसे पहले इजरायल के हमले बंद होने चाहिए।
इजराइल के सैन्य प्रमुख इयाल ज़मीर ने चेतावनी दी है कि उनके देश को ईरान के खिलाफ “लंबे अभियान” के लिए तैयार रहना चाहिए , क्योंकि देश पर इजराइली हमले नौवें दिन में प्रवेश कर गए हैं।
संयुक्त राज्य अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने कहा कि उनकी राष्ट्रीय खुफिया निदेशक तुलसी गब्बार्ड का यह कहना गलत है कि ईरान के परमाणु हथियार बनाने का कोई सबूत नहीं है।
अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (आईएईए) ने इजरायली हमलों के बाद ईरान के नतांज परमाणु संयंत्र के अंदर “रेडियोलॉजिकल और रासायनिक संदूषण” के खतरे की चेतावनी दी है , लेकिन वर्तमान में संयंत्र के बाहर रेडियोधर्मिता में कोई बदलाव नहीं आया है

SOURCE BY ALJAJEERA

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हरदोई से एक वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है, जिसमें एक पेट्रोल पंप पर बुज़ुर्ग व्यक्ति के साथ बेहद दुर्भाग्यपूर्ण और निंदनीय घटना देखने को मिली। बताया जा रहा है कि रात के समय जब यह बुज़ुर्ग व्यक्ति पेट्रोल पंप पर पहुँचा, तो वहाँ के कुछ कर्मचारी गुंडई पर उतर आए। उन्होंने उसे घेर लिया, बदसलूकी की और जब बात हाथापाई तक पहुँची, तो उन्होंने उस बुज़ुर्ग को धक्का दे दिया।

इस पूरी घटना को देखकर वहाँ मौजूद उस बुज़ुर्ग की बेटी का दिल दहल गया। अपने पिता की इस तरह की बेइज़्ज़ती और अपमान को वह बर्दाश्त नहीं कर सकी। आत्मसम्मान की रक्षा के लिए उसने पिस्टल निकाली — लेकिन ध्यान देने वाली बात यह है कि उसने फ़ायर नहीं किया। यह उसके संयम और सोच को दर्शाता है, कि वह सिर्फ डराने के लिए कदम उठाना चाहती थी, न कि हिंसा करने के लिए।

यह घटना कई सवाल खड़े करती है — आखिर कोई आम नागरिक ऐसी स्थिति में क्या करे? जब कर्मचारी ही गुंडागर्दी पर उतर आएं और बुज़ुर्गों का सम्मान तक सुरक्षित न हो, तो कानून और व्यवस्था की भूमिका क्या होनी चाहिए?

नोट: इस खबर से जुड़े किसी भी पक्ष की पुष्टि के लिए आधिकारिक जांच का इंतजार करें। हमारा उद्देश्य केवल घटनाक्रम को मानवता और समाजिक दृष्टिकोण से सामने लाना है।

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जब ईरान इस्फहान से इज़राइल की ओर कोई बैलिस्टिक मिसाइल लॉन्च करता है, तो वह केवल एक निशाना नहीं साधता—वह पूरी दुनिया की सबसे उन्नत सैन्य सुरक्षा व्यवस्था को चुनौती देता है। उसकी राह में कई देश और अत्याधुनिक तकनीकें खड़ी हो जाती हैं, जिन्हें पार करना लगभग असंभव माना जाता है। लेकिन असंभव को मुमकिन बनाना ही शायद आज ईरान की सबसे बड़ी रणनीतिक जीत है।

1. पहला घेरा: अमेरिकी और फ्रांसीसी सैन्य ताकत

सबसे पहले यह मिसाइल इराक में मौजूद अमेरिकी सेना की निगरानी में आती है। फिर यूएई में तैनात फ्रांस के राफेल लड़ाकू विमान तैयार हो जाते हैं, जिन्हें सऊदी अरब अपनी एयरस्पेस उपयोग करने की अनुमति देता है। इसके साथ ही खाड़ी में मौजूद अमेरिकी एयरक्राफ्ट करियर USS Carl Vinson और एडवांस्ड मिसाइल डेस्ट्रॉयर्स भी इसे ट्रैक करने लगते हैं।

2. दूसरा घेरा: जॉर्डन और साइप्रस से जवाबी कार्रवाई

अगर मिसाइल पहले घेरे को पार कर जाती है, तो जॉर्डन की वायुसेना और वहाँ तैनात अमेरिकी सैन्य बल सक्रिय हो जाते हैं। साथ ही, साइप्रस से उड़ान भरने वाले ब्रिटिश रॉयल एयरफोर्स के Typhoon और F-35 लड़ाकू विमान इसे रोकने की कोशिश करते हैं।

3. तीसरा घेरा: इज़राइल का मल्टी-लेयर एयर डिफेंस सिस्टम

Arrow-3: अंतरिक्ष में 2000 किमी दूर से मिसाइल को इंटरसेप्ट करता है।

Arrow-2: वायुमंडल में 1500 से 500 किमी की दूरी पर प्रतिक्रिया देता है।

David’s Sling: 300 से 40 किमी की दूरी तक इंटरसेप्शन की कोशिश करता है।

Iron Dome: आखिरी रक्षा पंक्ति, जो 70 किमी से 4 किमी तक मिसाइल को मार गिराने का प्रयास करता है।

क्या किसी और देश के मिसाइल को इतने सुरक्षा घेरे पार करने पड़ते हैं?

यह सवाल इसलिए अहम है क्योंकि ईरान की ये मिसाइलें पूरी तरह स्वदेशी तकनीक से बनी हैं—और इनका मुकाबला करने के लिए अमेरिका, फ्रांस, ब्रिटेन और इज़राइल को अपनी सबसे महंगी और आधुनिक सैन्य तकनीकों को झोंकना पड़ता है।

और हैरानी की बात यह है कि इतनी जबरदस्त सुरक्षा व्यवस्था के बावजूद भी, कभी-कभी ये ईरानी मिसाइलें अपने टारगेट तक पहुंचने में कामयाब हो जाती हैं।

ईरान की सबसे बड़ी ताकत: आत्मनिर्भरता और तकनीकी आत्मविश्वास

यह किसी एक मिसाइल की बात नहीं है—यह उस रणनीतिक संदेश की बात है जो पूरी दुनिया सुन रही है:
“हमारे पास दुनिया की सबसे महंगी तकनीकें नहीं हैं, लेकिन हमारे पास वह जज़्बा और इनोवेशन है जो सबसे मज़बूत सुरक्षा को भी चुनौती दे सकता है।”

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इमाम कोई आम इंसान नहीं होता। वो मस्जिद की रूह होता है। दिन में पांच वक्त आपकी रहनुमाई करता है, आपकी दुआओं में शामिल होता है, आपके बच्चों को कुरआन सिखाता है। लेकिन जब वही शख्स अपने क़र्ज़, तकलीफ़ और तन्हाई के बोझ तले दबकर टूट जाए — तो ये सिर्फ उसकी नाकामी नहीं, हमारी भी ज़िम्मेदारी की चूक है।

इस्लाम में हराम, हराम ही रहता है — इसमें “अगर” और “मगर” की कोई गुंजाइश नहीं। लेकिन दर्द को समझना भी ईमान का हिस्सा है।

हमारा फ़र्ज़ है कि हम अपने इमामों का हाल जानें। वो ख़ुद्दार होते हैं — ज़ुबान से कुछ नहीं कहेंगे, लेकिन दिल में बहुत कुछ दबा होगा।
जब भी मस्जिद जाओ, नमाज़ से पहले या बाद में एक लफ़्ज़ पूछ लिया करो: “हज़रत, सब ख़ैरियत है ना?”
हो सकता है आपका एक सवाल, एक मुस्कुराहट, एक मदद — किसी को जीने का हौसला दे जाए।

मस्जिद सिर्फ इमारत नहीं, एक रिश्ते का नाम है — और उस रिश्ते में हमारी भी जिम्मेदारी है।

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17 जून को उत्तरी गाजा में आटे की बोरियां लेकर जा रहे हजारों भूखे फिलिस्तीनियों पर हमला किया गया।

इजरायली सेना ने सुडानिया क्षेत्र में अमेरिका और इजरायल के नेतृत्व वाले गाजा मानवीय राहत फाउंडेशन द्वारा स्थापित सहायता केंद्र पर एकत्रित फिलिस्तीनियों को निशाना बनाया।

गाजा में सहायता ट्रकों की पहुंच अभी भी गंभीर रूप से प्रतिबंधित है, जिसके कारण सीमित वितरण स्थलों पर बड़ी भीड़ एकत्रित हो रही है।

गाजा पर इजरायल के 621 दिवसीय नरसंहार युद्ध के परिणामस्वरूप 55,600 से अधिक लोग मारे गए, जिनमें से अधिकांश महिलाएं और बच्चे हैं।

SOURCE BU TRT NEWS

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इज़राइल द्वारा ग़ाज़ा, लेबनान और ईरान में अस्पतालों पर हमले: मानवता के विरुद्ध अपराध?

पिछले 600 दिनों में, इज़राइल ने मध्य पूर्व के संवेदनशील क्षेत्रों — ग़ाज़ा पट्टी, लेबनान और ईरान — में कई ऐसे सैन्य अभियान चलाए हैं जो अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानूनों और जिनेवा संधियों पर गंभीर प्रश्नचिह्न खड़े करते हैं। सबसे चिंताजनक बात यह है कि इन हमलों का मुख्य निशाना स्वास्थ्य संस्थान, विशेषकर अस्पताल, बने हैं। विश्वस्त स्रोतों और मानवीय संगठनों के अनुसार, इस अवधि में कुल 79 अस्पतालों पर हमले किए गए, जिससे न सिर्फ चिकित्सा सेवाएं प्रभावित हुईं, बल्कि सैकड़ों डॉक्टर, नर्स और मरीजों की जान भी गई।

नागरिकों पर बर्बरता और नरसंहार

इज़राइल द्वारा की गई यह सैन्य कार्रवाई सिर्फ बुनियादी ढांचे तक सीमित नहीं रही। इन हमलों में हजारों निर्दोष फिलिस्तीनी नागरिकों, जिनमें महिलाएं, बच्चे और बुज़ुर्ग शामिल हैं, को जान से हाथ धोना पड़ा। बमबारी और मिसाइल हमलों से प्रभावित क्षेत्रों में जनजीवन पूरी तरह से अस्त-व्यस्त हो गया है। यह स्थिति युद्ध के बजाय नरसंहार जैसी प्रतीत होती है, जिसकी आलोचना अब वैश्विक मंचों पर भी हो रही है।

क्या इन हमलों को आत्मरक्षा कहा जा सकता है?

इज़राइली सरकार द्वारा इन हमलों को “आत्मरक्षा” और “आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई” करार दिया जाता रहा है। लेकिन जब कोई देश बार-बार नागरिक ठिकानों और अस्पतालों को निशाना बनाता है, तो यह सवाल उठना लाज़मी है: क्या यह आत्मरक्षा है या संगठित हिंसा?

अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संगठनों जैसे कि एमनेस्टी इंटरनेशनल और ह्यूमन राइट्स वॉच ने भी इन कार्रवाइयों की निंदा करते हुए स्वतंत्र और निष्पक्ष जांच की मांग की है।

अंतरराष्ट्रीय समुदाय की भूमिका

इस प्रकार की त्रासदियों के सामने आने के बावजूद वैश्विक शक्तियाँ अक्सर चुप्पी साधे रहती हैं या केवल बयानबाज़ी तक सीमित रहती हैं। आवश्यकता इस बात की है कि संयुक्त राष्ट्र, आईसीसी (अंतरराष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय) और अन्य वैश्विक संस्थाएं इस विषय में सक्रिय हस्तक्षेप करें ताकि युद्धग्रस्त क्षेत्रों में आम नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।

निष्कर्ष:
स्वास्थ्य संस्थानों और आम नागरिकों पर हमले केवल एक देश की संप्रभुता का मामला नहीं होते, बल्कि यह पूरी मानवता के लिए एक चेतावनी हैं। इस तरह की घटनाओं को नज़रअंदाज़ करना आने वाली पीढ़ियों के लिए एक खतरनाक उदाहरण पेश करेगा।

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ईरान और इज़राइल के बीच तनाव अभी भी बना हुआ है, और स्थिति काफी गर्म बनी हुई है। यहाँ नवीनतम अपडेट्स हैं: 

ईरान-इज़राइल तनाव
1. परमाणु मुद्दा  ईरान का परमाणु कार्यक्रम अभी भी विवादास्पद बना हुआ है। अंतरराष्ट्रीय समुदाय और इज़राइल को डर है कि ईरान परमाणु हथियार बना सकता है। 
2. प्रॉक्सी युद्ध यमन के हौथी विद्रोहियों, लेबनान के हिज़बुल्लाह और गाजा के हमास को ईरानी समर्थन जारी है, जिससे इज़राइल के साथ टकराव बढ़ रहा है। 
3. सीधी झड़पें इज़राइली हवाई हमले सीरिया और लेबनान में ईरानी लक्ष्यों पर हो रहे हैं, जबकि ईरानी-समर्थित गुट इज़राइल पर रॉकेट और ड्रोन हमले कर रहे हैं। 
4.अमेरिकी भूमिका अमेरिका इज़राइल को सैन्य सहायता दे रहा है, लेकिन क्षेत्र में सीधे हस्तक्षेप से बच रहा है। 

अल जज़ीरा की रिपोर्टिंग
– अल जज़ीरा इस संघर्ष पर विस्तृत कवरेज दे रहा है, खासकर फिलिस्तीनियों और ईरान-समर्थित गुटों के पक्ष से। 
– इज़राइल ने अल जज़ीरा पर “पक्षपाती रिपोर्टिंग” का आरोप लगाया है और कुछ देशों में इसके ऑपरेशन्स पर प्रतिबंध लगाए हैं। 
भविष्य की आशंकाएँ
– अगर तनाव और बढ़ा, तो बड़े पैमाने पर युद्ध का खतरा है। 
– अंतरराष्ट्रीय समुदाय शांति वार्ता की कोशिश कर रहा है, लेकिन अभी कोई बड़ी सफलता नहीं मिली है।

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हाल ही में एक मिसाइल हमले के बाद इज़राइल के तेल अवीव शहर में व्यापक नुकसान की खबरें सामने आ रही हैं। कई इमारतें क्षतिग्रस्त हो चुकी हैं और कुछ क्षेत्रों में जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है। स्थानीय लोगों को सुरक्षा की चिंता के चलते अपने घर छोड़ते हुए देखा गया।

इसी बीच, अंतरराष्ट्रीय समुदाय में एक बार फिर उस क्षेत्र को लेकर चर्चा तेज हो गई है, जहां वर्षों से भूमि विवाद और संघर्ष चले आ रहे हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि मौजूदा हालात इतिहास के उन पन्नों की याद दिला रहे हैं, जब इस क्षेत्र में अस्थिरता और विस्थापन का दौर देखा गया था।

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भोपाल के मेहगांव क्षेत्र में 2 जून को कथित गोरक्षकों की भीड़ ने दो मुस्लिम युवकों पर हमला कर दिया। ये युवक — 24 वर्षीय जुनैद और 21 वर्षीय अरमान — मवेशियों को विदिशा से भोपाल ले जा रहे थे। बताया जा रहा है कि मवेशी व्यापार या पालन के उद्देश्य से लाए जा रहे थे।

इस हमले में दोनों को गंभीर रूप से चोटें आईं और उन्हें हमीदिया अस्पताल, भोपाल में भर्ती कराया गया। लगभग दो सप्ताह तक वेंटिलेटर पर रहने के बाद, जुनैद ने 17 जून को दम तोड़ दिया। अरमान अभी भी इलाज के तहत अस्पताल में है।

पुलिस ने इस घटना के संबंध में चार लोगों को गिरफ्तार किया है, जबकि 10 से अधिक अन्य संदिग्धों की तलाश जारी है। विदिशा और आसपास के क्षेत्रों में छापेमारी की जा रही है।

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इज़रायली कब्ज़ाकारी सेनाएं इस समय कब्ज़े वाले तेल अवीव क्षेत्र में नागरिकों के बीच छिपकर रह रही हैं। रिपोर्ट्स के अनुसार, ये सैनिक जानबूझकर घनी आबादी वाले इलाकों में अपनी मौजूदगी दर्ज करा रहे हैं ताकि किसी भी संभावित हमले की स्थिति में नागरिकों का इस्तेमाल ‘मानव ढाल’ के रूप में किया जा सके।

इस रणनीति का मकसद खुद को हमलों से बचाना और अंतरराष्ट्रीय दबाव से बच निकलना बताया जा रहा है। ऐसे हालात में निर्दोष नागरिकों की जान को खतरे में डालना मानवाधिकारों का गंभीर उल्लंघन माना जाता है।

यह व्यवहार न केवल अंतरराष्ट्रीय कानूनों के खिलाफ है, बल्कि यह दुनिया को यह दिखाता है कि इज़रायली सेना किस हद तक जाकर अपनी नीतियों को लागू कर रही है — भले ही इसके लिए मासूम नागरिकों की ज़िंदगियों को दांव पर क्यों न लगाना पड़े। Vidio

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देखो इजराइल का अंत हो रहा है और अंत होकर रहेगा, क्योंकि अल्लाह ने ईरान को जिम्मेदारी दी है दुनिया से शैतानों को खत्म करने की।

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तेहरान से जारी आधिकारिक बयान में ईरान ने एक बार फिर दुनिया को चेतावनी दी है कि वह अब पीछे नहीं हटेगा। इज़रायल द्वारा की गई सैन्य कार्रवाइयों और उसके द्वारा शहीद किए गए ईरानी सैन्य कमांडरों की मौत ने पूरे ईरान को झकझोर कर रख दिया है।

ईरान के रक्षा मंत्रालय ने साफ कर दिया है कि यह संघर्ष अब केवल जवाबी कार्रवाई भर नहीं, बल्कि एक निर्णायक युद्ध की ओर बढ़ रहा है। ईरानी प्रवक्ताओं का कहना है कि अब बात सिर्फ बदले की नहीं, बल्कि सम्मान, आत्मरक्षा और क्षेत्रीय संतुलन की है।

✳️ ईरानी प्रवक्ता का बयान:

> “हम अपने महान शहीद मेजर जनरलों के खून को व्यर्थ नहीं जाने देंगे। इज़रायल को उसके हर एक कदम का हिसाब देना होगा। यह संघर्ष अब अंतिम चरण में प्रवेश कर चुका है – और हम आखिरी सांस तक लड़ेंगे।”

🌍 वैश्विक चिंता बढ़ी:

इस एलान के बाद अंतरराष्ट्रीय समुदाय में खलबली मच गई है। संयुक्त राष्ट्र, अमेरिका, रूस, चीन और यूरोपीय देशों की नजरें अब मध्य पूर्व पर टिकी हैं। क्षेत्र में युद्ध की संभावनाओं ने तेल कीमतों से लेकर वैश्विक बाजारों तक को प्रभावित करना शुरू कर दिया है।


नोट: यह स्थिति लगातार विकसित हो रही है। पल-पल की अपडेट के लिए जुड़े रहें हमारी वेबसाइट पर।

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ईरान ने एक बार फिर साबित कर दिया कि वह अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा और संप्रभुता के मुद्दे पर कोई समझौता नहीं करता। हाल ही में, देश में तोड़फोड़ और जासूसी गतिविधियों में शामिल पाए गए दर्जनों इज़रायली एजेंटों को गिरफ्तार किया गया था।

सरकारी सूत्रों के अनुसार, इन एजेंटों को ईरान की सुरक्षा एजेंसियों ने एक गुप्त ऑपरेशन के तहत धर दबोचा। पूछताछ और पुख्ता सबूतों के आधार पर, कोर्ट ने उन्हें देशद्रोह, जासूसी और आतंकवादी साजिश के आरोपों में मौत की सज़ा सुनाई।

🔴 चौंकाने वाली बात यह रही कि मात्र 24 घंटे के भीतर इन सभी एजेंटों को फांसी दे दी गई।

ईरान की सरकार ने यह स्पष्ट कर दिया है कि:

> “हमारे देश की सरज़मीं पर कोई विदेशी हस्तक्षेप या साजिश बर्दाश्त नहीं की जाएगी। जो भी ईरान की अखंडता को खतरे में डालेगा, उसे कठोरतम सज़ा दी जाएगी।”

यह घटना मध्य-पूर्व में बढ़ते तनाव के बीच आई है, जहां पहले से ही ईरान और इज़रायल के बीच गुप्त लड़ाइयाँ और साइबर युद्ध जारी हैं।

✅ यह खबर ईरान की आंतरिक सुरक्षा और जासूसी विरोधी नीति का जीवंत उदाहरण है।

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बिलकुल, ये बात एक कड़वे सच को उजागर करती है —
जब खुद यहूदी धर्म को मानने वाले कुछ लोग इज़राइल की नीतियों के खिलाफ प्रदर्शन करते हैं, उसका झंडा जलाते हैं, तो यह दिखाता है कि विरोध का मतलब धर्म से नहीं, अत्याचार और राजनीति से होता है।

यहूदियों का एक वर्ग खुद कहता है कि इज़राइल की सरकार की नीतियाँ गलत हैं, खासकर फिलिस्तीन के खिलाफ की जा रही कार्रवाइयों को लेकर। वे कहते हैं कि सच्चा यहूदी धर्म ज़ुल्म के खिलाफ खड़ा होता है, ना कि उसके साथ।

लेकिन दूसरी तरफ, हमारे देश में बैठे कुछ अंधभक्त बिना कुछ समझे, सिर्फ “मुसलमान विरोधी” एजेंडे के चलते इज़राइल की हर बात पर आंख मूंदकर समर्थन करते हैं।
वो इज़राइल को “पापा” कहकर गौरव महसूस करते हैं, बिना यह समझे कि खुद इज़राइल के अंदर ही विरोध की ज्वाला उठ रही है।
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असल में यह फर्क है सोच और समझ का —
कोई अन्याय के खिलाफ खड़ा होता है,
और कोई सिर्फ नफरत की आग में आंखें बंद कर चलता है।

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मध्य-पूर्व में जब हालात बेहद तनावपूर्ण हैं — ईरान की ओर से इजरायल पर दागी जा रही मिसाइलें पूरी दुनिया को चिंता में डाल रही हैं — वहीं लेबनान से एक बिल्कुल ही अलग तस्वीर सामने आ रही है।

लेबनानी सोशल मीडिया यूज़र्स और स्थानीय नागरिक ईरानी मिसाइलों को इजरायल की ओर जाते देख सोशल प्लेटफ़ॉर्म्स पर ट्रोलिंग मोड में हैं। कई लोग वीडियो बना रहे हैं, कुछ इस मंजर का मज़ाकिया आनंद लेते दिख रहे हैं।

इतना गंभीर और संवेदनशील माहौल होने के बावजूद, लोगों का ऐसा रिएक्शन चौंकाने वाला है। Full Vidio

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महाराष्ट्र के वैजापुर खंडाला क्षेत्र में एक बेहद चिंताजनक और दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है। जानकारी के मुताबिक, एक मुस्लिम युवक मोईन शाह की चाकू से बेरहमी से हत्या कर दी गई, जबकि कई अन्य लोग गंभीर रूप से घायल बताए जा रहे हैं।

घटना का वीडियो भी सामने आया है जिसमें एक युवक हाथ में चाकू लेकर मुस्लिम युवकों पर हमला करता दिखाई दे रहा है। बताया जा रहा है कि वह युवक एक हिंदू संगठन से जुड़ा हुआ कार्यकर्ता है और उस पर आरोप है कि उसने अपने कुछ साथियों के साथ मिलकर इस हमले को अंजाम दिया।

वीडियो में यह भी देखा जा सकता है कि जब कुछ लोग हमले का विरोध करते हैं तो वह युवक उन पर भी हमला करता है, जिससे इलाके में भय और गुस्से का माहौल फैल गया है।

घटना के बाद AIMIM सांसद इम्तियाज़ जलील मौके पर पहुंचे और उन्होंने पीड़ित परिवार से मुलाकात की। मीडिया से बात करते हुए उन्होंने इस हमले की कड़ी निंदा की और सरकार से तत्काल कार्रवाई की मांग की। उन्होंने कहा,

> “यह कोई सामान्य घटना नहीं है, यह एक समुदाय विशेष को डराने की साज़िश लगती है। दोषियों को सख्त सजा मिलनी चाहिए। हम यह मुद्दा संसद में भी उठाएंगे।”



फिलहाल पुलिस ने मामले की जांच शुरू कर दी है और इलाके में अतिरिक्त सुरक्षा बल तैनात कर दिया गया है ताकि स्थिति को नियंत्रित किया जा सके।

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ईरान ने अमेरिका, ब्रिटेन और फ्रांस को धमकी दी: “हस्तक्षेप करोगे तो तुम्हें निशाना बनाया जाएगा”

ईरान ने पश्चिमी सहयोगियों को चेतावनी दी कि इजरायल पर उसके हमलों को रोकने का कोई भी प्रयास सीधे जवाबी कार्रवाई को बढ़ावा देगा:

“कोई भी देश जो इजरायल पर ईरानी हमलों को विफल करने में भाग लेता है, वह ईरानी सेना द्वारा फारस की खाड़ी के देशों में सैन्य ठिकानों और फारस की खाड़ी और लाल सागर में जहाजों और नौसैनिक जहाजों सहित मिलीभगत वाली सरकार के सभी क्षेत्रीय ठिकानों को निशाना बनाए जाने के अधीन होगा।”

स्रोत: मेहर न्यूज़

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उत्तर प्रदेश के बिजनौर जिले में एक हृदयविदारक घटना ने पूरे स्वास्थ्य तंत्र की पोल खोल दी है। 26 वर्षीय सरफराज़, जो अपने पैरों पर चलकर मेडिकल अस्पताल पहुंचा था, डायलिसिस के लिए भर्ती हुआ। इलाज की प्रक्रिया शुरू हुई, लेकिन जैसे ही डायलिसिस के बीच में बिजली चली गई, सारी उम्मीदें और ज़िंदगियाँ ठहर सी गईं।

डायलिसिस मशीन में आधा खून था जो शरीर में वापस जाना था, लेकिन मशीन रुक गई। सरफराज़ तड़पने लगा, बेचैन हो गया। उसके साथ मौजूद मां ने अस्पताल के स्टाफ से हाथ जोड़कर गिड़गिड़ाया — “बेटे को कुछ हो जाएगा, जेनरेटर चला दो…” पर अफसोस, जवाब मिला कि “डीजल नहीं है”।

क्या यही है हमारे देश का स्वास्थ्य तंत्र? एक ज़िंदा इंसान की जान को बचाने के लिए जो बुनियादी चीज़ – जेनरेटर या डीज़ल – की ज़रूरत थी, वो नहीं मिल सकी।

सरफराज की मां की आंखों के सामने उसका बेटा धीरे-धीरे ज़िंदगी की जंग हार गया और अस्पताल प्रशासन सिर्फ खड़े होकर तमाशा देखता रहा।

यह घटना न सिर्फ दर्दनाक है, बल्कि यह कई गंभीर सवाल भी खड़े करती है:

जब अस्पतालों में डायलिसिस जैसी जानलेवा स्थिति का इलाज होता है, तो बिजली बैकअप की क्या तैयारी है?

क्या कोई इमरजेंसी प्रोटोकॉल नहीं होता?

क्या एक इंसान की जान इतनी सस्ती है?


सरफराज़ की मौत किसी बीमारी से नहीं, बल्कि व्यवस्था की बेरुख़ी, प्रशासन की लापरवाही और इंसानियत की कमी से हुई है।

अब सवाल उठता है कि इस मौत का जिम्मेदार कौन है?

अस्पताल प्रशासन?

स्वास्थ्य विभाग?

सरकार?

या पूरा सिस्टम जो एक गरीब की आवाज़ नहीं सुनता?

सरफराज अब इस दुनिया में नहीं है, लेकिन उसकी मां की चीख, उसकी आंखों में उतरता खौफ, और ये खामोशी पूरे देश से इंसाफ मांग रही है।

अब ये हम पर है कि हम इसे एक “न्यूज़” की तरह पढ़कर भूल जाएं, या एक जिम्मेदार नागरिक बनकर सवाल उठाएं —
“कब तक जानें यूं ही जाती रहेंगी और सिस्टम यूं ही खामोश रहेगा?”

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ईरान ने हाल ही में एक बड़ी सैन्य कामयाबी हासिल की है, जिसने पूरी दुनिया का ध्यान अपनी ओर खींचा है। सूत्रों के मुताबिक, ईरान ने इज़राइल के एक अहम एयर डिफेंस सिस्टम पर एक सटीक और सफल हमला किया, जिससे इज़रायली सुरक्षा व्यवस्था में बड़ी सेंध लग गई। यह हमला न केवल तकनीकी रूप से बहुत उन्नत बताया जा रहा है, बल्कि यह इज़राइल की अब तक मानी जाने वाली ‘अजेय’ डिफेंस तकनीक पर भी गंभीर सवाल खड़े करता है।

ईरान के इस हमले में ड्रोन और मिसाइल तकनीक का इस्तेमाल किया गया, जिसे इज़रायली रडार सिस्टम समय रहते पूरी तरह पहचान नहीं सका। कुछ रिपोर्टों के अनुसार, यह हमला इज़राइल के Iron Dome सिस्टम को भेदने में सफल रहा, जो कि अब तक अपने उच्च सफलता दर के लिए जाना जाता था। इससे यह संकेत मिलता है कि ईरान की सैन्य तकनीक पहले की तुलना में कहीं अधिक एडवांस और खतरनाक हो चुकी है।

यह हमला केवल एक सैन्य कार्रवाई नहीं था, बल्कि यह मध्य पूर्व की जियो-पॉलिटिक्स में एक निर्णायक मोड़ भी साबित हो सकता है। इज़राइल जहां हमेशा से अमेरिकी समर्थन के सहारे अपनी रक्षा प्रणाली को मजबूत मानता रहा है, वहीं अब उसे यह मानना पड़ सकता है कि उसके विरोधी देश भी तेजी से सैन्य ताकत और तकनीक में आगे बढ़ रहे हैं।

इस घटनाक्रम से यह भी स्पष्ट होता है कि अब संघर्ष सिर्फ जमीनी युद्ध तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि साइबर और तकनीकी युद्धों का युग भी आ चुका है। ईरान का यह कदम न सिर्फ इज़राइल के लिए एक चेतावनी है, बल्कि पूरे क्षेत्र में शक्ति संतुलन को बदलने की दिशा में एक बड़ा इशारा भी है।

हालाँकि, इज़राइल की ओर से इस हमले पर आधिकारिक रूप से बहुत सीमित प्रतिक्रिया आई है, लेकिन अंदरूनी सूत्रों का कहना है कि इस घटना ने इज़राइल की खुफिया और सुरक्षा एजेंसियों को अलर्ट कर दिया है। अब आने वाले दिनों में दोनों देशों के बीच तनाव और ज़्यादा बढ़ सकता है।

निष्कर्ष:
ईरान द्वारा इज़रायली एयर डिफेंस सिस्टम पर किया गया यह हमला सिर्फ एक सैन्य कार्रवाई नहीं, बल्कि एक रणनीतिक संदेश है – कि अब मध्य पूर्व में कोई भी ताकत पूरी तरह सुरक्षित नहीं है। आने वाले दिनों में इस हमले के असर और प्रतिक्रियाएं पूरी दुनिया को देखने को मिल सकती हैं।

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अहमदाबाद:
हाल ही में हुए एक दर्दनाक विमान हादसे ने न सिर्फ कई ज़िंदगियाँ लील लीं, बल्कि बचे हुए लोगों को भी गहरे ज़ख्म दे गया। डॉ. अनिल एक ऐसे ही व्यक्ति हैं, जिनका परिवार इस त्रासदी का सीधा शिकार बना। जब यह प्लेन क्रैश हुआ, उस समय डॉ. अनिल और उनकी पत्नी अस्पताल में ड्यूटी पर थे, लेकिन उनका घर हादसे की चपेट में आ गया।

इस भयावह हादसे में उनकी छोटी बेटी और घर पर काम करने वाली मेड की मौके पर ही मौत हो गई। एक पल में खुशहाल परिवार उजड़ गया।

अब, प्रशासन ने डॉ. अनिल को उस घर को खाली करने का नोटिस थमा दिया है—वही घर जो अब उनकी बेटी की यादों का आखिरी सहारा बन चुका है।

भावुक डॉ. अनिल का कहना है:

> “मेरी बच्ची वहीं एडमिट है… कृपया हमें थोड़ा वक्त दीजिए। हम अभी भी सदमे में हैं। उस घर में मेरी बेटी की हर मुस्कान, हर खिलखिलाहट बसी है। मैं उससे अभी जुदा नहीं हो सकता।”



प्रशासन की मजबूरी और सिस्टम की प्रक्रिया अपनी जगह है, लेकिन सवाल ये है कि क्या इंसानियत को थोड़ा वक़्त नहीं दिया जा सकता?
क्या एक टूटे पिता को अपनी बच्ची से आखिरी बार मिलने की मोहलत भी नहीं मिलनी चाहिए?

इस पूरे मामले ने सोशल मीडिया पर भी लोगों का ध्यान खींचा है। कई लोग प्रशासन से अपील कर रहे हैं कि इस परिवार को कुछ और दिन उसी घर में रहने की इजाज़त दी जाए ताकि वह मानसिक रूप से खुद को संभाल सकें।

📌 निष्कर्ष:

जहां एक ओर हादसे की जांच और सुरक्षा को लेकर सख़्त कदम उठाने की ज़रूरत है, वहीं दूसरी ओर ज़रूरत है थोड़ी संवेदनशीलता की।
डॉ. अनिल जैसे लोगों को हमारे सिस्टम से सिर्फ कानूनी नहीं, इंसानी समर्थन भी चाहिए।

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स्थान: त्रिपुरा राज्य, गोमती ज़िला (उदयपुर/राजनगर क्षेत्र)

तारीख: ईदुल-अज़हा के दिन (लगभग 7 जून 2025) 

घटना की मुख्य बातें

ईद के महत्व के मौके पर एक मुस्लिम परिवार ने अपने घर में धार्मिक भावना से पशु की कुर्बानी दी।

कुछ हिंदूवादी संगठन के सदस्यों द्वारा अचानक उस घर पर झूठे आरोप लगाए गए कि उन्होंने अनुमति के बिना या प्रतिबंधित तरीके से क़ुर्बानी की  ।

इसके बाद हिंसक समूह ने उस परिवार और मुस्लिम व्यक्ति पर जोरदार हमला किया — जिसमें:

उसकी दाढ़ी नोच ली गई,

उस व्यक्ति को “मुल्ला” कहकर गाली-गलौज की गई,

उसके वाहन में तोड़-फोड़ की गई  ।

सामग्री एवं दृष्टांत

सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म (जैसे X) पर वायरल और Eye-witness पोस्ट्स में साफ़ दिखता है कि भीड़ ने उस मुस्लिम व्यक्ति के घर और धरोहर में हिसा किया, जिसकी पुलिस ने बाद में पुष्टि की  ।

⚠️ कानून-व्यवस्था की स्थिति और कार्रवाई

स्थानीय पुलिस ने घटना स्थल पर ध्वंस की घटना दर्ज की और भीड़ को तितर-बितर करने के बाद तपास शुरू की  ।

हालांकि अभी तक कोई बड़ी गिरफ्तारी की खबर नहीं है, पर स्थानीय प्रशासन ने स्थिति पर कड़ी नजर रखने का आश्वासन दिया है।

सामाजिक एवं धार्मिक प्रभाव

एक समुदाय के धार्मिक आस्था (ईद की कुर्बानी) के दौरान इस तरह की नकारात्मक हरकत ने धार्मिक सौहार्द पर चोट पहुंचाई है।

इस घटना से उभरता है कि शक और झूठे आरोप किस तरह दूसरों के निजी जीवन में विनाशकारी असर डाल सकते हैं — विशेषकर धार्मिक त्योहारों के दौरान।

निष्कर्ष

त्रिपुरा के गोमती जिले में ईद के दिन मुस्लिम परिवार के साथ हुए इस हमले ने एक बार फिर चिंता जगाई है कि धार्मिक अंतर्द्वंद्व और साम्प्रदायिक द्वेष किस हद तक हिंसा को जन्म दे सकते हैं।
यह घटना न सिर्फ पीड़ित की व्यक्तिगत आज़ादी को प्रभावित करती है, बल्कि सामूहिक सह-अस्तित्व, कानून-व्यवस्था और धार्मिक सौहार्द को भी भंग करती है।

यह जानकारी सोशल मीडिया पोस्ट, पुलिस रिपोर्ट और स्थानीय समाचार मांगों के आधार पर तैयार की गई है।”


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13 जून 2025 को इज़राइल ने “Operation Rising Lion” नामक एक बड़े पैमाने पर हवाई अभियान की शुरुआत की, जिसमें ईरान के कई महत्वपूर्ण सैन्य और परमाणु प्रतिष्ठानों को निशाना बनाया गया। इनमें तबरीज़ के शेख़री एयर डिफेंस हेडक्वार्टर के पास स्थित अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा और शाहिद फ़कूरी मिलिट्री बेस शामिल हैं, जो इस हमले के मुख्य लक्ष्यों में थे ।

हताहतों और घायल संख्या (प्रारंभिक आंकड़े):

तेहरान में कम से कम 78 लोग मारे गए और 329 से अधिक घायल हुए, जैसा कि ईरानी अर्ध‑सरकारी फर्स न्यूज एजेंसी ने रिपोर्ट किया ।

तबरीज़ (पूर्वी अज़राइबाईजान प्रांत) में 5 लोग मारे गए और 12 घायल बताए गए, इसके अलावा स्थानीय एयरडिफेंस बेस और एयरपोर्ट को भी भारी क्षति पहुँची ।

लक्षित वरिष्ठ अधिकारी और वैज्ञानिक:

इस स्ट्राइक में الإيرानी रिवोल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स (IRGC) और रक्षा प्रतिष्ठानों के कई उच्च‑स्तरीय अधिकारी तथा परमाणु वैज्ञानिक भी मारे गए:

जनरल होसेन सालामी (IRGC चीफ)

जनरल मोहम्मद बघेरी (सशस्त्र बलों के चीफ ऑफ स्टाफ)

जनरल घोलम अली राशिद

एयर डिफेंस और ड्रोन यूनिट के वरिष्ठ नेता

तीन से छह परमाणु वैज्ञानिक, जिनमें फेरेयदून अब्बासी और मोहम्मद मेहदी तहरांची शामिल हैं ।

आईएईए और विभिन्‍न आकलन:

अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) ने नैटांज़ में रेडिएशन स्तरों में कोई वृद्धि नहीं पाई, हालांकि साइट को महत्वपूर्ण क्षति मिली थी ।

आकलनकर्ता इस हमले को ईरान-इराक युद्ध के बाद इज़राइल द्वारा किया गया सबसे बड़ा सैन्य अभियान मान रहे हैं ।

तनाव, प्रत्युत्तर एवं वैश्विक प्रतिक्रिया:

इज़राइली सेना ने बताया कि उन्होंने ईरान से करीब 100 से अधिक ड्रोन भारत की सीमा की ओर भेजे गए, जिन्हें उन्होंने बड़े पैमाने पर इंटरसेप्ट किया ।

ईरान ने इस घटना को ‘युद्ध की घोषणा’ करार दिया और उस पर “तेज़ और कानूनी” प्रत्युत्तर देने का वादा किया है, जैसे कि सुप्रीम नेता आयातोल्ला अली खामेनेई एवं राष्ट्रपति मसूद पेज़िश्कियन ने कहा ।

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की एक आपात बैठक बुलाई गई। रूस, तुर्की, सऊदी अरब समेत कई देशों ने तनाव को सीमित करने की अपील की और नागरिकों की सुरक्षा की चिंता जताई ।

क्षेत्रीय और वैश्विक प्रभाव:

मध्य-पूर्व की आवाजाही प्रभावित हुई है: कई एयरलाइन कंपनियों ने ईरानी व आसपास के हवाई मार्गों से उड़ानें रद्द या परिवर्तित कीं ।

इराक ने शिकायत दर्ज करवाई कि इज़राइली मिसाइलों और ड्रोन ने उसका हवाई क्षेत्र पार किया, इसे अपनी संप्रभुता का उल्लंघन बताते हुए सन्यासदायके UN में अपील की गई ।

निष्कर्ष

इज़राइल द्वारा ईरान के उन महत्वपूर्ण ठिकानों पर यह तीव्र हवाई हमला, जिसे “Operation Rising Lion” कहा गया है, एक ऐतिहासिक और ऐतिहासिक रूप से महत्वपूर्ण सैन्य कार्रवाई है। इस हमले का असर न सिर्फ ईरान‑इज़राइल के बीच तनाव को बढ़ाता है, बल्कि पूरे मध्य‑पूर्व तथा अंतरराष्ट्रीय राजनय में इसकी गंभीर गूँज सुनाई दे रही है। शुरुआती आंकड़े साक्ष्य हैं कि इसमें सैकड़ों लोग प्रभावित हुए हैं और यह निश्चित ही वैश्विक कूटनीति तथा क्षेत्रीय सुरक्षा उपायों में बदलाव लाएगा।

यह जानकारी अंतरराष्ट्रीय समाचार एजेंसियों की रिपोर्टिंग के आधार पर प्रस्तुत की गई है।”

“Sources: Al Jazeera, Washington Post, Fars News, Reuters

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जम्मू और कश्मीर के कटरा स्थित वैष्णो देवी मंदिर को जाने वाले रास्ते में स्थित मस्जिद पर आपत्ति जताते हुए किसी ने वीडियो बनाया। सोशल मीडिया पर ये वीडियो तेज़ी से वायरल हो रहा है। सवाल ये है की मस्जिद से क्या दिक्कत है…🤔 Vidio

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कांग्रेस पार्टी के ‘शक्ति अभियान’ के तहत चल रही इंदिरा फेलोशिप न केवल महिलाओं को नेतृत्व के लिए तैयार कर रही है, बल्कि उन्हें सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक मुद्दों पर खुलकर बोलने का मंच भी दे रही है। इसी कड़ी में बिहार की ऋचा कुमारी ने हाल ही में राहुल गांधी के साथ मंच साझा करते हुए जिस आत्मविश्वास और सहजता से जनता के असल मुद्दों को उठाया, वह हर भारतीय महिला की शक्ति, आत्मनिर्भरता और सामाजिक चेतना का प्रतीक बन गया।

ऋचा कुमारी की यह बेबाक आवाज़ यह साबित करती है कि जब महिलाओं को सही अवसर और मार्गदर्शन मिलता है, तो वे समाज में सार्थक बदलाव लाने में सक्षम होती हैं। इंदिरा फेलोशिप जैसी पहलें उन महिलाओं को ताकत दे रही हैं, जो आज बदलाव की अगुवाई कर रही हैं।

यह अभियान एक संदेश है —
अब महिलाएं सिर्फ समर्थक नहीं, बल्कि नेतृत्वकर्ता बन रही हैं। @Ashrafhussain

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राहुल गांधी का यह लेख हर भारतीय को जरूर पढ़ना चाहिए। इसमें उन्होंने ना सिर्फ़ चुनावी प्रक्रिया पर सवाल उठाए हैं, बल्कि महाराष्ट्र चुनाव के नतीजों को लेकर केंद्र सरकार पर तीखा हमला भी बोला है।

उन्होंने आरोप लगाया है कि किस तरह से चुनावों में फर्जी वोटिंग करवाई गई, रिजल्ट में हेराफेरी की गई और मीडिया का इस्तेमाल कर माहौल बनाकर सत्ता हथिया ली गई।

राहुल गांधी ने यह भी कहा कि लोकतंत्र की नींव को हिलाने वाले ऐसे कृत्य न केवल जनमत का अपमान हैं, बल्कि देश की आत्मा के साथ धोखा हैं।

बाकी पूरा लेख पढ़ें और खुद तय करें कि लोकतंत्र की यह हालत किस ओर जा रही है।

@ASHRAFHUSSAIN

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उत्तर प्रदेश की बरेली में खुद को जीएसटी इंस्पेक्टर बताकर लोगों पर रौब दिखाने वाला आरोपी युवक गिरफ्तार हो गया है. बता दें कि आरोपी शहजाद सिर्फ बीकॉम पास है. जानकारी मिली है कि वह अपने मोहल्ले की गली में रहने वाली इकरा नाम की लड़की प्यार करता था. इकरा की फैमिली की शर्त थी कि शादी सरकारी नौकरी वाले दामाद से होगी. फिर आरोपी शहजाद ने यूट्यूब की मदद से पुलिस दारोगा पेपर की तैयारी शुरू कर दी. पेपर दिया, लेकिन नंबर नहीं आया. इसके कुछ समय बाद सीजीएल की लिस्ट में 2643 नंबर पर एक नाम शहजाद अंसारी का था. नाम मैच होते ही शहजाद ने जीएसटी इंस्पेक्टर चयनित होने की मिठाई बंटवा दी. पूरी बिरादरी में अपने नाम का डंका बजाने लगा. इसके बाद शहजाद ने पुलिस वर्दी खरीदी. इंस्पेक्टर का फर्जी आईकार्ड बनवाया और इकरा से निकाह भी कर लिया
एक दिन इकरा को शक हुआ कि शादी के बाद शहजाद काम पर नहीं जा रहा है. यह बात उसने अपने भाई-बहनों को बताई. भाई-बहनों ने जब जांच पड़ताल की तो शहजाद की पोल खुल गई. इकरा ने इस मामले मी शिकायत की. इकरा की शिकायत पर

शहजाद गिरफ़्तार

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नॉर्थ गाजा के जबलिया शहर में भारी इजरायली हवाई हमलों के बाद हजारों फलस्तीनियों को जबरदस्ती बेघर कर दिया गया ।

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उत्तर प्रदेश के मेरठ स्थित कैंट रेलवे स्टेशन परिसर में बनी एक मस्जिद को “अवैध” बताते हुए कुछ दिन पहले हिंदू संगठनों द्वारा विरोध प्रदर्शन किया गया था। इस दौरान मस्जिद के बाहर हनुमान चालीसा का पाठ भी किया गया था, जिससे इलाके में तनाव की स्थिति बन गई थी।

पुलिस ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए हंगामा करने वालों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की थी और कुछ लोगों को गिरफ्तार कर जेल भेजा गया था।

अब इस मामले में आरोपी हिंदूवादी नेताओं — सचिन सिरोही और संजय समरवाल को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जमानत दे दी है। अदालत ने अपने आदेश में कहा कि केवल आरोपों के आधार पर किसी व्यक्ति को अनिश्चितकाल तक जेल में नहीं रखा जा सकता, जब तक कि आरोप सिद्ध न हो जाएं।

यह मामला धार्मिक और सामाजिक संतुलन के लिहाज से संवेदनशील बना हुआ है, और प्रशासन स्थिति पर नजर बनाए हुए है।  ASHRAF HUSSAIN

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UP: बकरों को कुर्बानी से बचाने के लिए बागपत में एक बकराशाला के जैन मालिकों ने मंडियों से बकरे खरीदना शुरू किया…

उनका दावा है कि उनके पास बकराशाला में 650 बकरे हैं और वे बकरी ईद से पहले बकरों की संख्या 800 तक पहुंचाना चाहते हैं। ASHRAF HUSSAIN

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इजरायल ने गाजा की मस्जिदों को शहीद कर दिया लेकिन उन लोगो के ईमान को कमजोर नहीं कर पाया।

गाजा पर 600 से ज़्यादा दिनों से चल रही बमबारी और जंग के बावजूद ईद-उल-अज़हा की मुकद्दस नमाज़ की अदायगी का सिलसिला जारी हैं।

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अल्लाहु अकबर, अल्लाहु अकबर, ला इलाहा इल्लल्लाह, वल्लाहु अकबर, अल्लाहु अकबर, व-लिल्लाहिल हम्द”

मशरीकी गाजा शहर में इजरायली तोपखाने की गोलाबारी के दौरान रहवासी ईद उल अजहा की तकबीरे पड़ रहे है

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बागपत के एक गांव में एक गाय तालाब में डूब रही थी, दो मुस्लिम युवकों मोहसिन और मुस्कुरान अली ने डेढ़ घंटे की कठिन मशक्कत के बाद गाय को बचाया।

वायरल वीडियो में दावा किया जा रहा है की तालाब में बहुत ज्यादा जलकुम्भी थी जिसकी वजह से लोगों को डर था कि कोई जहरीला जानवर उन्हें काट न ले इसीलिए किसी ने हिम्मत नहीं दिखाई मगर इन दोनों मुस्लिम युवकों ने गाय को निडर होकर सकुशल बाहर निकाला।

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लखनऊ के आलमबाग मेट्रो स्टेशन के पास बुधवार रात ढाई साल की बच्ची के साथ दुष्कर्म करने वाला दरिंदा ‘दीपक’ पुलिस एनकाउंटर में ढेर…

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अगर लोग ईद के मौके पर खुश होना चाहते है तो उन घरों के लिए गमगीन होगे जो तबाह हुए है और उन लोगों के लिए जो हमने खोए है

जैसा कि मुस्लिम दुनिया ईद का इस्तकबाल कर रही है गाजा की लड़की मनल सर्फ अपने कृत्रिम अंग का सपना देखती है जो उसे अपने दोस्तों के साथ खेलने की इजाजत देगा।

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थोड़ा विस्तार से समझें तो:

हज के दौरान माउंट अराफात (अराफात का पहाड़) पर एक बहुत ही अहम रुक्न (हिस्सा) होता है, जिसे “वकूफ़-ए-अराफात” कहा जाता है। इस दिन लाखों हाजी उस मैदान में इकट्ठा होकर अल्लाह से अपने गुनाहों की माफ़ी मांगते हैं, दुआ करते हैं, और तेज धूप से बचने के लिए छांव (shade) तलाशते हैं। यह हज का सबसे अहम और भावुक हिस्सा होता है।

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आज मैने तुम्हारा दीन तुम्हारे लिए कामिल कर दिया और तुमपर अपनी नेमत पूरी कर दी और तुम्हारे लिए इस दीन ए इस्लाम को पसंद किया ।

सुरह माईदाह आयत 3

TRADING

कंपनी के शेयर में आज कारोबार के दौरान 2% तक की तेजी देखी गई और यह 391.20 रुपये के इंट्रा डे हाई पर पहुंच गया था। शेयरों में इस तेजी के पीछे एक बड़ी घोषणा है।

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एक नफ़रती लड़की को जज साहब ने ज़मानत देने से इंकार कर दिया। अब जज साहब को कुछ नफ़रती लोगों द्वारा निशाना बनाया जा रहा। फिर यही लोग कहेंगे ‘डेमोक्रेसी कहाँ है’

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उसकी ये चीखें इंसानियत से सवाल कर रही हैं।
दुनियाभर के मुसलमान खामोश तमाशबीन बने हुए हैं, जबकि इज़राइल भूख को एक युद्ध के हथियार की तरह इस्तेमाल कर रहा है।
क्या इंसाफ और इंसानियत अब सिर्फ किताबों में रह गई है?”

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AIMIM संतोष नगर के बेहद सम्मानित और वफ़ादार कॉर्पोरेटर मुज़फ़्फ़र साहब के इंतिक़ाल की ख़बर अत्यंत दुःखद और दिल को झकझोर देने वाली है।

वो पार्टी के एक पुराने, वफ़ादार और ज़मीन से जुड़े हुए नेता थे, जो हमेशा लोगों की सेवा में अग्रणी रहते थे। उनके अच्छे स्वभाव, जनसेवा के जज़्बे और पार्टी के प्रति उनकी वफ़ादारी को कभी भुलाया नहीं जा सकता।

हमेशा याद रखी जाएगी उनकी सेवा और ईमानदारी

AIMIM पार्टी उनके सम्मानजनक किरदार, बेग़र्ज़ सेवा और वफ़ादारी को हमेशा याद रखेगी। उन्होंने जो समाज और जनता के लिए कार्य किया, वो एक मिसाल है।

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अराफा के दिन एक पल ने सब कुछ बदल दिया। बच्चे ईद पर नए कपड़े नहीं पहन सके, ना ही जश्न मना सके। खान यूनिस के पश्चिम में अल-मवासी इलाके में विस्थापित परिवारों के एक तंबू पर हुए हवाई हमले में वे मासूम बच्चे शहीद हो गए।

ग़ज़ा में केवल ईद पर ही मौतें नहीं होतीं।

World

🔴 पूर्ण यात्रा प्रतिबंध वाले देश (12 देश):
अफगानिस्तान, म्यांमार (बर्मा), चाड, कांगो (गणराज्य), इक्वेटोरियल गिनी, इरिट्रिया, हैती, ईरान, लीबिया, सोमालिया, सूडान, यमन

🟡 आंशिक यात्रा प्रतिबंध वाले देश (7 देश):
बुरुंडी, क्यूबा, लाओस, सिएरा लियोन, टोगो, तुर्कमेनिस्तान, वेनेजुएला

ये प्रतिबंध 9 जून 2025 से प्रभावी होंगे।  इस आदेश के तहत, उपरोक्त 12 देशों के नागरिकों को अमेरिका में प्रवेश की अनुमति नहीं होगी, जबकि आंशिक प्रतिबंध वाले देशों के नागरिकों को केवल अस्थायी कार्य वीजा के लिए आवेदन करने की अनुमति होगी।  हालांकि, वैध वीजा धारक, स्थायी निवासी (ग्रीन कार्ड धारक), और ओलंपिक या विश्व कप जैसे प्रमुख खेल आयोजनों में भाग लेने वाले एथलीट इस प्रतिबंध से मुक्त रहेंगे।

राष्ट्रपति ट्रम्प ने इस निर्णय को राष्ट्रीय सुरक्षा के हित में बताया है, विशेष रूप से हाल ही में कोलोराडो के बोल्डर में हुए एक आगजनी हमले के बाद, जिसमें एक मिस्र का नागरिक शामिल था जिसने अपने वीजा की अवधि समाप्त होने के बावजूद अमेरिका में रहना जारी रखा था।  हालांकि मिस्र इस प्रतिबंध सूची में शामिल नहीं है, लेकिन इस घटना ने ट्रम्प प्रशासन को यह कदम उठाने के लिए प्रेरित किया।

यह नया प्रतिबंध ट्रम्प के 2017 के “मुस्लिम बैन” की याद दिलाता है, जिसे बाद में अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने 2018 में संशोधित रूप में मंजूरी दी थी।  इस बार, प्रतिबंधित देशों की सूची में कई अफ्रीकी और मुस्लिम-बहुल राष्ट्र शामिल हैं, जिससे यह कदम फिर से विवादास्पद बन गया है।

मानवाधिकार समूहों और विपक्षी नेताओं ने इस निर्णय की आलोचना की है, इसे भेदभावपूर्ण और अमेरिका की वैश्विक छवि के लिए हानिकारक बताया है। कांग्रेस सदस्य प्रमिला जयपाल ने इसे “अमेरिकी मूल्यों के खिलाफ” बताया है।

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बेंगलुरु, 4 जून 2025 — रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु (RCB) की पहली आईपीएल जीत का जश्न बुधवार को एक भयावह त्रासदी में बदल गया, जब चिन्नास्वामी स्टेडियम के बाहर मची भगदड़ में कम से कम 11 लोगों की मौत हो गई और 33 अन्य घायल हो गए। मृतकों में एक महिला और एक किशोर भी शामिल हैं ।

मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने बताया कि स्टेडियम की क्षमता 35,000 है, लेकिन 2 से 3 लाख लोग एकत्र हो गए थे, जिससे स्थिति बेकाबू हो गई। उन्होंने घटना की मजिस्ट्रियल जांच के आदेश दिए हैं और मृतकों के परिजनों को ₹10 लाख की सहायता राशि की घोषणा की है ।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस घटना को “अत्यंत हृदयविदारक” बताया और घायलों के शीघ्र स्वस्थ होने की कामना की ।

बीसीसीआई सचिव देवजीत सैकिया ने आयोजन की योजना में खामियों को स्वीकार करते हुए कहा कि इस तरह की घटनाओं से बचने के लिए बेहतर प्रबंधन आवश्यक है ।

यह घटना एक बार फिर बड़े सार्वजनिक आयोजनों में भीड़ प्रबंधन की गंभीरता को उजागर करती है। अधिकारियों से अपेक्षा की जाती है कि वे भविष्य में ऐसी त्रासदियों से बचने के लिए आवश्यक कदम उठाएँगे।

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गाजा में स्थानीय प्रशासन ने जानकारी दी है कि एक सहायता वितरण स्थल के पास भीड़ पर इजरायली सेना द्वारा की गई गोलीबारी में कम से कम 27 फिलिस्तीनी नागरिकों की जान चली गई।

हमास के नियंत्रण वाली गाजा सिविल डिफेंस एजेंसी के प्रवक्ता महमूद बसल ने बताया कि यह हमला अल-आलम राउंडअबाउट के नज़दीक हुआ, जो सहायता केंद्र से लगभग एक किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। उन्होंने कहा कि वहां मौजूद लोगों पर इजरायली टैंकों, क्वाडकॉप्टर ड्रोनों और हेलीकॉप्टरों से गोलियां चलाई गईं।

इस घटना पर इजरायली डिफेंस फोर्स (IDF) ने बयान दिया कि उन्होंने उन लोगों पर फायरिंग की जो “निर्धारित मार्गों से हटकर” सैनिकों की ओर बढ़ रहे थे और जिन्हें संदिग्ध माना गया।

गौरतलब है कि इससे पहले रविवार को भी इसी तरह की एक घटना हुई थी, जिसमें हमास के स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार 31 फिलिस्तीनी मारे गए थे और करीब 200 घायल हुए थे, हालांकि उस वक्त इजराइल ने गोली चलाने से इनकार किया था।

Disclaimer यह रिपोर्ट अंतरराष्ट्रीय मीडिया और सरकारी बयानों पर आधारित है। इसका उद्देश्य केवल जानकारी देना है, किसी पक्ष को बढ़ावा देना नहीं। BBC SE LI GAI HAI

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एक भारतीय यूट्यूबर, मलिक एसडी खान – जिसे ऑनलाइन “मलिक स्वैशबकलर” के नाम से जाना जाता है – को तुर्की के अधिकारियों ने कथित तौर पर तुर्की की महिलाओं के बारे में यौन रूप से स्पष्ट और अपमानजनक टिप्पणी वाले वीडियो पोस्ट करने के बाद हिरासत में लिया था। हिंदी में बोले गए कंटेंट में बलात्कार की धमकियाँ और आपत्तिजनक भाषा शामिल थी, जिससे तुर्की में व्यापक आक्रोश फैल गया। अपने सोशल मीडिया अकाउंट डिलीट करने के बावजूद, वीडियो प्रसारित होते रहे, जिसके कारण लोगों में आक्रोश फैल गया और कानूनी कार्रवाई की मांग की गई। खान ने बाद में अपने किए पर खेद व्यक्त करते हुए सार्वजनिक रूप से माफ़ी मांगी।

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मध्य प्रदेश के इंदौर शहर में नगर निगम ने एक चार मंज़िला इमारत को विस्फोट कर गिरा दिया। यह मकान डॉ. इजहार मुंशी का था। नगर निगम का आरोप है कि मकान नक्शे के विपरीत बनाया गया था, इसलिए इसे गिराया गया।

वहीं, डॉ. इजहार मुंशी ने इस कार्रवाई को पूरी तरह गलत बताया है। उनका कहना है कि उनका मकान विधिवत रूप से नक्शा पास कराकर बनाया गया था। उन्होंने गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि नगर निगम के कुछ अधिकारी ₹10 लाख की रिश्वत मांग रहे थे। उन्होंने पहले ही ₹5 लाख दे दिए थे, लेकिन जब शेष राशि नहीं दी, तो बदले की भावना से यह कार्रवाई की गई।

डॉ. इजहार ने यह भी बताया कि मामला अभी मध्य प्रदेश हाईकोर्ट में लंबित है, बावजूद इसके नगर निगम ने बिना अंतिम निर्णय की प्रतीक्षा किए ही इमारत को गिरा दिया।

यह मामला अब जनता और प्रशासन दोनों के लिए एक गंभीर सवाल खड़ा कर रहा है — क्या यह कार्रवाई कानून के तहत थी या फिर यह रिश्वतखोरी के खिलाफ आवाज़ उठाने की सज़ा?

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नमाज़ के लिए गलीचे पर सजदा कर रही थीं, उन्होंने नमाज़ के कपड़े पहने हुए थे और हाथ में खुली कुरान थी, जिससे वे पड़ रही थीं। इजरायली हवाई हमले में शहीद होने से पहले ये उनके अंतिम क्षण थे।

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एक छोटी बच्ची अपने नष्ट हो चुके घर के मलबे पर बैठकर दाल खा रही है इजरायली घेराबंदी के दौरान खाने की कमी की वजह से सिर्फ दाल ही बची है

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क्या आप उस रोती हुई मुस्लिम महिला की आवाज़ सुन सकते हैं? वह बार-बार अल्लाह को पुकार रही है। दंगे के दौरान हिंदू चरमपंथियों ने उसके घर में तोड़फोड़ की और कीमती सामान लूट लिया।
  यह सिर्फ एक आवाज़ नहीं, बल्कि इंसाफ़ की पुकार है।
वीडियो देखें, सच्चाई खुद जानें

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दैनिक जागरण ने बिना जांच-पड़ताल के सिर्फ एक फोटो के आधार पर खबर छाप दी कि मुस्लिम बहुल क्षेत्र के इस स्कूल में प्रधानाध्यापिका ने स्कूल का नाम उर्दू में लिखवाया। photo में साफ़ दिखता है कि हिंदी नाम भी लिखा है, लेकिन उसे क्रॉप कर दिया गया और सिर्फ उर्दू नाम पर फोकस करके भ्रामक खबर फैलाई गई।

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स्थान: सिलीगुड़ी, पश्चिम बंगाल
तारीख: 1 जून 2025

सिलीगुड़ी के अशरफ नगर क्षेत्र में उस समय तनाव फैल गया जब कुछ हिंदुत्व समर्थक व्यक्तियों द्वारा मस्जिद के पास से गुजरते समय तेज़ आवाज़ में “जय श्री राम” के नारे लगाए गए। यह घटना उस समय हुई जब शहर पहले से ही माटीगाड़ा क्षेत्र में हाल ही में हुए दंगों के कारण संवेदनशील स्थिति का सामना कर रहा है।

स्थानीय लोगों के अनुसार, इन नारों के कारण धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंची और माहौल briefly तनावपूर्ण हो गया। हालांकि, किसी भी अप्रिय घटना से बचने के लिए प्रशासन ने समय रहते स्थिति पर नियंत्रण पाया।

सुरक्षा की दृष्टि से संबंधित क्षेत्र में पुलिस की तैनाती बढ़ा दी गई है और अधिकारियों ने सभी समुदायों से शांति बनाए रखने की अपील की है।

नोट: ऐसी किसी भी घटना की पुष्टि के लिए प्रशासनिक बयानों और पुलिस रिपोर्ट का इंतजार करना ज़रूरी है।

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यह घटना बेहद दुखद और चौंकाने वाली है। सना यूसुफ की हत्या ने न सिर्फ पाकिस्तान में, बल्कि पूरी दुनिया में सोशल मीडिया की दुनिया को हिला कर रख दिया है। इस केस से कई अहम मुद्दे उजागर होते हैं:


घटना की मुख्य बातें:

पीड़िता: सना यूसुफ, 17 वर्षीय टिकटॉक स्टार, जिसकी सोशल मीडिया पर 10 लाख से ज्यादा फॉलोअर्स थे।

हत्या की जगह: इस्लामाबाद, पाकिस्तान।

आरोपी: 22 वर्षीय युवक, जो लंबे समय से सना से ऑनलाइन संपर्क करने की कोशिश कर रहा था।

हत्या का कारण: लगातार अस्वीकार किए जाने के बाद जुनून में आकर आरोपी ने गोली मार दी।

पुलिस का बयान: “यह एक भीषण और निर्मम हत्या थी।”


इस केस से सीखने वाली बातें:

1. ऑनलाइन सेफ्टी: सोशल मीडिया पर मौजूद लोगों, खासकर महिलाओं, को बार-बार परेशान करने वाले लोगों से सुरक्षा के लिए मजबूत कानून और निगरानी की जरूरत है।


2. मेंटल हेल्थ और ऑब्सेशन: ऐसे मामलों में आरोपी का मानसिक स्वास्थ्य और जुनूनी व्यवहार गंभीर चिंता का विषय है।

3. सोशल मीडिया स्टार्स की सुरक्षा: पॉपुलर लोगों को अक्सर ज्यादा खतरा होता है, ऐसे में उन्हें और उनके परिवार को पुलिस सुरक्षा या डिजिटल सेफ्टी टूल्स की ज़रूरत होती है।

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पटना – वक़्फ़ संपत्तियों से जुड़े विवादास्पद वक़्फ़ बिल को लेकर जनता में आक्रोश बढ़ता जा रहा है। इसी कड़ी में अब JDU के वरिष्ठ नेता गुलाम रसूल बल्यावी को निशाने पर लिया गया है। पटना की सड़कों पर उनका विरोध करते हुए एक पोस्टर लगाया गया है, जो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है।

🔹 क्या है मामला?

हाल ही में संसद में पेश किए गए वक़्फ़ संपत्ति बिल को लेकर देश के विभिन्न हिस्सों में मुस्लिम समुदाय के लोगों ने आपत्ति जताई है। लोगों का कहना है कि यह बिल वक़्फ़ की संपत्तियों को सरकार के अधीन करने की साज़िश है। इसी मुद्दे पर गुलाम रसूल बल्यावी की चुप्पी पर लोगों ने नाराज़गी जताई है।

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सोशल मीडिया पर एक वीडियो तेजी से वायरल हो रहा है, जिसमें रतन रंजन नाम के एक व्यक्ति को फलस्तीन (गाजा) के भूख से परेशान लोगों का मजाक उड़ाते हुए देखा जा सकता है। वीडियो में वह कहते हैं, “गाजा वाले भूखे तड़प रहे हैं, ये वाले बकरा चाब रहे हैं। गाजा फलस्तीन बकरा नहीं भेजना है, मैंने बोल दिया — 1–2 बकरा भेज दो।”

यह बयान उस समय आया है जब गाजा (फलस्तीन) में आम नागरिक गंभीर मानवीय संकट का सामना कर रहे हैं — खाने-पीने की चीज़ों की भारी कमी और लगातार हो रहे हमलों से जनजीवन अस्त-व्यस्त है।

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हाल ही में दिल्ली में एक वीडियो वायरल हुआ है जिसमें कुछ व्यक्तियों द्वारा मुस्लिम लड़कियों को लेकर आपत्तिजनक भाषा का इस्तेमाल किया गया है। इसमें मुस्लिम लड़कियों को “राशन में बंटवा देने” जैसी अपमानजनक बात कही गई है। इस बयान को लेकर सोशल मीडिया पर भारी आक्रोश देखा जा रहा है।

यह बयान न केवल महिलाओं के सम्मान को ठेस पहुँचाने वाला है, बल्कि सांप्रदायिक सौहार्द को भी नुकसान पहुँचाने वाला है। संबंधित अधिकारियों से मांग की जा रही है कि इस मामले की जांच कर दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए। vidio link

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गाजा में अमेरिकी मानवीय सहायता बांटने के दौरान भगदड़ मच गई, जिसमें दर्जनों लोग घायल हो गए। फिलिस्तीनी स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक, पिछले 24 घंटे में इजरायली हमलों में कम से कम 51 फिलिस्तीनी मारे गए हैं और 500 से अधिक घायल हुए हैं। 

स्थानीय सूत्रों का कहना है कि सहायता सामग्री लेने के लिए जमा हुई भीड़ में अचानक अफरा-तफरी शुरू हो गई। इस घटना ने गाजा में चल रहे मानवीय संकट को और गहरा दिया है।

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इज़राइल की सख्त नाकाबंदी के कारण गाजा पट्टी में हालात दिन-ब-दिन बदतर होते जा रहे हैं। विस्थापितों, खासकर बच्चों, को पीने का साफ पानी नसीब नहीं हो पा रहा है। संयुक्त राष्ट्र और मानवाधिकार संगठनों ने चेतावनी दी है कि पानी की किल्लत से बीमारियाँ फैलने और स्वास्थ्य संकट गहराने का खतरा बढ़ गया है। 

हालात इतने गंभीर हैं कि लोग गंदा या नमकीन पानी पीने को मजबूर हैं, जिससे बच्चों में डिहाइड्रेशन और पेट संबंधी बीमारियाँ तेजी से फैल रही हैं। अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने इज़राइल से नाकाबंदी हटाने और मानवीय सहायता की अनुमति देने की माँग की है, लेकिन अभी तक कोई सकारात्मक पहल नहीं हुई है। 

यह संकट गाजा की आम जनता, खासकर मासूम बच्चों, के लिए एक बड़ी त्रासदी बनता जा रहा है।

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राफा/गाजा: फलस्तीनी पत्रकार मोतसेम अल-दल्लौल की रिपोर्ट के अनुसार, पिछले 5 दिनों में इजरायली सेना ने गाजा और राफा क्षेत्र में सहायता वितरण केंद्रों के पास भूखे फलस्तीनी नागरिकों पर गोलीबारी की, जिसमें 49 लोगों की मौत हो गई और 305 से अधिक घायल हुए। 

घटना तब हुई जब नागरिक इजरायल-अमेरिका समर्थित सहायता केंद्रों से खाद्य सामग्री और अन्य जरूरी सहायता लेने पहुँचे। स्थानीय सूत्रों का कहना है कि इजरायली सैनिकों ने भीड़ पर अंधाधुंध फायरिंग शुरू कर दी। 

यह हमला गाजा में मानवीय संकट के बीच हुआ है, जहाँ संयुक्त राष्ट्र के अनुसार **अकाल जैसी स्थिति** बनी हुई है। फलस्तीनी अधिकार समूहों ने इस घटना की निंदा करते हुए अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से हस्तक्षेप की माँग की है। 

इजरायली सरकार ने अभी तक इस घटना पर आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं दी है। 

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